Sharad Purnima 2025: हर साल अश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है। इसे कोजागिरी पूर्णिमा, अश्विन पूर्णिमा और रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी, भगवान विष्णु और चंद्र देवता की पूजा की जाती है; ऐसे में अगर आप भी शरद पूर्णिमा की पूजा के लिए जरूरी सामान की तलाश में हैं तो यहां बताई गई चीजें काम आ सकती हैं। शरद पूर्णिमा की पूजा के लिए, देवी लक्ष्मी और भगवान कृष्ण की पोषाक, कलश, पवित्र जल, रोली, चंदन, अक्षत, फूल, धूप, दीये और तेल/घी जैसी आवश्यक सामग्री का होना जरूरी है; जिनमें से कुछ विकल्प आपको यहां देखने को मिल जाएंगे।
Sharad Purnima 2025 की पूजा के लिए काम आएंगी ये सामग्री!
6 अक्टूबर 2025 को अगर आपको भी करनी है Sharad Purnima की पूजा तो जरूरी सामान की ये सूची आ सकती है आपके काम। देखिए विकल्प और जाने उनका महत्व।
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Partish Radha Krishna Heavy Dress
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ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को भगवान कृष्ण ने वृंदावन में राधा और गोपियों के साथ दिव्य महा रास लीला रचाई थी। यह दिन आत्मा और परम परमात्मा के आनंदमय मिलन का प्रतीक है, जो आध्यात्मिक प्रेम और भक्ति की पराकाष्ठा का प्रतीक है। इसके लिए आप राधा-कृष्ण की यह पोशाक ले सकते हैं। इसे सुंदर शिल्प कौशल के साथ तैयार किया गया है, जिसमें नाज़ुक कढ़ाई, पारंपरिक रूपांकन और प्रीमियम रेशमी कपड़ा शामिल है। कृष्ण के लिए पटका और धोती, और राधा के लिए लहंगा और चुनरी उनके शाश्वत प्रेम और भक्ति को दर्शाने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। इसका रेशमी चमकदार कपड़ा एक शाही स्पर्श जोड़ता है, जो हिंदू संस्कृति में उनके दिव्य बंधन और आध्यात्मिक महत्व को उजागर करता है।
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कोजागिरी पूर्णिमा की पूजा में सुगंध का विशेष महत्व है क्योंकि यह पवित्रता का प्रतीक है, सकारात्मक दिव्य ऊर्जा को आकर्षित करती है और पूजा के लिए एक पवित्र वातावरण बनाने में मदद करती है। सुगंध हिंदू अनुष्ठानों का एक अभिन्न अंग है, और सुगंध (अर्पित करना देवताओं के प्रति सम्मान और भक्ति दिखाने का एक तरीका है। इसके लिए इत्र का यह सेट काम आ सकता है। 1 00% अल्कोहल मुक्त इस इत्र परफ्यूम में आपको लाल चंदन, चमेली, कस्तूरी और गुलाब की खुशबू मिल जाएगी। स्प्रे बॉटल में आने की वजह से इसे लगाना भी आसान हो जाएगा।
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Hari Darshan Premium Chandan Tika
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इस दिन की पूजा के लिए चंदन का लेप महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इसमें पवित्रता, शुभता और शीतलता से जुड़े शक्तिशाली गुण होते हैं जो त्योहार की ऊर्जाओं के अनुरूप होते हैं। इसे देवताओं को अर्पित करने के लिए पवित्र प्रसाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है और देवी लक्ष्मी और भगवान कृष्ण की पूजा के दौरान भक्त इसे तिलक के रूप में लगाते हैं। इस पेस्ट को शुद्ध चंदन से बनाया गया है जो आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ा सकता है। शुद्धता और प्रभावशीलता को बनाए रखने के लिए इसे पारंपरिक तरीकों का उपयोग करके तैयार किया गया है, जो एक प्रामाणिक सुगंध सुनिश्चित करता है।
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पूजा के लिए कपूर भी काफी जरूरी माना जाता है। यह अहंकार के नाश और वातावरण की शुद्धि का प्रतीक है। शरद पूर्णिमा के दौरान इसका प्रयोग चंद्रमा की पूजा के लिए पवित्र वातावरण को बढ़ाता है, जो इस त्योहार का केंद्र बिंदु है। यह भीमसेनी कपूर प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त है और हानिकारक रसायनों या योजकों से मुक्त है, जो इसे धार्मिक उपयोग और समग्र स्वास्थ्य के लिए आदर्श बनाता है। भीमसेनी कपूर की शक्तिशाली सुगंध न केवल घर के अंदर की हवा को शुद्ध करती है, बल्कि एक प्राकृतिक मच्छर भगाने वाली दवा के रूप में भी काम करती है, जो एक स्वस्थ और अधिक स्वच्छ वातावरण में योगदान देती है।
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कोजागिरी पूर्णिमा की पूजा में गंगाजल का उपयोग उसकी अपार आध्यात्मिक शुद्धता के लिए किया जाता है, ऐसा माना जाता है कि यह पापों का नाश करता है, उपासक और पर्यावरण को शुद्ध करता है, और ईश्वर से आध्यात्मिक जुड़ाव को बढ़ाता है। इसके लिए आप देवप्रयाग से प्राप्त इस गंगाजल का इस्तेमाल कर सकते हैं। देवप्रयाग में भागीरथी नदी, अलकनंदा और गुप्त सरस्वती नदी मिलकर गंगाजी बनाती हैं। 100ml की मात्रा में आने वाला यह गंगाजल कांच की शीशी में पैक किया गया है।
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Faq's
- इस बार शरद पूर्णिमा की पूजा का मुहूर्त क्या है?+शरद पूर्णिमा की तिथि 6 अक्टूबर दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से शुरू होगी और तिथि का समापन 7 अक्टूबर की सुबह 9 बजकर 16 मिनट पर होगा। तो उदयातिथि के मुताबिक, शरद पूर्णिमा 6 अक्टूबर को ही मनाई जा रही है। पंचांग के अनुसार, खीर रखने का मुहूर्त 6 अक्टूबर रात 10 बजकर 37 मिनट से शुरू होकर रात 12 बजकर 09 मिनट तक रहेगा, जो कि सबसे शुभ और लाभकारी मुहूर्त माना जा रहा है।
- इस दिन किस भगवान की पूजा की जाती है?+शरद पूर्णिमा के दिन मुख्य रूप से देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। मान्यता है कि इस रात देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जो भक्त जागरण कर उनकी पूजा करते हैं, उन्हें धन, सुख-समृद्धि और वैभव का आशीर्वाद देती हैं। यह रात चंद्रमा की सोलह कलाओं से युक्त होने के कारण बहुत विशेष होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात ही भगवान कृष्ण ने वृंदावन में गोपियों के साथ महारास किया था, इसलिए कई जगहों पर भगवान कृष्ण की पूजा का भी महत्व है।
- कोजागिरी पूर्णिमा पर खीर क्यों बनाई जाती है?+शरद पूर्णिमा पर खीर बनने का कारण यह है कि यह माना जाता है कि चंद्रमा की अमृत किरणों से खीर शुद्ध और अमृतमय हो जाती है, जिससे स्वास्थ्य लाभ होता है और धन की कमी दूर होती है, साथ ही माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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