tulsi vivah 2024 ka stotra

Tulsi Vivah Stotra Path 2024: तुलसी विवाह के दिन करें इस स्तोत्र का पाठ, सुख-समृद्धि का होगा घर में वास

तुलसी विवाह के दिन तुलसी माता और शालिग्राम भगवान की पूजा की जाती है। तुलसी विवाह के दिन तुलसी पूजा करने से सुख-समृद्धि, धन-संपदा और ऐश्वर्य का घर में वास होता है। 
Editorial
Updated:- 2024-11-12, 12:22 IST

तुलसी विवाह इस साल 13 नवंबर, दिन बुधवार यानी कि कार्तिक माह की द्वादशी तिथि के दिन मनाया जाएगा। तुलसी विवाह के दिन तुलसी माता और शालिग्राम भगवान की पूजा की जाती है। तुलसी विवाह के दिन तुलसी पूजा करने से सुख-समृद्धि, धन-संपदा और ऐश्वर्य का घर में वास होता है। इसके अलावा, तुलसी की आराधना करने से सकारात्मकता भी जीवन में बढ़ती है एवं ग्रह दोष, वास्तु दोष, पितृ दोष आदि दूर हो जाते हैं।

इसके अलावा तुलसी विवाह के दिन तुलसी स्तोत्र का पाठ करना भी बहुत शुभ माना जता है। तुलसी विवाह के दिन तुलसी स्तोत्र का पाठ करने से जीवन में तरक्की के मार्ग खुलते हैं। वैवाहिक जीवन की बाधाएं दूर हो जाती हैं। इसके अलावा तुलसी स्तोत्र के पाठ से मां लक्ष्मी की असीम कृपा प्राप्त होती है और घर की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होता है। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं तुलसी माता के स्तोत्र के बारे में।

तुलसी स्तोत्र का पाठ

जगद्धात्रि नमस्तुभ्यं विष्णोश्च प्रियवल्लभे । यतो ब्रह्मादयो देवाः सृष्टिस्थित्यन्तकारिणः ॥१॥
नमस्तुलसि कल्याणि नमो विष्णुप्रिये शुभे । नमो मोक्षप्रदे देवि नमः सम्पत्प्रदायिके ॥२॥

tulsi stotra path ka jap

तुलसी पातु मां नित्यं सर्वापद्भ्योऽपि सर्वदा । कीर्तितापि स्मृता वापि पवित्रयति मानवम् ॥३॥
नमामि शिरसा देवीं तुलसीं विलसत्तनुम् । यां दृष्ट्वा पापिनो मर्त्या मुच्यन्ते सर्वकिल्बिषात् ॥४॥

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तुलस्या रक्षितं सर्वं जगदेतच्चराचरम् । या विनिहन्ति पापानि दृष्ट्वा वा पापिभिर्नरैः ॥५॥
नमस्तुलस्यतितरां यस्यै बद्ध्वाञ्जलिं कलौ । कलयन्ति सुखं सर्वं स्त्रियो वैश्यास्तथाऽपरे ॥६॥

तुलस्या नापरं किञ्चिद् दैवतं जगतीतले । यथा पवित्रितो लोको विष्णुसङ्गेन वैष्णवः ॥७॥
तुलस्याः पल्लवं विष्णोः शिरस्यारोपितं कलौ । आरोपयति सर्वाणि श्रेयांसि वरमस्तके ॥८॥

तुलस्यां सकला देवा वसन्ति सततं यतः । अतस्तामर्चयेल्लोके सर्वान् देवान् समर्चयन् ॥९॥
नमस्तुलसि सर्वज्ञे पुरुषोत्तमवल्लभे । पाहि मां सर्वपापेभ्यः सर्वसम्पत्प्रदायिके ॥१०॥

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इति स्तोत्रं पुरा गीतं पुण्डरीकेण धीमता । विष्णुमर्चयता नित्यं शोभनैस्तुलसीदलैः ॥११॥
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी । धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमनःप्रिया ॥२॥

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लक्ष्मीप्रियसखी देवी द्यौर्भूमिरचला चला । षोडशैतानि नामानि तुलस्याः कीर्तयन्नरः ॥१३॥
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत् । तुलसी भूर्महालक्ष्मीः पद्मिनी श्रीर्हरिप्रिया ॥१४॥

tulsi stotra path ka mahatva

तुलसि श्रीसखि शुभे पापहारिणि पुण्यदे । नमस्ते नारदनुते नारायणमनःप्रिये ॥१५॥
॥ श्रीपुण्डरीककृतं तुलसीस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

आप भी इस लेख में दी गई अजनाकारी के माध्यम से यह जान सकते हैं कि आखिर तुलसी विवाह के दिन कौन से स्तोत्र का पाठ करना चाहिए और क्या हैं उससे मिलने वाले लाभ।

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image credit: herzindagi

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