हिंदू धर्म में किसी भी पूजा-पाठ या अनुष्ठान के बाद ईश्वर को भोग लगाने की परंपरा है और हम सदियों से इसका पालन करते चले आ रहे हैं। पूजा के समापन पर ईश्वर को भोग अर्पित किया जाता है और थोड़ी देर अर्पित करने के बाद यह सभी भक्तजनों में वितरित कर दिया जाता है। यह भोग सिर्फ भोजन या मिस्ठान नहीं होता है बल्कि यह हमारी आस्था, श्रद्धा और प्रेम से भरी एक भेंट होती है जो हम भगवान को श्रद्धा भाव से अपनी सामर्थ्य के अनुसार अर्पित करते हैं। भोग लगाते समय अक्सर एक सवाल हमारे मन में यह भी आता है कि भोग को कितनी देर तक ईश्वर के सामने रखना ठीक होता है? क्या भोग तुरंत उठा लेना चाहिए या इसे 5, 10 मिनट अथवा पूरे दिन ईश्वर के सामने ही रखा रहने देना चाहिए? इसी सवाल का सही जवाब जानने के लिए हमने ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से बात की। आइए आपको बताते हैं इस सवाल के सही जवाब के बारे में विस्तार से।
हिंदू धर्म में भोग अर्पित करना पूजा का एक आवश्यक हिस्सा माना गया है। यह मान्यता है कि भगवान को प्रसन्न करने के लिए उन्हें पहले भोग लगाया जाता है, फिर इसी भोग को प्रसाद के रूप में भक्तों में बांटा जाता है। इसे संस्कृत में 'नैवेद्य' भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है 'अर्पण' या 'प्रस्तुति' जो हम ईश्वर को अर्पित करते हैं। भोग में अर्पित किया जाने वाला भोजन पूरी श्रद्धा और सात्विकता के साथ बनाया जाता है और इसे बिना चखे हुए सबसे पहले ईश्वर को अर्पित किया जाता है।
यदि आप भी भगवान को नियमित रूप से भोग लगाती हैं तो आपको हमेशा ऐसे बर्तन में भोग लगाना चाहिए जिसका इस्तेमाल आप स्वयं घर में न करती हों। भोग हमेशा साफ़-सुथरे बर्तनों में ही लगाएं। अगर आप भोग के लिए पीतल या चांदी के बर्तनों का इस्तेमाल करती हैं तो ये आपके लिए बहुत शुभ माना जाता है। भोग कभी भी लोहे या स्टील के बर्तनों में नहीं लगाना चाहिए। आपको भगवान को भोग लगाते समय कभी भी थाली को सीधे जमीन में नहीं रखना चाहिए। जब भी आप भोग अर्पित करें कोशिश करें कि थाली हमेशा एक साफ़ चौकी पर ही रखें। अगर आपका मंदिर ऊंचाई पर है तो आप भोग की कटोरी मंदिर के भीतर भगवान की मूर्ति के सामने रख सकती हैं।
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हमारे मन में सवाल आता है कि जब भोग भगवान के पास रखा जाता है, तो उसे कितनी देर तक रखना उचित होता है? अगर हम ज्योतिष की मानें तो ईश्वर के सामने भोग 5 से 10 मिनट ही रखना चाहिए। इस दौरान भगवान को भोजन अर्पित करने की भावना आपके मन में होनी चाहिए और कोई अन्य सांसारिक कार्य या उसका विचार नहीं करना चाहिए। यह समय भगवान को आमंत्रण देने और उन्हें मानसिक रूप से भोग ग्रहण कराने का माना जाता है। जिसके लिए आपकी श्रद्धा बहुत जरूरी होती है। यदि समय हो, तो भोग को अधिकतम 15 मिनट तक भगवान के सामने रखना चाहिए। भूलकर भी आपको 1 से 2 घंटे या पूरी रात या पूरे दिन भोग ईश्वर के सामने रखकर नहीं छोड़ना चाहिए। अगर आप भोहग पूरी रात रखकर उसे अगले दिन सुबह ग्रहण करती हैं तो ये नकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है और इसे ग्रहण करके मन में भी नकारात्मक विचार आ सकते हैं।
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अगर आप भी ईश्वर की नियमित रूप से भोग अर्पित करती हैं, तो आपके लिए यहां बताई गई बातें और नियम काम आ सकते हैं।
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