भाद्रपद माह भगवान श्री कृष्ण का प्रिय महीना है और इस माह में कृष्ण जन्माष्टमी भी मनाई जाती है। इसके अलावा, ऐसा भी माना जाता है कि भाद्रपद माह में ही श्री कृष्ण ने राधा रानी से ब्रह्म विवाह रचाया था। ऐसे में श्री कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए भादों का महीना बहुत ही शुभ माना जाता है।
ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि भाद्रपद माह में कुछ उपाय करना भी बहुत लाभकारी सिद्ध हो सकता है। विशेष तौर पर अगर किसी के घर में धन से जुड़ी परेशानियां हों तो धन लाभ एवं आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए इस माह में एक सूखी लकड़ी का दीया अवश्य जलाना चाहिए।
भाद्रपद माह में कौन सा दीया जलाएं?
भाद्रपद माह में तुलसी की सूखी लकड़ी का दीया जलाना बहुत शुभ माना जाता है। हां, अगर आपके यहां गणेश जी की पूजा होती है तो तुलसी की लकड़ी के बजाय दूर्वा घास का दीया जला सकते हैं क्योंकि गणेश पूजन में तुलसी वर्जित मानी जाती है। वहीं, भाद्रपद माह में तुलसी की सूखी लकड़ी का दीया जलाने के कई लाभ होते हैं।
- भाद्रपद माह में तुलसी की सूखी लकड़ी का दीया जलाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
- घर में धन का आगमन होता है और साथ ही, पैसों से जुड़ी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
- भाद्रपद माह में तुलसी की सूखी लकड़ी का दीया जलाने से कर्ज से भी मुक्ति मिलती है।
- तुलसी की सूखी लकड़ी से निकलने वाली सुगंध घर की नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करती है।
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- इसके अलावा, घर में सकारात्मकता का प्रवाह बढ़ाती है जिससे पारिवारिक शांति बनी रहती है।
- भाद्रपद माह में तुलसी की सूखी लकड़ी का दीया जलाने से ग्रह दोष भी दूर होता है।
- राहु-केतु जैसे पाप ग्रहों का दुष्प्रभाव नष्ट होता है और घर का वास्तु दोष भी मिट जाता है।
- भाद्रपद माह में तुलसी की सूखी लकड़ी का दीया जलाने से घर में पैसों की कमी दूर होती है।
भाद्रपद माह में तुलसी की सूखी लकड़ी का दीया कैसे जलाएं?
इस बात में कोई शक नहीं कि भाद्रपद माह में तुलसी की सूखी लकड़ी का दीया जलाने से कई लाभ मिलते हैं, लेकिन इन यह फायदेमंद सिद्ध तभी हो सकता है जब दीया सही तरीके से जलाया जाए। भाद्रपद माह में तुलसी की सूखी लकड़ी का दीया जलाने की विधि और इससे जुड़े नियम का ध्यान रखना व्भी आवश्यक माना गया है।
- एक साफ मिट्टी का दीया लें। इसमें थोड़ा सा घी डालें। घी नहीं है तो सरसों का तेल भी ले सकते हैं।
- तुलसी के पौधे से सूखी हुई लकड़ी का एक छोटा टुकड़ा लें। ध्यान रखें कि लकड़ी में कोई हरी पत्ती न हो।
- इसके बाद दीये में रुई की बाती रखें। इस बाती के साथ, तुलसी की सूखी लकड़ी का टुकड़ा भी रखें।
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- अब दीये को माचिस से जलाएं। जलते हुए दीये को तुलसी के पौधे के पास रखें। यह उपाय शाम को करें।
- दीया जलाते समय 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः' मंत्र का जाप करें। यह मंत्र भगवान विष्णु को समर्पित है।
- इस मंत्र के अलावा आप अपनी श्रद्धा अनुसार तुलसी चालीसा या तुलसी स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं।
- तुलसी के पास दीया जमीन पर नहीं बल्कि एक थाली में या किसी ऊंचे स्थान पर ही रखें।
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image credit: herzindagi
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