Interesting facts about dudheshwar nath devkund temple in Aurangabad ()

Dudheshwar Nath Devkund Temple Aurangabad: त्रेता युग में प्रभु श्रीराम ने की थी इस मंदिर में पूजा, जानें क्या है मान्यता

औरंगाबाद जिले के देवकुंड में भगवान शिव की हजारों साल पुरानी मंदिर हैं। यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां नीलम पत्थर का शिवलिंग स्थित है।
Editorial
Updated:- 2024-06-26, 10:58 IST

भगवान शिव का बेहद प्रिय माह सावन 22 जुलाई से आरंभ होने जा रहा है। इसका समापन 19 अगस्त को होगा। वहीं इस बार सावन का महीना सोमवार के दिन से शुरू होने जा रहा है और सोमवार के दिन ही समाप्त हो रहा है। इसलिए इस सावन में बेहद खास संयोग भी बन रहा है। ऐसी मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ की आराधना और पूजा-पाठ करने से व्यक्ति की सभा मनोकामनाएं पूरी हो सकती है। साथ ही सुख-समृद्धि की भी प्राप्ति हो सकती है। बता दें, औरंगाबाद जिले के देवकुंड में च्यवन ऋषि के आश्रम के पास भगवान शिव की हजारों साल पुरानी मंदिर स्थित है। यहां महाशिवरात्रि, त्रयोदशी तिथि और श्रावण मास में श्रद्धालुओं की भीड़ होती है। बता दें, यह मंदिर देवकुंड का प्रसिद्ध दूधेश्वर महादेव मंदिर है। यह मंदिर बिहार के प्रमुख तीर्थ स्थानों में से एक है। ऐसा कहा जाता है कि यह नीलम पत्थर से निर्मित भगवान शिव का शिवलिंग है। ऐसा कहा जाता है कि यहां स्वयं प्रभु श्रीराम ने त्रेतायुग में पूजा की थी। इस मंदिर की मान्यता क्या है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं। 

आज भी इस मंदिर में प्रज्वलित है अग्नि

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अरवल और औरंगाबाद जिले की सीमा पर स्थित भोले बाबा की नगरी देवकुंड धाम बेहद प्रसिद्ध है। वहीं इस स्थान को महर्षि च्यवन ने तपोभूमि बनाया था और कई सालों तक तपस्या की थी। इतना ही नहीं, बाबा बालपुरी ने महर्षि च्यवन के आश्रम में कड़ी साधना की और हवन करने के बाद जिंदा समाधि ले ली।  तब से उस कुंड में आज तक अग्नि प्रज्वलित होती है। 

दूधेश्वर मंदिर एक रात में बनकर हुआ तैयार

देवकुंड मंदिर को लेकर ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर एक ही रात में बनकर तैयार हुआ था। जिसे स्वयं देवताओं के वास्तुकार और देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा ने तैयार किया था। इसकी विशेषता यह है कि यह विशाल मंदिर एक ही पत्थर को तराश कर बनाया गया है। 

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प्रभु श्रीराम ने की थी इस मंदिर में पूजा 

बाबा दूधेश्वर नाथ मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना प्रभु श्रीराम ने की थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार श्रीराम ने लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद अयोध्या वापसी के दौरान माता सीता के साथ पुष्पक विमान से यहां उतरे थे। उन्होंने यहां नीलम पत्थर के नीले रंग के शिवलिंग की स्थापना की थी। साथ ही रुद्राभिषेक किया था। 

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बाबा दूधेश्वर नाथ मंदिर की मान्यता क्या है? 

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देवकुंड धाम बाबा दूधेश्वर नाथ मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि यहां शिवलिंग का अभिषेक करने से व्यक्ति को सभी कष्टों से छुटकारा मिल सकता है और ग्रह दोष संबंधित परेशानियां भी दूर हो जाती है। 

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Image Credit- HerZindagi

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