भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया में ऐसे कई मंदिर हैं जो बहुत रहस्यमयी हैं। इन्हीं में से एक मंदिर ऐसा भी जहां लोग जीवन नहीं बल्कि मृत्यु मांगने जाते हैं, सुख-समृद्धि नहीं बल्कि मुक्ति मांगने जाते हैं और ऐसा माना जाता है कि वाकई यहां लोगों की ये मनोकामना पूरी भी हो जाती है। चलिए जानते हैं ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से इस मंदिर के रहस्य और इस मंदिर में पूजे जाने वाले देवता के बारे में।
किस मंदिर में लोग मृत्यु मांगने आते हैं और क्यों?
जिसे भगवान महाकाल की नगरी कहा जाता है, वहां एक ऐसा अनोखा मंदिर है जहां लोग मृत्यु मांगने आते हैं। यह सुनकर थोड़ा अजीब लग सकता है लेकिन इस मंदिर का एक गहरा आध्यात्मिक और मानवीय पहलू है। यह मंदिर शिप्रा नदी के रामघाट पर स्थित है और इसे धर्मराज चित्रगुप्त मंदिर के नाम से जाना जाता है।
लोग यहां वास्तव में मृत्यु की कामना इसलिए नहीं करते कि वे अपना जीवन समाप्त करना चाहते हैं। बल्कि इसके पीछे एक गहरा दर्द और एक विशेष प्रकार की मुक्ति की इच्छा छिपी होती है। यह उन लोगों के लिए है जो असहनीय शारीरिक पीड़ा से जूझ रहे हैं और जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रहे हैं।
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ऐसे में उनके परिजन या स्वयं वे व्यक्ति मंदिर में आकर प्रार्थना करते हैं कि यदि उनके कष्टों से उन्हें मुक्ति नहीं मिल सकती तो उन्हें शांतिपूर्ण तरीके से इस मोहमायी दुनिया से मुक्ति मिल जाए यानी मोक्ष प्राप्त हो जाए। मान्यता है कि इस मंदिर में सच्चे मन से पूजा-अर्चना करने और घी का एक दीपक अर्पित करने से या तो व्यक्ति को चमत्कारिक रूप से स्वास्थ्य लाभ होता है और वह अपनी बीमारी से उबर जाता है।
यहां तक कि ऐसा भी माना जाता है कि इस मंदिर में पूजा करने से बीमार व्यक्ति को 24 घंटे के भीतर शांतिपूर्ण मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। यह एक तरह से ईश्वर से यह प्रार्थना है कि अगर जीवन में सुख नहीं तो कम से कम दर्द से मुक्ति मिल जाए। इस मंदिर में धर्मराज यानी कि यमराज और चित्रगुप्त देवता की पूजा होती है।
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, धर्मराज मृत्यु के देवता हैं जो प्राणियों के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं और चित्रगुप्त महाराज उनके सहायक हैं जो हर प्राणी के अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब रखते हैं। मरने के बाद यही दोनों देवता हमारे कर्मों के आधार पर स्वर्ग या नर्क का निर्णय करते हैं। इसलिए जब कोई व्यक्ति अपनी पीड़ा से मुक्ति या मोक्ष चाहता है तो वह सीधे इन्हीं देवताओं से गुहार लगाता है।
ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में आकर पूजा करने से व्यक्ति को अपने पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है। जो लोग बहुत अधिक कष्ट में होते हैं वे यह मानते हैं कि यह उनके पूर्व जन्म के कर्मों का फल है। यहां प्रार्थना करके वे उन कर्मों के बंधनों से मुक्ति की आशा रखते हैं। कई भक्त यहां अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति पाने के लिए भी आते हैं। उनका मानना है कि धर्मराज और चित्रगुप्त की कृपा से वे किसी भी अप्रत्याशित या दर्दनाक मृत्यु से बच सकते हैं।
मृत्यु की कामना के साथ-साथ, कई लोग अपनी बीमारियों और शारीरिक कष्टों से मुक्ति पाने के लिए भी यहां प्रार्थना करते हैं। कई बार ऐसा होता है कि असाध्य रोगों से ग्रस्त व्यक्ति को यहां पूजा करने के बाद आराम मिलता है। इस मंदिर में फल-फूल और मिठाई के बजाय कलम और दवात चढ़ाने की भी एक अनोखी परंपरा है। यह इसलिए क्योंकि चित्रगुप्त महाराज को लेखा-जोखा रखने वाला माना जाता है। कलम और दवात चढ़ाकर भक्त उनसे प्रार्थना करते हैं कि वे उनके जीवन के कर्मों का सही और शुभ लेखा-जोखा रखें।
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