वरलक्ष्मी व्रत का हिंदू धर्म में बहुत खास महत्व है। यह व्रत विशेष रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा अपने परिवार की सुख-समृद्धि, सौभाग्य और ऐश्वर्य के लिए रखा जाता है। 'वर' का अर्थ है वरदान और 'लक्ष्मी' का अर्थ है धन की देवी, इसलिए यह व्रत देवी लक्ष्मी के उस रूप को समर्पित है जो अपने भक्तों को वरदान देती हैं। माना जाता है कि इस व्रत को करने से न केवल धन-धान्य की प्राप्ति होती है बल्कि घर में सुख-शांति भी बनी रहती है और सभी तरह की दरिद्रता दूर होती है।
इस व्रत को करने वाली महिलाओं को अष्टलक्ष्मी यानी धन, वैभव, संतान, विद्या, सुख, सौभाग्य, वीरता और साहस जैसी आठ प्रकार की लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है। सावन माह के शुक्ल पक्ष के आखिरी शुक्रवार से वर लक्ष्मी व्रत शुरू होता है। कल यानी कि 8 अगस्त को सावन का अंतिम शुक्रवार है ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं वरलक्ष्मी व्रत की पूजा विधि, सामग्री, मंत्र और कथा के बारे में।
वर लक्ष्मी व्रत 2025 पूजा सामग्री
अगर आप वरलक्ष्मी व्रत रख रही हैं तो आपको इन सामग्रियों की आवश्यकता होगी:
- एक लकड़ी की चौकी
- लाल या पीले रंग का कपड़ा
- एक कलश चांदी, तांबे या मिट्टी का
- हल्दी
- कुमकुम
- चंदन
- अक्षत यानी कि साबुत चावल,
- फूल
- आम या पान के पत्ते
- नारियल
- फल
- मिठाई
- दीया
- अगरबत्ती
- धूप
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर का मिश्रण)
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वर लक्ष्मी व्रत 2025 पूजा विधि
वर लक्ष्मी व्रत को सफल बनाने के लिए आप इस विधि से पूजा कर सकती हैं:
वरलक्ष्मी व्रत की पूजा विधि बहुत ही सरल है। पूजा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
इसके बाद, पूजा घर में एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं और उस पर चावल का ढेर रखें।
अब कलश को पानी से भरकर उस पर आम या पान के पत्ते लगाएं और ऊपर नारियल रखें।
कलश को चावल के ढेर पर रखकर इसे मां वरलक्ष्मी का प्रतीक मानें।
इसके बाद, कलश पर हल्दी, कुमकुम और चंदन का तिलक लगाएं। फिर, फूल और हार चढ़ाएं।
मां को फल, मिठाई और पंचामृत का भोग लगाएं। दीया और अगरबत्ती जलाकर वरलक्ष्मी व्रत की कथा पढ़ें या सुनें।
अंत में, आरती करें और परिवार के सदस्यों के बीच प्रसाद बांटें।
वर लक्ष्मी व्रत 2025 पूजा मंत्र
वर लक्ष्मी व्रत की पूजा के दौरान इन मंत्रों का जाप करना शुभ रहेगा:
ॐ ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः। यह मंत्र धन, समृद्धि और सौभाग्य लाने वाला माना जाता है।
ॐ श्रीं श्रीयै नमः' या 'ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्न्यै च धीमहि। तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्। इससे पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है।
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वर लक्ष्मी व्रत 2025 व्रत कथा
कथा के अनुसार, एक बार मगध राज्य में चारुमती नाम की एक धर्मपरायण महिला रहती थी। वह बहुत ही सुशील और अपने पति की सेवा करने वाली थी। एक बार उसके सपने में देवी लक्ष्मी आईं और उन्होंने उसे श्रावण मास के शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को वरलक्ष्मी व्रत करने को कहा। देवी ने चारुमती को इस व्रत का महत्व समझाया और बताया कि इसे करने से घर में सुख-समृद्धि आती है।
चारुमती ने देवी के कहे अनुसार विधि-विधान से यह व्रत किया, जिससे उसे और उसके परिवार को बहुत धन-धान्य और खुशियां मिलीं। इस कथा से यह प्रेरणा मिलती है कि जो कोई भी श्रद्धापूर्वक इस व्रत को करता है, उसे मां लक्ष्मी का आशीर्वाद जरूर मिलता है।
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