शारदीय नवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो देवी मां के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा के लिए समर्पित है। नवरात्रि के इन नौ दिनों में, भक्त देवी मां के विभिन्न रूपों की पूजा करते हैं और उपवास रखते हैं। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। मान्यता है कि इन नौ दिनों में देवी मां ने असुरों का वध करके धर्म की रक्षा की थी। नवरात्रि को नई शुरुआत का भी प्रतीक माना जाता है।
इस दौरान लोग नए काम शुरू करते हैं और अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करते हैं। आपको बता दें, हिंदू पंचांग में नवरात्रि को विशेष महत्व दिया गया है। यह त्योहार चंद्रमा की गति और सूर्य की स्थिति के आधार पर निर्धारित किया जाता है। नवरात्रि के दौरान, देवी मां की पूजा के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान भी किए जाते हैं। नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना की जाती है। इसमें एक कलश को विशेष विधि से स्थापित किया जाता है।
नवमी के दिन कन्या पूजन किया जाता है। मान्यता है कि कन्याओं में देवी मां का वास होता है। नवरात्रि के दौरान अखंड दीपक जलाया जाता है। भक्त देवी मां के भजन-कीर्तन करते हैं। वहीं इस साल शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से आरंभ हो रहा है और इसका समापन 12 अक्टूबर को होगा। अब ऐसे में नवरात्रि के दौरान माता रानी का पूजा से पहले नारियल में कलावा क्यों लपेटा जाता है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
नवरात्रि के दौरान नारियल में क्यों लपेटा जाता है नारियल?
नारियल को माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। माना जाता है कि नवरात्रि के दौरान नारियल में कलावा लपेटकर पूजा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में धन और समृद्धि आती है। कलावा को एक पवित्र धागा माना जाता है जो नकारात्मक ऊर्जा को दूर रखता है। नारियल में कलावा लपेटकर पूजा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
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मनोकामना पूर्ति के लिए लपेटा जाता है नारियल में कलावा
ऐसा माना जाता है कि माना जाता है कि नवरात्रि के दौरान नारियल में कलावा लपेटने के दौरान अपनी मनोकामना बोलने से मनोकामनाएं जल्द पूरी होती हैं। साथ ही सुख-समृद्धइ का आशीर्वाद भी मिलता है।
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देवी-देवताओं का करते हैं आह्वान
नवरात्रि के दौरान नारियल में कलावा लपेटने से देवी-देवताओं का आह्वान किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि नारियल में तीन नेत्र होते हैं जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माने जाते हैं। नारियल के तीन भाग होते हैं - भूख, प्यास और अग्नि। ये तीनों ही जीवन के लिए आवश्यक हैं। नारियल के अंदर का पानी अमृत के समान माना जाता है।
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Image Credit- HerZindagi
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