हिंदू पंचांग के अनुसार कजरी तीज का व्रत भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस खास दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा विधि-विधान से की जाती है। इस साल कजरी तीज 12 अगस्त मंगलवार को है। इस दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य और परिवार की खुशहाली के लिए व्रत रखती हैं।
कजरी तीज का व्रत खासकर कुंवारी कन्याओं के लिए बहुत शुभ और फलदायी माना जाता है। यह व्रत उनकी शादी और परिवार की खुशहाली के लिए लाभकारी होता है। इसलिए इस दिन व्रत रखने वाली सभी महिलाओं को व्रत कथा अवश्य सुननी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि व्रत कथा सुनना व्रत की पूर्णता के लिए जरूरी है और इसके बिना व्रत अधूरा माना जाता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी के अनुसार इस व्रत से महिलाओं के जीवन में सौभाग्य, समृद्धि और सुख-शांति आती है। इस दिन पूजा और व्रत विधिपूर्वक करने से भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसलिए कजरी तीज के दिन श्रद्धा और भक्ति के साथ व्रत रखें और कथा सुनना न भूलें। यह व्रत जीवन में खुशहाली और प्रेम बनाए रखने में मदद करता है।
कजरी तीज व्रत कथा (Kajari Teej Vrat Katha 2025)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, कजरी तीज का व्रत सबसे पहले माता पार्वती ने किया था। उनके व्रत और तपस्या से भगवान शिव बेहद प्रसन्न हुए थे। जिसके बाद उन्होंने माता पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहते हैं, कि कजरी तीज का व्रत कुंवारी लड़कियों के लिए भी बेहद शुभ माना जाता है। कजरी तीज का व्रत रखने से मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। साथ ही सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है।
वहीं दूसरी कथा के अनुसार, एक गांव में ब्राह्मण परिवार रहता था। ब्राह्मण की पत्नी ने भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि के दिन कजरी तीज का व्रत किया। व्रत के दौरान उसने अपने पति से सत्तू लाने के लिए कहा। सत्तू के लिए ब्राह्मण के पास पैसे नहीं थे। तब उसने चोरी करने का फैसला किया। इसके बाद वह रात के समय दुकान में सत्तू लेने के लिए गया। उसी दौरान दुकान के मालिक की नींद खुली और उसने ब्राह्मण को पकड़ लिया। इस दौरान उसकी पत्नी अपने पति का सत्तू के लिए इंतजार कर रही थी। वहीं चांद भी निकल आया था।
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जब दुकान के मालिक ने उस ब्राह्मण की तलाशी ली, तो उसके पास से केवल सत्तू मिला। ऐसे में ब्राह्मण ने सारी बात दुकान के मालिक को बताई। उसकी बात को सुनकर मालिक को उसपर तरस आया और उसने कहा कि वह उसकी पत्नी को अपनी बहन के रूप में मानेगा। आखिर में मालिक ने ब्राह्मण को मेंहदी, सत्तू, गहने और धन देकर विदा किया। उसके बाद सभी ने कजली माता की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना की। आपको बता दें, कजरी तीज व्रत कथा प्रेम, समर्पण, आस्था और विश्वास का महत्व सिखाती है।
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Image Credit- HerZindagi
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