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2nd Day of Navratri Vrat Katha 2025: चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन पढ़ें मां ब्रह्मचारिणी की कथा, सुख-सौभाग्य में हो सकती है वृद्धि

Navratri Vrat Katha 2025: हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधिवत रूप से की जाती है। अब ऐसे में इस दिन अगर आप इस दिन व्रत रख रहे हैं तो कथा जरूर सुनें। आइए इस लेख में विस्तार से मां ब्रह्मचारिणी की व्रत कथा के बारे में जानते हैं।
Editorial
Updated:- 2025-03-30, 17:46 IST

हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विशेष महत्व है। मां ब्रह्मचारिणी को ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है। उनकी पूजा करने से भक्तों को सुख-समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है और व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी हो सकती है। मां ब्रह्मचारिणी ज्ञान और बुद्धि प्रदान करने वाली देवी हैं। उनकी पूजा करने से विद्यार्थियों और ज्ञान के साधकों को विशेष लाभ मिलता है। आपको बता दें, मां ब्रह्मचारिणी तपस्या और संयम का प्रतीक हैं। उनकी पूजा करने से भक्तों में तप और संयम की शक्ति बढ़ती है। अब ऐसे में चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की कथा पढ़ने का महत्व है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से व्रत कथा के बारे में जानते हैं।

चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन पढ़ें मां ब्रह्मचारिणी की व्रत कथा (Maa Brahmacharini Vrat Katha)

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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी का जन्म पर्वतराज हिमालय के घर हुआ था। नारद मुनि के उपदेश से प्रेरित होकर, उन्होंने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या आरंभ की। उनकी कठिन तपस्या के कारण ही उन्हें ब्रह्मचारिणी कहा जाता है।

देवी ने अपनी तपस्या के पहले हजार वर्षों तक केवल फल और फूल खाकर बिताए, फिर सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर शाक पर जीवन निर्वाह किया। इसके बाद, उन्होंने वर्षा और धूप की परवाह किए बिना अपनी तपस्या जारी रखी। कई हजार वर्षों तक, उन्होंने केवल टूटे हुए बिल्वपत्र खाए और निरंतर भगवान शिव की पूजा करती रहीं। अंत में, उन्होंने बिल्वपत्र खाना भी त्याग दिया और निर्जल और निराहार रहकर तपस्या में लीन हो गईं। देवी की कठोर तपस्या से उनका शरीर अत्यंत क्षीण हो गया।

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जब उन्होंने पत्ते खाना भी बंद कर दिया, तब उनका नाम अपर्णा पड़ा। देवी की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर, ऋषि, मुनि और सिद्ध गणों ने उन्हें प्रणाम किया और कहा, " हे देवी, आपको इस कठोर परिश्रम का पल जरूर मिलेगा और भगवान भोलेनाथ आपको अपने पति के रूप में जरूर स्वीकार करेंगे।

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मां ब्रह्मचारिणी की यह कथा और उनका तप इतना अद्भुत है कि भक्तों को इस कथा को सुनने मात्र से उनके समान ही तप करने की प्रेरणा और मनोबल प्राप्त होता है। माता की आराधना करने से जीवन में संयम, बल, सात्विक और आत्मविश्वास की वृद्धि होती है।

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Image Credit- HerZindagi

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