<span style="font-size: 10px;">श्री बजरंगबली के भक्‍त तो पूरी दुनिया में मौजूद हैं और हर भक्‍त को हनुमान जी जन्‍मदिन का इंतजार होता है। इस बार हनुमान जयंती 6 अप्रैल के दिन पड़ रही है। हनुमान जी के जन्‍मदिन को सभी अपने-अपने अंदाज में मनाते हैं। आज हम आपको इस अवसर पर बताएंगे कि हनुमान जी के कितने स्‍वरूप होते हैं और कौन से स्‍वरूप का क्‍या महत्‍व होता है। </span> <span style="font-size: 10px;">इसे जरूर पढ़ें-<a href="https://www.herzindagi.com/hindi/society-culture/hanuman-jayanti-2023-wishes-quotes-messages-greetings-images-and-whatsapp-status-article-227195" target="_blank">Hanuman Jayanti Wishes & Quotes in Hindi: हनुमान जयंती पर अपनों को भेजें ये शुभकामनाएं और बधाई संदेश</a></span>
हनुमान जी भगवान श्री राम के सबसे बड़े भक्त थें। वो उन्हें अपना आराध्य मानते थे और उनकी पूजा करते थें। हनुमान जी की यह भक्ती हमें भी यह आस्था रखने पर मजबूर कर देती है कि आप जिन लोगों को अपना आदर्श मानते हैं उनके प्रति आपकी भावनाएं एक भक्त की होनी चाहिए।
हनुमान जी में सेवा भाव कूट-कूट कर भरा हुआ था। वह भगवान श्री राम और सीता माता के सेवक भी थे। इतना ही नहीं, जब श्री राम जी का वक्त वैकुंठ लौटने का आया तो अपनी अयोध्या की जिम्मेदारी श्री राम अपने भक्त एवं सेव श्री हनुमान जी को ही सौंप गए थे। ऐसा कहा जाता है कि हनुमान जी आज भी एक सेवक के तौर पर भगवान श्री राम की अयोध्या की निगरानी कर रहे हैं।
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हनुमान जी का वीर स्वरूप हम सभी ने देखा है। वह अपने बल से पूरा पहाड़ ही उठा लाए थे और अपनी सूज-बूझ से पूरी लंका में आग लगा दी थी। ऐसे में जब हम श्री हनुमान जी के वीर स्वरूप की कल्पना करते हैं या फिर उनकी पूजा करते हैं, तो इससे हमारा भय दूर होता है।
भगवान हनुमान का सूर्यमुखी स्वरूप भगवान सूर्य को समर्पित है। हनुमान जी सूर्य देव को अपना गुरु मानते हैं और इसलिए सूर्यमुखी हनुमान जी की उपासना से आपको ज्ञान, ख्याति और उन्नति की प्राप्ती के साथ ही सम्मन भी प्राप्त होता है और इससे आपको सूर्य के समान ऊर्जा प्राप्त होती है।
दक्षिण की ओर जब भगवान श्री हनुमान जी मुंह होता है, तब उन्हें दक्षिणमुखी कहा जाता है। वैसे भगवान नृसिंह का मुख भी दक्षिणमुखी होता है। अगर आप दक्षिणमुखी हनुमान जी की पूजा करती हैं तो आपके जीवन में भय, संकट और चिंता दूर हो जाती है।
देवताओं की दिशा ही उत्तर होती है। अगर आप किसी मंगल कार्य करने जा रहे हैं, तो आपको उत्तर दिशा की ओर मुख किए हुए हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। इससे आपको ऐश्वर्य और प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है।
श्री राम और लक्ष्मण की रावण से युद्ध के दौरान रक्षा करने के लिए हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धारण किया था। इस स्वरूप में उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण में दिशा में नरसिंह का मुख, पश्चिम में गरुड़ का मुख और आकाश की तरफ हयग्रीव का मुख एवं पूर्व की ओर हनुमान जी का मुख देखने को मिलता है। पंचमुखी हनुमान जी उन्नति की राह में आने वाली बाधाओं को दूर करते हैं। अगर आपके घर का माहौल ठीक नहीं है तो पंचमुखी हनुमान जी की पूजा करने पर सारी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
यह हनुमान जी का एक ऐसा स्वरूप है, जिसमें उन्हें आप क्रोध में देखेंगे। इनकी पूजा नहीं की जाती है मगर हनुमान जी के इस रूप से आपको भय लगेगा। ऐसा तब होगा, जब आपने ज्ञानवश कोई अपराध किया होगा और आप उसके लिए पशच्याताप भी नहीं करना चाहते होंगे, तब आपको हनुमान जी के रुद्र रूप का सामना करना पड़ेगा
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