हमारा देश विभिन्न संस्कृतियों को खुद में समेटे हुए है। हम सभी विभिन्न रीति-रिवाजों का पालन करते हैं और इसी वजह से हमारी एक अलग पहचान है। हिन्दू धर्म में कई ऐसी बातें बताई गयी हैं जिनका पालन खुशहाली का कारण बनता है।
ऐसी ही बातों में से एक है महिलाओं का सोलह श्रृंगार करना। मान्यता है कि यदि विवाहित महिलाएं खुद को चूड़ी, बिंदी, सिंदूर और बिछिया जैसे कई अन्य सोलह श्रृंगारों से सुसज्जित करती हैं तो उनके जीवन में सौभाग्य बना रहता है यही नहीं इस तरह के सोलह श्रृंगार करने के कुछ विशेष नियम भी बनाए गए हैं और उनका पालन भी जरूरी समझा जाता है।
उन्हीं में से एक है पैरों में चांदी की बिछिया पहनना। जहां एक तरफ बिछिया पहनने को एक अनिवार्य श्रृंगार के रूप में देखा जाता है, वहीं इसके कुछ अन्य लाभ भी हैं जो शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।
एक सवाल हम सभी के मन में बार-बार आता है कि क्या हम चांदी के साथ सोने की बिछिया भी पहन सकते हैं? इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी जी से बात की। आइए जानें सोने की बिछिया न पहनने के पीछे क्या हैं ज्योतिष कारण।
यदि हम ज्योतिष की बात करें तो हमने कभी भी सोने की बिछिया नहीं पहननी चाहिए। ऐसा करने से कई नुकसान हो सकते हैं। यदि हम शास्त्रों की मानें तो सोने का संबंध सूर्य से होता है और वहीं चांदी का संबंध शुक्र और चंद्रमा ग्रह से होता है और यदि आप सोने की बिछिया पैरों में पहनती हैं तो ये शरीर के तापमान को बढ़ा देता है और आपको इसके फायदे की जगह नुकसान ही सकते हैं।
इसके अलावा सोने का संबंध बृहस्पति गुरु से होता है और यदि आप सोने के गहने पैरों में पहनती हैं तो इससे गुरु ग्रह कमजोर हो सकता है। यही नहीं ऐसी मान्यता भी है कि हर एक धातु का संबंध किसी न किसी ग्रह से होता है और ग्रहों में सर्वोत्तम माने जाने वाले गुरु बृहस्पति को हमेशा मजबूत बनाए रखने के लिए पैरों में सोने के गहने पहनने से बचना चाहिए।
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ज्योतिष शास्त्र में सूर्य सिर का और शनि पैरों का प्रतीक माना जाता है और पौराणिक कथाओं के अनुसार सूर्य और शनि में शत्रुता है, इसके अलावा हर तत्व की एक अलग प्रकृति होती है। जहां एक तरफ सोना गर्म प्रकृति का होता है वहीं चांदी शांत स्वभाव की होती हैं और ठंडी होती है।
शास्त्रों के अनुसार व्यक्ति का सिर ठंडा और पैर गर्म होने चाहिए। यही कारण है कि महिलाएं गले में सोने और पैरों में चांदी के आभूषण पहनती हैं, जिससे शारीरिक संतुलन बनाया जा सके। ज्योतिष की मानें तो महिलाओं को भूलकर भी गले में चांदी और पैरों में सोने के आभूषण नहीं पहनने चाहिए। इससे मानसिक तनाव की स्थिति भी आ सकती है।
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ज्योतिष की मानें तो सोने में माता लक्ष्मी का वास होता है और सोने के गहने पहनने से माता लक्ष्मी और विष्णु दोनों ही नाराज हो सकते हैं जिससे आपको आर्थिक हानि हो सकती है।
इसी वजह से पैरों में बिछिया ही नहीं बल्कि पायल भी सोने की नहीं पहननी चाहिए। यही नहीं कमर के नीचे के हिस्से में ही सोने के गहने न पहनने की सलाह दी जाती है।
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यदि विज्ञान की बात की जाए तो सोना एक गर्म धातु है और इसके आभूषण शरीर को गर्मी प्रदान करते हैं, इसी लिए शरीर के तापमान की संतुलित रखने के लिए कमर के नीचे चांदी और ऊपर के हिस्से में सोने के गहने पहनने की सलाह दी जाती है।
अगर हम बिछिया की बात करें तो पैरों में चांदी की बिछिया पहनना सबसे शुभ माना जाता है और ये पूरे शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करती है और शरीर को शीतलता प्रदान करने के साथ चन्द्रमा को भी मजबूत करती है।
इन्हीं कारणों की वजह से सोने की बिछिया पैरों में न पहनने की सलाह दी जाती है और इसे कई ज्योतिष मामलों में गलत माना जाता है।
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