
Mysteries of Kashi: काशी उर्फ बनारस, एक ऐसा शहर जिसने प्राचीन सभ्यता को देखा है। बनारस को दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक माना जाता है और ऐसा दावा किया जाता है कि इसे रोम से भी पहले बसाया गया था। काशी को लेकर बहुत सारी बातें की जाती हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस प्राचीन से जुड़े पौराणिक रहस्य क्या हैं? आज हम आपको बताने जा रहे हैं काशी के बारे में कुछ ऐसे रहस्य जो पौराणिक कथाओं से जुड़े हुए हैं।


काशी से जुड़ी सबसे पुरानी मान्यता ये है कि इस नगरी को शिव के त्रिशूल पर बसाया गया है। शिव ने अपने त्रिशूल को सामने किया और उसके बाद काशी नगरी का निर्माण हुआ। यही कारण है कि इस नगरी को हिंदू धर्म के लिए बहुत विशेष माना जाता है।

ऐसी मान्यता है कि महादेव को काशी स्थान इतना प्रिय है कि उन्होंने विष्णु जी से इसे अपने निजी स्थान बनाने के लिए मांग लिया और तब से ही महादेव काशी में निवास करते हैं।
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ऐसा माना जाता है कि काशि से ही हिंदू धर्म की स्थापना हुई थी और यही संस्कृति का केंद्र है। पर इस शहर में मुस्लिम, जैन, पारसी, यहूदी, जापानी बौद्ध आदि लोग रहते हैं।

काशी, बनारस और वाराणसी को ही लोग जानते हैं, लेकिन असल मायने में प्राचीन काल में इसके कई नाम हुआ करते थे। ये थे अविमुक्ता, आनंदवन, रुद्रावास, महाशमशान। कई लोग ये नहीं जानते, लेकिन इसे मोक्ष का शहर माना जाता है और इसलिए इसे महाशमशान नाम भी दिया गया था।

काल भैरव को बनारस का चौकीदार माना जाता है। काल भैरव का मंदिर काफी छोटा है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि इसकी मान्यता भी छोटी है। माना जाता है कि काल भैरव के दर्शन के बिना आत्मा का स्वर्ग में जाने का रास्ता पूरा नहीं हो पाता है। अगर किसी को मोक्ष चाहिए तो उसके लिए काल भैरव के दर्शन जरूरी है।

बनारस के एक और रहस्य में शुमार है लोलार्क कुंड का पानी। इसमें पानी ना तो बारिश से आता है ना ही किसी तालाब या जलस्त्रोत से। माना जाता है कि इस कुंड का पानी पाताल लोक से भरता है। स्कंद पुराण में भी इसका जिक्र है और सूर्य कुंड भी इसे कहा जाता है क्योंकि शुक्ल पक्ष के भाद्रपद में इस कुंड में सूरज की किरणें पड़ती हैं और बालासन योग जैसी आकृति पड़ती है। माना जाता है कि जो महिला इस समय यहां नहाती है उसे संतान सुख प्राप्त होता है।
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बनारस में एक धनवंतरी कूप है जो मृत्युंजय महादेव मंदिर के पास है। माना जाता है कि अगर कोई इस कूप का पानी 45 दिनों तक पी लेता है तो उसकी बीमारी ठीक हो जाती है। ऐसा माना जाता है कि वैद्य धनवंतरी ने इस कूप में कई सालों तक तपस्या की थी और उनकी तपस्या के कारण ही ऐसा फल मिलता है। इस पानी की खासियत ये है कि आठ घाट में आठ अलग स्वाद का पानी है।

ये बनारस से जुड़े सबसे अनोखे रहस्य में से एक है। बनारस को मानव शरीर की तरह बनाया गया है और यहां पर मान्यता के अनुसार 72 हज़ार शक्ति स्थलों यानी मंदिरों का निर्माण किया था। मानव शरीर में भी इतनी ही नाड़ी होती है और इसलिए मंदिरों को बनाया गया है। दरअसल, अलग-अलग मंदिरों में काशी में कई सारे कोने बनाए गए और ऐसा माना जाता है कि ये सभी जुड़कर 72000 हो जाएंगे।

सदगुरू ने अपने एक भाषण में बताया था कि स्वयं भगवान शिव ने सप्तऋषि पूजा का रहस्य ऋषियों को बताया था और पहली पूजा भी इसी तरह से हुई थी। आने वाले काल में इस पूजा की विधि तो सबने समझ ली, लेकिन इसका अर्थ कोई नहीं समझ पाया। ये पूजा किस लिए की जाती है इस सवाल का जवाब कई लोग गोल-गोल देंगे, लेकिन असल में इसका राज़ शिव और असल सप्तऋषियों को ही पता था।
काशी नगरी बहुत ही विचित्र है और इसका इतिहास उतना ही समृद्ध। काशी के बारे में ये जानकारी आपको कैसी लगी ये हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।