radha ashtami  ki vrat katha

Radha Ashtami Vrat Katha 2025: राधा अष्टमी के दिन जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, राधा रानी की बनी रहेगी कृपा

हिंदू धर्म में राधा अष्टमी का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा और भक्ति से राधा रानी की पूजा करने से अपार पुण्य प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इतना ही नहीं, शास्त्रों में यह भी उल्लेख मिलता है कि राधा अष्टमी पर व्रत कथा सुनना या पढ़ना, पूजा-अर्चना जितना ही फलदायी माना जाता है। इस कथा का श्रवण या पाठ करने से भक्त के मन को शुद्धि मिलती है और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है। आइए जानें इस कथा के बारे में विस्तार से। 
Editorial
Updated:- 2025-08-29, 17:12 IST

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से राधा रानी को समर्पित होता है, जिन्हें श्रीकृष्ण की संगिनी और भक्ति की पराकाष्ठा का प्रतीक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि राधा जी का जन्म अष्टमी तिथि को हुआ था, इसलिए भक्तजन इस दिन श्रद्धा और भक्ति भाव से उनका पूजन करते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, राधा अष्टमी के दिन राधा रानी की पूजा करने से जितना पुण्य प्राप्त होता है, उतना ही शुभ और फलदायी उनकी व्रत कथा का पाठ करना भी माना जाता है। व्रत कथा सुनने से न केवल जीवन में शांति और सौभाग्य का आगमन होता है, बल्कि यह कथा भक्ति, प्रेम और समर्पण का संदेश भी देती है। इस साल राधा अष्टमी 31 अगस्त, बुधवार को मनाई जाएगी। आइए ज्योतिषाचार्य राधा कांत वत्स से जानें राधा अष्टमी की कथा के बारे में

राधा अष्टमी की व्रत कथा 

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पौराणिक कथा के अनुसार, श्री राधा रानी और श्री कृष्ण के धाम गोलोक में एक बार श्रीदामा जी पधारे जो कान्हा के परम भक्त और उनके साथी माने जाते हैं। यूं तो श्रीदामा श्री कृष्ण के साथ रहते थे लेकिन एक बार ब्रह्म ज्ञान के बारे में जानने हेतु वह गोलोक से बाहर गए।

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जब श्रीदामा वापस लौटे और कृष्ण दर्शनों के लिए उनके पास पहुंचे तब श्री राधा रानी के साथ श्री कृष्ण लीला करने में इतने लीन थे कि उन्हें श्रीदामा के आने का आभास ही नहीं हुआ। यह देख श्रीदामा बहुत दुखी हुए और उन्हें श्री राधा रानीके ऊपर भयंकर क्रोध आ गया।

radha ashtami ki katha

श्रीदामा का मानना था कि राधा रानी के कारण ही श्री कृष्ण उनसे दूर हो गए हैं। बस यही सोचते हुए उन्होंने श्री राधा रानी को यह श्राप दे दिया कि वह श्री कृष्ण से दूर हो जाएंगी और पृथ्वी पर जन्म लेंगी। असल में यह सब राधा रानी और कान्हा की ही रचाई हुई लीला थी।

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कृष्ण अवतार के दौरान प्रेम की मूल वाख्या को समझाने के लिए ही राधा रानी और श्री कृष्ण ने श्राप का यह खेल रचा ताकि कृष्ण से पहले राधा रानी का पृथ्वी पर अवतरण हो जाए। इसके बाद राधा रानी का भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन बरसाना में जन्म हुआ। 

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image credit: herzindagi 

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