अक्सर जाने-अनजाने में लोग अपने पूर्वजों के बारे में ऐसी बातें कह देते हैं जो उन्हें नहीं कहनी चाहिए। कई लोग तो अपने पूर्वजों को कोसते हैं और उनके प्रति अनादर दिखाते हैं। हिंदू धर्म और ज्योतिष के अनुसार, ऐसा करना न केवल एक पाप माना जाता है बल्कि इसके कई नकारात्मक प्रभाव भी जीवन पर पड़ते हैं। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि पितरों की बुराई करने से कौन सा पाप लगता है और कौन-कौन से दुष्प्रभाव झेलने पड़ते हैं।
हमारे पूर्वज वो कड़ी हैं जो हमें हमारी जड़ों से जोड़ती हैं। वे हमें जीवन, संस्कृति और संस्कार देते हैं। जब हम उनकी बुराई करते हैं या उनका अपमान करते हैं तो हम अपनी ही जड़ों को कमजोर करते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से हमारे पितृ नाराज हो जाते हैं जिससे पितृ दोष उत्पन्न होता है।
पितृ दोष एक ऐसी अवस्था है जिसमें पूर्वजों की आत्माएं शांत नहीं होतीं और उनका आशीर्वाद हमें नहीं मिल पाता। इस दोष के कारण जीवन में कई तरह की परेशानियां आने लगती हैं। यह एक तरह से प्रकृति के नियम के विरुद्ध जाना है, क्योंकि हम उस स्रोत का अनादर करते हैं जहां से हम आए हैं।
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पूर्वजों की बुराई करने से व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ये समस्याएं सिर्फ आध्यात्मिक नहीं होतीं, बल्कि व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन पर भी इनका गहरा असर पड़ता है।
पितृ दोष के कारण धन से जुड़ी परेशानियां बढ़ सकती हैं। नौकरी में तरक्की रुक सकती है, व्यापार में नुकसान हो सकता है और घर में पैसा टिक नहीं पाता। ऐसा लगता है जैसे घर में लक्ष्मी का वास नहीं है।
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परिवार के सदस्यों के बीच अक्सर छोटी-छोटी बातों पर झगड़े होते हैं। रिश्तों में दूरियां बढ़ जाती हैं और शांति का माहौल खत्म हो जाता है। घर में नकारात्मक ऊर्जा का वास होता है, जिससे मन हमेशा अशांत रहता है।
बिना किसी स्पष्ट कारण के घर में कोई न कोई सदस्य बीमार रहता है। स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ता जाता है और इलाज का असर भी कम होता है। संतान प्राप्ति में बाधा आ सकती है या संतान होने पर भी उनका व्यवहार अच्छा नहीं रहता।
बच्चे कहना नहीं मानते और उनसे संबंध अच्छे नहीं रहते। व्यक्ति हमेशा किसी न किसी तनाव में रहता है। मन में बेचैनी, निराशा और उदासी बनी रहती है, जिससे जीवन में कोई खुशी महसूस नहीं होती।
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अगर आप अनजाने में ऐसा करते हैं तो इससे बचने के लिए अपने पूर्वजों से मन ही मन क्षमा मांगें। उनसे प्रार्थना करें कि वे आपके अपराध को माफ कर दें। अमावस्या या पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों का तर्पण करें।
इससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है। हमेशा अपने पूर्वजों का सम्मान करें और उनके बारे में अच्छी बातें सोचें और बोलें। अपने पूर्वजों के नाम से गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराएं। यह एक तरह का पुण्य कार्य है जो पितृ दोष को कम करता है।
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image credit: herzindagi
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