हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर साल पितृ पक्ष में पड़ने वाली एकादशी के दिन ग्यारस का श्राद्ध किया जाता है। इस दिन उन पितरों का श्राद्ध होता है जिनकी मृत्यु एकादशी तिथि पर हुई हो। यह तिथि पितरों के तर्पण के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि एकादशी का दिन बागवान विष्णु को समर्पित है जो पितरों के देवता हैं। ऐसे में एकादशी का श्राद्ध पितरों के लिए बहुत महत्वपूर्ण और लाभकारी माना जाता है। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि इस साल कब पड़ रहा है एकादशी या ग्यारस का श्राद्ध और क्या हैं इस दिन के मुहूर्त एवं तर्पण विधि।
ग्यारस का श्राद्ध एकादशी के दिन पड़ता है। ऐसे में अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 16 सितंबर, मंगलवार के दिन, शाम 4 बजकर 55 मिनट से हो रहा है।
वहीं, इंदिरा एकादशी तिथि का समापन 17 सितंबर, बुधवार के दिन, शाम 4 बजकर 20 मिनट से होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, ग्यारस का श्राद्ध 17 सितंबर को किया जाएगा।
इंदिरा एकादशी के दिन ग्यारस का श्राद्ध करने के लिए कई मुहूर्त बन रहे हैं जिनमें से सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है कुतुप काल जो सुबह 11:47 बजे से दोपहर 12:36 बजे तक रहेगा।
इसके अलावा, इस दिन रौहिण मुहूर्त भी बन रहा है जो दोपहर 12:36 बजे से दोपहर 01:25 बजे तक है। साथ ही, अपराह्न (सायं) मुहूर्त दोपहर 01:25 बजे से दोपहर 03:45 बजे तक है।
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सबसे पहले स्नान करके शुद्ध हो जाएं। दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठें। एक थाली में काले तिल, दूध, जल और गंगाजल मिलाएं। इसके बाद पितरों का ध्यान पूर्ण श्रद्धा से करें।
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ध्यान करते हुए अंजुली में जल लेकर धीरे-धीरे धरती पर गिराएं। माना जाता है कि ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। श्राद्ध के दिन, चावल या जौ के आटे से गोल पिंड बनाएं।
इन पिंडों को पितरों को अर्पित करें और उन्हें श्रद्धापूर्वक प्रणाम करें। पिंड दान से पितरों की भूख शांत होती है। श्राद्ध के दिन किसी ब्राह्मण को घर पर बुलाकर भोजन अवश्य कराएं।
भोजन में खीर, पूरी और अन्य सात्विक व्यंजन होने चाहिए। अगर ब्राह्मण को बुलाना संभव न हो तो आप यह भोजन गाय, कौवे या कुत्तों को भी खिला सकते हैं। इससे पितृ तृप्त होंगे।
अपने सामर्थ्य के अनुसार ब्राह्मणों को वस्त्र, अनाज या दक्षिणा का दान करें। इससे पितर प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद देते हैं। ब्राह्मण के अलावा, जरोरात्मंदों में भी बांट सकते हैं।
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ग्यारस के दिन श्राद्ध और तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है। जब पितर शांत और संतुष्ट होते हैं, तो वे अपने परिवार को सुख, समृद्धि, और सफलता का आशीर्वाद देते हैं।
यह माना जाता है कि उनके आशीर्वाद से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं। श्राद्ध कर्म करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इससे परिवार में धन-दौलत और सुख-समृद्धि बढ़ती है और आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं।
शास्त्रों के अनुसार, श्राद्ध न करने से पितृ दोष लगता है। ग्यारस के श्राद्ध के द्वारा इस दोष को कम किया जा सकता है। यह परिवार को पूर्वजों के कर्ज और पापों से मुक्ति दिलाने में मदद करता है।
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Image credit: herzindagi
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