Magh Shivratri 2025: माघ शिवरात्रि के दिन अमोघ शिव कवच का पाठ करने के क्या लाभ हैं?

माघ शिवरात्रि के दिन जहां एक ओर शिव जी के मंत्रों का जाप करना अत्यधिक कल्याणकारी माना गया है तो वहीं, इस दिन भगवान शिव के अमोघ शिव कवच का पाठ करना भी उत्तम और लाभकारी होता है।  
amogh shiv kavach

माघ शिवरात्रि इस साल 27 जनवरी, दिन सोमवार को पड़ रही है। माघ शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की आराधना का विधान है। माना जाता है की इस दिन जो भी भगवान शिव की पूजा पूर्ण श्रद्धा से करता है महादेव उसकी प्रार्थना अवश्य सुनते हैं और उस व्यक्ति पर अपार कृपा बरसाते हैं। माघ शिवरात्रि के दिन जहां एक ओर शिव जी के मंत्रों का जाप करना अत्यधिक कल्याणकारी माना गया है तो वहीं, इस दिन भगवान शिव के अमोघ शिव कवच का पाठ करना भी उत्तम और लाभकारी होता है। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया की माघ शिवरात्रि के दिन क्या हैं अमोघ शिव कवच का पाठ करने के लाभ।

माघ शिवरात्रि पर अमोघ शिव कवच का पाठ

amogh shiv kavach ka path karne ki vidhi

वज्रदंष्ट्रं त्रिनयनं कालकण्ठमरिन्दमम् । सहस्रकरमत्युग्रं वंदे शंभुमुपतिम् ॥ अथापरं सर्वपुराणगुह्यं निशे:षपापौघहरं पवित्रम् । जयप्रदं सर्वविपत्प्रमोचनं वक्ष्यामि शैवं कवचं हिताय ते ॥

नमस्कृत्य महादेवं विश्‍वव्यापिनमीश्‍वरम्। वक्ष्ये शिवमयं वर्म सर्वरक्षाकरं नृणाम् ॥ शुचौ देशे समासीनो यथावत्कल्पितासन: । जितेन्द्रियो जितप्राणश्‍चिंतयेच्छिवमव्ययम् ॥

ह्रत्पुंडरीक तरसन्निविष्टं स्वतेजसा व्याप्तनभोवकाशम्। अतींद्रियं सूक्ष्ममनंतताद्यंध्यायेत्परानंदमयं महेशम्॥ ध्यानावधूताखिल कर्मबन्धश्‍चरं चितानन्दनिमग्नचेता:। षडक्षरन्याससमाहितात्मा शैवेन कुर्यात्कवचेन रक्षाम् ॥

मां पातु देवोऽखिलदेवत्मा संसारकूपे पतितं गंभीरे तन्नाम दिव्यं वरमंत्रमूलं धुनोतु मे सर्वमघं ह्रदिस्थम् ॥ सर्वत्रमां रक्षतु विश्‍वमूर्तिर्ज्योतिर्मयानंदघनश्‍चिदात्मा । अणोरणीयानुरुशक्‍तिरेक: स ईश्‍वर: पातु भयादशेषात् ॥

यो भूस्वरूपेण बिर्भीत विश्‍वं पायात्स भूमेर्गिरिशोऽष्टमूर्ति: । योऽपांस्वरूपेण नृणां करोति संजीवनं सोऽवतु मां जलेभ्य: ॥ कल्पावसाने भुवनानि दग्ध्वा सर्वाणि यो नृत्यति भूरिलील: । स कालरुद्रोऽवतु मां दवाग्नेर्वात्यादिभीतेरखिलाच्च तापात् ॥

प्रदीप्तविद्युत्कनकावभासो विद्यावराभीति कुठारपाणि: । चतुर्मुखस्तत्पुरुषस्त्रिनेत्र: प्राच्यां स्थितं रक्षतु मामजस्त्रम् ॥ कुठारवेदांकुशपाशशूलकपाल ढक्काक्षगुणान् दधान: । चतुर्मुखोनीलरुचिस्त्रिनेत्र: पायादघोरो दिशि दक्षिणस्याम् ॥

कुंदेंदुशंखस्फटिकावभासो वेदाक्षमाला वरदाभयांक: । त्र्यक्षश्‍चतुर्वक्र उरुप्रभाव: सद्योधिजातोऽवस्तु मां प्रतीच्याम् ॥ वराक्षमालाभयटंकहस्त: सरोज किंजल्कसमानवर्ण: । त्रिलोचनश्‍चारुचतुर्मुखो मां पायादुदीच्या दिशि वामदेव: ॥

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वेदाभ्येष्टांकुशपाश टंककपालढक्काक्षकशूलपाणि: । सितद्युति: पंचमुखोऽवतान्मामीशान ऊर्ध्वं परमप्रकाश: ॥ मूर्धानमव्यान्मम चंद्रमौलिर्भालं ममाव्यादथ भालनेत्र: । नेत्रे ममा व्याद्भगनेत्रहारी नासां सदा रक्षतु विश्‍वनाथ: ॥

amogh shiv kavach ka path karne ke niyam

पायाच्छ्र ती मे श्रुतिगीतकीर्ति: कपोलमव्यात्सततं कपाली । वक्रं सदा रक्षतु पंचवक्रो जिह्वां सदा रक्षतु वेदजिह्व: ॥ कंठं गिरीशोऽवतु नीलकण्ठ: पाणि: द्वयं पातु: पिनाकपाणि: । दोर्मूलमव्यान्मम धर्मवाहुर्वक्ष:स्थलं दक्षमखातकोऽव्यात् ॥

मनोदरं पातु गिरींद्रधन्वा मध्यं ममाव्यान्मदनांतकारी । हेरंबतातो मम पातु नाभिं पायात्कटिं धूर्जटिरीश्‍वरो मे ॥ ऊरुद्वयं पातु कुबेरमित्रो जानुद्वयं मे जगदीश्‍वरोऽव्यात् । जंघायुगंपुंगवकेतुख्यातपादौ ममाव्यत्सुरवंद्यपाद: ॥

महेश्‍वर: पातु दिनादियामे मां मध्ययामेऽवतु वामदेव: । त्रिलोचन: पातु तृतीययामे वृषध्वज: पातु दिनांत्ययामे ॥ पायान्निशादौ शशिशेखरो मां गंगाधरो रक्षतु मां निशीथे । गौरी पति: पातु निशावसाने मृत्युंजयो रक्षतु सर्वकालम् ॥

अन्त:स्थितं रक्षतु शंकरो मां स्थाणु: सदापातु बहि: स्थित माम् । तदंतरे पातु पति: पशूनां सदाशिवोरक्षतु मां समंतात् ॥ तिष्ठतमव्याद्‍भुवनैकनाथ: पायाद्‍व्रजंतं प्रथमाधिनाथ: । वेदांतवेद्योऽवतु मां निषण्णं मामव्यय: पातु शिव: शयानम् ॥

मार्गेषु मां रक्षतु नीलकंठ: शैलादिदुर्गेषु पुरत्रयारि: । अरण्यवासादिमहाप्रवासे पायान्मृगव्याध उदारशक्ति: ॥ कल्पांतकोटोप पटुप्रकोप स्फुटाट्टहासोच्चलितांडकोश: । घोरारिसेनर्णवदुर्निवारमहाभयाद्रक्षतु वीरभद्र: ॥

पत्त्यश्‍वमातंगघटावरूथसहस्रलक्षायुतकोटिभीषणम् । अक्षौहिणीनां शतमाततायिनां छिंद्यान्मृडोघोर कुठार धारया ॥ निहंतु दस्यून्प्रलयानलार्चिर्ज्वलत्रिशूलं त्रिपुरांतकस्य । शार्दूल सिंहर्क्षवृकादिहिंस्रान्संत्रासयत्वीशधनु: पिनाक: ॥

दु:स्वप्नदु:शकुनदुर्गतिदौर्मनस्यर्दुर्भिक्षदुर्व्यसनदु:सहदुर्यशांसि । उत्पाततापविषभीतिमसद्‍ग्रहार्ति व्याधींश्‍च नाशयतु मे जगतामधीश: ॥

amogh shiv kavach ka path karne ka mahatva

माघ शिवरात्रि पर अमोघ शिव कवच पाठ के लाभ

अमोघ शिव कवच एक अत्यंत शक्तिशाली महा कवच है, जो भगवान शिव के रूद्र रूप का प्रतीक माने जाते हैं। इस कवच का नियमित पाठ करने से साधक के जीवन में भगवान शिव की विशेष कृपा होती है।

यह कवच समस्त ग्रह दोष, तंत्र-बाधा, नज़र दोष, पितृ दोष, अकाल मृत्यु आदि से रक्षा करता है। शारीरिक, मानसिक, और आर्थिक कष्टों से भी यह कवच बचाव करता है। इसके प्रभाव से नकारात्मकता दूर होती है।

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यदि साधक अमोघ शिव कवच के पाठ के साथ शिव यंत्र कवच भी धारण करता है, तो उसे भयानक विपत्तियों से मुक्ति मिलती है। नवग्रहों का अशुभ प्रभाव कम होने लगता है और सभी प्रकार के रोगों से बचाव होता है।

हर व्यक्ति को चाहिए कि वह अपनी नित्य शिव पूजा में और विशेष रूप से शिवरात्रि के दिन इस अमोघ कवच का पाठ अवश्य करे। इससे भगवान शिव की कृपा होती है और व्यक्ति को भय से भी मुक्ति मिल जाती है।

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image credit: herzindagi

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