Chaitra Navratri  kanya pujan significance

Chaitra Navratri Kanya Pujan 2024: नवरात्रि में क्यों किया जाता है कन्या पूजन, जानें महत्व

नवरात्रि के दौरान भक्त माता रानी को प्रसन्न करने के लिए कन्या पूजन विधिवत रूप से करते हैं। इससे मां जल्द प्रसन्न होती हैं और उनकी कृपा बनी रहती है।&nbsp; <div>&nbsp;</div>
Editorial
Updated:- 2024-04-16, 12:05 IST

(Chaitra navratri 2024 kanya pujan significance) चैत्र नवरात्रि के दौरान नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन करने का विशेष विधि-विधान है। इस दिन कन्याओं को भोजन कराने का विशेष महत्व है। बता दें, नवरात्रि 09 अप्रैल से आरंभ हुआ और इसका समापन 17 अप्रैल को होगा। वहीं कन्या पूजन में 10 साल से अधिक उम्र की कन्याओं को नहीं बुलाना चाहिए। कन्या को भोजन कराने से पहले उनके पैर धोएं और इसके बाद उन्हें साफ आसन पर बैठाएं। कन्या के पूजन से पहले माता रानी को भोग लगाएं। आखिर में दक्षिणा भी देनी चाहिए। अब ऐसे में नवरात्रि में ही क्यों कन्या पूजन का विधान है। इसका महत्व क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

नवरात्रि में क्यों करते हैं कन्या पूजन?

Kanya pujan vidhi

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इंद्र देव ने ब्रह्मा जी के कहने पर कन्या पूजन किया था। दरअसल, माता रानी को इंद्रदेव प्रसन्न करना चाहते थे। अपनी इच्छा को लेकर इंद्रदेव ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और उनसे माता रानी को प्रसन्न करने का उपाय पूछा। ब्रह्मा जी ने इंद्रदेव से कहा कि मां आदिशक्ति को प्रसन्न करने के लिए आपको कन्या पूजन करना चाहिए और उन्हें भोजन कराना चाहिए। ब्रह्मा जी की सलाह के बाद इंद्रदेव ने माता की विधिवत पूजा-अर्चना की और उसके बाद कुंवारी कन्याओं का पूजन किया। उन्हें भोजन भी कराया। इंद्रदेव के सेवा भाव को देखकर मां आदिशक्ति प्रसन्न हुईं और उन्हें आशीर्वाद दिया। ऐसा माना जाता है कि तभी से कन्या पूजन की परंपरा शुरू हुई।

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कन्या पूजन का क्या महत्व है?

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नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। पूजन में 9 कन्याओं को ही बुलाने की परंपरा है। जिन्हें मां दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक माना जाता है। इसके साथ ही बटुक नाथ भी कन्याओं के साथ होना चाहिए। जिन्हें भैरव का स्वरूप माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त माता की विधिवत पूजा करते हैं और कन्या पूजन करते हैं। उन्हें माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है और साधक के ऊपर माता रानी की कृपा बनी रहती है। साथ ही घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

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Image Credit- herzindagi

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