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Pitru Paksha 2025 Bhog Niyam : पितरों के भोग में तुलसी का पत्ता डालना चाहिए या नहीं? पंडित जी से जानिए सही परंपरा

Pitru Paksha 2025 में पितरों के भोग में तुलसी पत्र डालने को लेकर अक्सर भ्रम की स्थिति रहती है। जानिए पंडित सौरभ त्रिपाठी से, क्या तुलसी का पत्ता श्राद्ध भोग में रखना सही है और इसके धार्मिक, आध्यात्मिक व शास्त्रों में बताए गए महत्व के बारे में पूरी जानकारी।
Editorial
Updated:- 2025-09-09, 20:29 IST

श्राद्ध पक्ष में पितरों को भोग लगाने का विशेष महत्‍व बताया गया है। मगर क्‍या पितरों के भोग में तुलसी का पत्‍ता डालना चाहिए? इस बात को लेकर बहुत ज्‍यादा मत देखने को मिलते हैं। मगर प्रश्‍न यह उठता है कि जब किसी व्‍यक्ति की मृत्‍यु होती है तब उसे मोक्ष की प्राप्ति हो इसके लिए उसके मुंह में तुलसी का पत्‍ता रखा जाता है, तो फिर श्राद्ध पक्ष में पितरों को आमंत्रण देकर जब हम भोजन के लिए बुलाते हैं तब उनके भोग में तुलसी का पत्‍ता रखने में क्‍या हिचकिचाहट होनी चाहिए? इस प्रश्‍न का जवाब अधिकतर लोग जानना चाहते हैं, इसलिए हमने ज्‍योतिषाचार्य एंव पंडित सौरभ त्रिपाठी से इस बारे में बात की। वह कहते हैं, "पितरों के भोजन में तुलसी दल रखने में आपको हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए। तलसी का पत्‍ता बहुत ही पवित्र होता है और यह देवी लक्ष्‍मी और भगवान विष्‍णु का प्रतीक है। ऐसे में अगर आप पितरों के भोग में तुलसी रखेंगी, तो उनका भोग और भी ज्‍यादा दिव्‍य हो जाएगा।"

पितरों के भोग में तुलसी रखने से क्‍या होता है?

पितृपक्ष में पितरों को तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान अर्पित करना हिंदू परंपरा का महत्वपूर्ण अंग है। इन धार्मिक कर्मों में एक विशेष तत्व का उल्लेख बार-बार किया जाता है और वह है तुलसी पत्र। ऐसा माना जाता है कि पितरों को अर्पित किए जाने वाले भोजन या पिंड में यदि तुलसी का पत्ता शामिल हो, तो वह अन्न दिव्य और पवित्र बन जाता है।

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tulsi leaf in pitru paksha bhog importance

पंडित जी कहते हैं, " गरुड़ पुराण में भी स्पष्ट उल्लेख है कि यदि पिंडदान या श्राद्ध भोज में तुलसी दल का प्रयोग किया जाए, तो पितरों को अक्षय तृप्ति प्राप्त होती है। इसका अर्थ है, उन्हें स्थायी संतोष और शांति प्राप्त होती है, जिससे उनका मोक्ष पथ सुगम होता है।"

तुलसी को केवल एक पौधा नहीं, बल्कि देवी के रूप में पूजा जाता है। इसमें औषधीय और आध्यात्मिक गुण होते हैं, जो भोजन को शुद्ध, सात्विक और ऊर्जा से भरपूर बना देते हैं। यही कारण है कि पिंडदान के अन्न में तुलसी पत्र अनिवार्य रूप से रखा जाता है।

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एक और धार्मिक मान्यता के अनुसार, तुलसी पत्र पितरों तक श्राद्ध का प्रसाद शीघ्र पहुंचाने वाला माध्यम होता है। तुलसी की आध्यात्मिक ऊर्जा पितृलोक तक भोजन की भावनाओं को पहुंचाने में सहायक मानी जाती है।

इसलिए यह कहा जाता है कि बिना तुलसी पत्र के पिंडदान अधूरा रहता है। यह न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण परंपरा है, जो पीढ़ियों से चली आ रही है।

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अत: श्राद्ध पक्ष में पितरों को श्रद्धा व भाव से उनकी पसंद का भोजन अर्पित करने का विधान है। यदि आप चाहती हैं कि पितृपक्ष के कर्म पूर्ण और प्रभावी हों, तो तुलसी पत्र को भोग में अवश्य शामिल करें। यह न केवल परंपरा का पालन करना है , बल्कि पितरों के प्रति प्रेम अभिव्‍यक्‍त करना भी है। यह जानकारी आपको पसंद आई हो तो इस लेख को शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी धार्मिक लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

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