image

मृत्यु तिथि नहीं है मालूम तो ये दिन हैं पितरों के श्राद्ध के लिए खास, जानें नियम

पितृ पक्ष के दौरान पूर्वजों का श्राद्ध करने के कई नियम बनाए गए हैं और ऐसे लोगों का श्राद्ध करने की सलाह भी दी जाती है जिनकी मृत्यु की तिथि का पता न हो। 
Editorial
Updated:- 2024-09-20, 19:29 IST

भारतीय संस्कृति में श्राद्ध कर्म का विशेष महत्व होता है। यह हमारे पूर्वजों के प्रति आदर और श्रद्धा दिखाने का समय होता है। ऐसी मान्यता है कि लोग इस दौरान पितरों के निमित्त श्राद्ध कर्म करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए कई कार्य करते हैं।

श्राद्ध संस्कार या तर्पण की तिथि वो होती है जिस तिथि को पूर्वजों की मृत्यु और दाह संस्कार हुआ होता है। लेकिन अगर किसी को अपने परिजन की मृत्यु की तिथि ज्ञात न हो और किसी ऐसे पूर्वज का श्राद्ध करना हो जो आपकी कुछ पीढ़ियों पहले के हों, लेकिन आपको उनकी तिथि की जानकारी न हो तब भी उनका श्राद्ध करना जरूरी माना जाता है। आइए वास्तु एक्सपर्ट डॉ मधु कोटिया से जानें किस दिन ऐसे पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है, जिनकी मृत्यु की तिथि का पता न हो।

आश्विन मास की अमावस्या

when we can do pitru paksah

आश्विन मास की अमावस्या, जिसे सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है, उन पूर्वजों के श्राद्ध के लिए सबसे उपयुक्त तिथि मानी जाती है, जिनकी मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं होती। इस दिन विशेष रूप से उन पितरों का तर्पण और श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु की तिथि का पता न हो।

यह तिथि सभी पूर्वजों को सम्मान पूर्वक याद करने का एक महत्वपूर्ण अवसर होती है। इसके अलावा, इस दिन उन पूर्वजों का भी श्राद्ध किया जा सकता है जो अविवाहित थे या जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो।

सर्वपितृ अमावस्या का यह दिन हमारे उन पितरों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एक महत्वपूर्ण समय है जिनके बारे में हम ज्यादा जानकारी नहीं रखते, लेकिन उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण करना आवश्यक होता है। इस दिन पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ पिंडदान, तर्पण, और अन्य धार्मिक कर्मकांड किए जाते हैं, ताकि पितरों की कृपा बनी रहे और उनका आशीर्वाद परिवार को मिल सके। यह हमारे पूर्वजों को आदर और सम्मान देने की एक पवित्र परंपरा का हिस्सा है।

भाद्रपद मास की अमावस्या

भाद्रपद मास की अमावस्या को भी कई लोग पितरों का श्राद्ध करने के लिए चुनते हैं। इसे मातमह अमावस्या के रूप में भी जाना जाता है।

इस विशेष दिन पर उन पूर्वजों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है, जिनकी मृत्यु तिथि परिवार के सदस्यों को ज्ञात नहीं होती। मातमह अमावस्या पितरों की आत्मा की शांति के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है खासतौर पर उन पितरों के लिए जिनकी यादें तो होती हैं, पर उनकी मृत्यु की तिथि अस्पष्ट रहती है। इस दिन श्राद्ध करना एक धार्मिक कर्म माना जाता है, जिसमें पिंडदान और तर्पण के माध्यम से पितरों को सम्मान दिया जाता है।

भाद्रपद मास की अमावस्या, विशेष रूप से उन पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने का दिन है जिनकी मृत्यु तिथि की जानकारी नहीं होती या जिनका श्राद्ध पहले नहीं किया गया हो।

यह दिन न केवल पितरों को याद करने का समय है, बल्कि उनके प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का भी अवसर है। इस परंपरा के माध्यम से, हम अपने पूर्वजों की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने की कामना करते हैं, ताकि परिवार में सुख और शांति बनी रहे।

श्राद्ध पक्ष के आखिरी दिन किया जा सकता है श्राद्ध

pitru paksha shradh rules

यदि किसी को अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि याद नहीं है, तो श्राद्ध पक्ष के अंतिम दिन श्राद्ध करना एक उचित विकल्प माना जाता है। इस दिन, जिसे सर्वपितृ अमावस्या भी कहा जाता है, उन सभी पितरों को श्रद्धांजलि दी जाती है जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं होती।

यह दिन विशेष रूप से उन आत्माओं को समर्पित किया जाता है, जिन्हें परिवार के सदस्य सही तिथि के अनुसार श्राद्ध नहीं कर पाते हैं।

श्राद्ध पक्ष का आखिरी दिन पितरों के प्रति सम्मान और आभार व्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण अवसर होता है। इस दिन किए गए श्राद्ध और तर्पण से सभी पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है, चाहे उनकी मृत्यु तिथि ज्ञात हो या न हो। यह दिन उन पूर्वजों के लिए भी खास होता है, जिनके श्राद्ध का समय अज्ञात है या जो अनजाने में छूट गए हों।

 

श्राद्ध पक्ष के लिए ज्योतिषीय सलाह

यदि आपके लिए ऊपर दिए गए विकल्पों में से कोई भी संभव नहीं है, तो आपके लिए ज्योतिषीय सलाह लेना उचित हो सकता है। ज्योतिष कुंडली और ग्रह स्थितियों के अनुसार श्राद्ध के लिए एक उपयुक्त दिन हो सकते हैं।

श्राद्ध पक्ष में ध्यान रखें ये बातें

pitru paksha shradh rules and tithi

  • श्राद्ध कर्म से पूर्वजों को तृप्ति मिलती है और वे हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं। श्राद्ध हमेशा ध्यान पूर्वक करना चाहिए और पूरी श्रद्धा के साथ करना चाहिए।
  • आप घर के बड़े-बुजुर्गों से बात करके पूर्वजों की मृत्यु तिथि का पता लगा सकते हैं।

श्राद्ध का मुख्य उद्देश्य हमारे पूर्वजों के प्रति आदर और कृतज्ञता व्यक्त करना है। यह उन्हें याद करने और उनकी आत्मा को शांति प्रदान करने का एक माध्यम है। इसलिए, यदि मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है तो उपरोक्त विकल्पों में से किसी एक का चयन करके भी आप इस पवित्र कर्म को संपन्न कर सकते हैं।
आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।
 
Images:Freepik.com

यह विडियो भी देखें

Herzindagi video

Disclaimer

हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia.com पर हमसे संपर्क करें।

;