क्या आप जीवन में धन, सुख, पद, प्रतिष्ठा और यश की कामना करते हैं? यदि हाँ, तो नारायण अष्टकम स्तोत्र का नियमित पाठ आपके लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो सकता है। यह एक ऐसा शक्तिशाली स्तोत्र है, जिसके जाप से भगवान नारायण की कृपा सहज ही प्राप्त हो जाती है और जीवन में आने वाली हर बाधा दूर होती है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से श्री नारायण अष्टकम स्तोत्र का पाठ करने के महत्व के बारे में जानते हैं।
रोजाना श्री नारायण अष्टकम स्तोत्र का करें पाठ
आप रोजाना श्री नारायण अष्टकम स्तोत्र का पाठ विधिवत रूप से करें। इससे व्यक्ति की सभी समस्याएं दूर हो सकती है और उत्तम फलों की प्राप्ति हो सकती है।
वात्सल्यादभयप्रदान-समयादार्तिनिर्वापणा-
दौदार्यादघशोषणाद-गणितश्रेयःपदप्रापणात्।
सेव्यः श्रीपतिरेक एवजगतामेतेऽभवन्साक्षिणः
प्रह्लादश्च विभीषणश्चकरिराट् पाञ्चाल्यहल्या ध्रुवः॥1॥
प्रह्लादास्ति यदीश्वरो वदहरिः सर्वत्र मे दर्शय
स्तम्भे चैवमितिब्रुवन्तमसुरं तत्राविरासीद्धरिः।
वक्षस्तस्य विदारयन्निजन-खैर्वात्सल्यमापाद-
यन्नार्तत्राणपरायणः सभगवान्नारायणो मे गतिः॥2॥
श्रीरामात्र विभीषणोऽयमनघोरक्षोभयादागतः
सुग्रीवानय पालयैनमधुनापौलस्त्यमेवागतम्।
इत्युक्त्वाभयमस्यसर्वविदितं यो राघवो
दत्तवानार्तत्राणपरायणः सभगवान्नारायणो मे गतिः॥3॥
नक्रग्रस्तपदं समुद्धतकरंब्रह्मादयो भो सुराः
पाल्यन्तामिति दीनवाक्यकरिणंदेवेष्वशक्तेषु यः।
मा भैषीरिति यस्यनक्रहनने चक्रायुधः श्रीधर।
आर्तत्राणपरायणः सभगवान्नारायणो मे गतिः॥4॥
भो कृष्णाच्युत भो कृपालयहरे भो पाण्डवानां सखे
क्वासि क्वासि सुयोधनादपहृतांभो रक्ष मामातुराम्।
इत्युक्तोऽक्षयवस्त्रसंभृततनुंयोऽपालयद्द्रौपदी-
मार्तत्राणपरायणः सभगवान्नारायणो मे गतिः॥5॥
यत्पादाब्जनखोदकं त्रिजगतांपापौघविध्वंसनं
यन्नामामृतपूरकं चपिबतां संसारसन्तारकम्।
पाषाणोऽपि यदङ्घ्रिपद्मरजसाशापान्मुनेर्मोचित।
आर्तत्राणपरायणः सभगवान्नारायणो मे गतिः॥6॥
पित्रा भ्रातरमुत्तमासनगतंचौत्तानपादिध्रुवो दृष्ट्वा
तत्सममारुरुक्षुरधृतोमात्रावमानं गतः।
यं गत्वा शरणं यदापतपसा हेमाद्रिसिंहासन-
मार्तत्राणपरायणः सभगवान्नारायणो मे गतिः॥7॥
आर्ता विषण्णाः शिथिलाश्च भीताघोरेषु च व्याधिषु वर्तमानाः।
सङ्कीर्त्य नारायणशब्दमात्रंविमुक्तदुःखाः सुखिनो भवन्ति॥8॥
॥ इति श्रीकूरेशस्वामिविरचितं श्रीनारायणाष्टकं सम्पूर्णम् ॥
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श्री नारायण अष्टकम स्तोत्र का पाठ करने का महत्व
श्री नारायण अष्टकम का नियमित पाठ भगवान विष्णु को प्रसन्न करने का एक अत्यंत प्रभावी तरीका माना जाता है। इससे व्यक्ति को उनकी असीम कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस स्तोत्र का पाठ करने से जीवन की सभी प्रकार की कठिनाइयाँ, दुख और समस्याएं दूर होती हैं। यह भय और चिंता को दूर कर साहस और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
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