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नाग पंचमी के दिन जरूर करें इन दो सांपों की पूजा, मिलेगा भगवान शिव के साथ श्रीहरि का आशीर्वाद

हिंदू धर्म में नाग पंचमी का पर्व सुख-शांति और भाग्योदय के लिए बेहद शुभ माना गया है। अब ऐसे में इस दिन दो सांपों की पूजा का विशेष विधान है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
Editorial
Updated:- 2025-07-28, 13:12 IST

हर साल सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का त्योहार पूरे भारत में बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से सर्पों की पूजा और आराधना के लिए समर्पित है। हिंदू धर्म में सर्पों को आदिकाल से ही विशेष महत्व दिया गया है। उन्हें देवताओं के समान पूजनीय माना जाता है, और नाग पंचमी का पर्व इसी आस्था का प्रतीक है। आपको बता दें, नाग पंचमी के दिन दो सांपों की पूजा का विशेष विधान है। जो भगवान शिव और भगवान विष्णु को समर्पित है। आइए इस लेख में विस्तार से ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

नाग पंचमी के दिन वासुकी की पूजा का महत्व

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नाग पंचमी, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन नागों को समर्पित है और इस दिन उनकी पूजा का विशेष महत्व है। जहाँ कई नाग देवताओं की पूजा की जाती है, वहीं वासुकी नाग की पूजा का अपना एक अनूठा और गहरा अर्थ है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, वासुकी नाग को नागों का राजा माना जाता है।

वे भगवान शिव के गले में रहते हैं, जो उनकी महत्ता और पवित्रता को दर्शाता है। समुद्र मंथन के दौरान, मंदराचल पर्वत को मथनी के रूप में इस्तेमाल किया गया था और वासुकी नाग स्वयं रस्सी बनकर इस महत्वपूर्ण कार्य में सहायक बने थे। यह घटना उनकी शक्ति, धैर्य और देवताओं के प्रति निष्ठा का प्रतीक है। नाग पंचमी के दिन वासुकी की पूजा करने से कई लाभ बताए गए हैं। ऐसी मान्यता है कि उनकी पूजा से सर्प दोष से मुक्ति मिलती है। जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष होता है या जिन्हें सांप के काटने का भय सताता है, वे विशेष रूप से वासुकी नाग की पूजा करते हैं। इसके अलावा, उनकी पूजा से धन-धान्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। वासुकी को पाताल लोक का स्वामी भी माना जाता है, और उनकी कृपा से धन की प्राप्ति के योग भी बनते हैं।

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नाग पंचमी के दिन शेषनाग की पूजा का महत्व

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पौराणिक कथाओं के अनुसार, शेषनाग को नागराज भी कहा जाता है और वे भगवान विष्णु के अनन्य सेवक हैं। उन्हें सहस्रों फनों वाला विशालकाय सर्प माना जाता है, जिनके ऊपर भगवान विष्णु क्षीरसागर में विराजमान रहते हैं। शेषनाग को अनंत काल और ब्रह्मांड का प्रतीक भी माना जाता है। वे पृथ्वी को अपने फनों पर धारण किए हुए हैं, जो उनकी शक्ति और स्थिरता का कारक है। शेषनाग भगवान विष्णु से सीधे जुड़े हुए हैं। उनकी पूजा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा प्राप्त होती है। माना जाता है कि इससे जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है।

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Image Credit- HerZindagi

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