हम से बहुत से लोग मंदिर के आगे से निकलते समय भगवान को प्रणाम जरूर करते होंगे। ऐसा करने से भगवान के प्रति हम हमारी श्रद्धा दर्शाते हैं, लेकिन ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि मंदिर के आगे या सामने से जब भी हम निकलें तो भले ही मंदिर के भीतर न जा पाएं मगर बाहर से ही भगवान को प्रणाम करने के साथ-साथ एक मंत्र अवश्य बोलें। इस मंत्र को बोलने से न सिर्फ भगवान की कृपा हम पर बनी रहती है बल्कि भगवान हमारी जल्दी सुन लेते हैं। ऐसे में आइये जानते हैं कि जब भी मंदिर के सामने से निकलें तो कौन से मंत्र का उच्चारण करें और क्या हैं उससे मिलने वाले लाभ।
मंदिर के आगे से निकलते समय क्या बोलें?
आप जब भी किसी मंदिर के आगे से निकलें तो हमेशा 'प्रभु सदा सहायते' इस मंत्र का उच्चारण करें। मंदिर किसी भी देवी-देवता का हो, इस मंत्र को बोलने से शुभ प्रभाव पड़ता है और कई लाभ भी मिलने लगते हैं।
मंदिर के आगे से निकलते समय 'प्रभु सदा सहायते' बोलने से हम ब्रह्मांड की सकारात्मक ऊर्जा से जुड़ जाते हैं। मंदिर एक ऐसा स्थान है जहां के आसपास की ऊर्जा बहुत शुद्ध और शक्तिशाली हो जाती है।
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जब हम उस स्थान से गुजरते हुए भगवान को याद करते हैं तो उस सकारात्मक ऊर्जा का एक हिस्सा हमारे अंदर भी प्रवेश करता है जिससे मन को शांति मिलती है और नकारात्मक विचार दूर होते हैं।
यह एक तरह से भगवान से आशीर्वाद मांगने का तरीका है जो हमें दिन भर के लिए एक सकारात्मक शुरुआत देता है। दूसरा लाभ यह है कि ये मंत्र हमारी आस्था और विश्वास को मजबूत करता है।
जीवन में जब भी कोई मुश्किल आती है तो आस्था ही हमें आगे बढ़ने की शक्ति देती है। 'प्रभु सदा सहायते' बोलने से हमें यह अहसास होता है कि कोई अदृश्य शक्ति हमारे साथ है जो हमें हर मुश्किल से बाहर निकालने में मदद करेगी।
यह विश्वास हमें मानसिक रूप से मजबूत बनाता है और कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य बनाए रखने में सहायता करता है। वहीं, ज्योतिष शास्त्र में माना जाता है कि ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव भी इससे दूर होते हैं।
तीसरा लाभ यह है कि इस मंत्र का जाप हमारे कर्मों को शुद्ध करता है। जब हम मंदिर के सामने से गुजरते हुए भगवान का स्मरण करते हैं तो यह हमें अच्छे कर्म करने की प्रेरणा देता है।
'प्रभु सदा सहायते' कहने का मतलब है कि हम प्रभु से प्रार्थना कर रहे हैं कि वे हमें सही रास्ते पर चलने और अच्छे काम करने में मदद करें। यह हमें अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक करता है और गलत काम करने से रोकता है।
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इस तरह, यह हमारे कर्मों को शुद्ध करने और जीवन में सफलता पाने में सहायक होता है। इस मंत्र का उच्चारण एक प्रकार का आत्म-चिंतन भी है जो हमें हमारे लक्ष्य और जीवन के उद्देश्य की याद दिलाता है।
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image credit: herzindagi
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