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Govardhan Puja Katha 2025: गोवर्धन पूजा के दिन करें इस व्रत कथा का पाठ, कृष्ण जी की अनुकंपा से पूर्ण होंगे सभी काज

Govardhan Puja Katha 2025: हिंदू धर्म में किसी भी व्रत त्योहार की तरह गोवर्धन पूजा का भी विशेष महत्व है। इस दिन लोग गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाते हैं और विधि-विधान के साथ उसकी पूजा करते हैं। यही नहीं इस दिन गोवर्धन की व्रत कथा का पाठ करना भी अत्यंत फलदायी माना जाता है।
Editorial
Updated:- 2025-10-21, 15:16 IST

गोवर्धन पूजा हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, जो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इसे खासतौर पर भगवान श्री कृष्ण की उपासना के लिए प्रमुख जाना जाता है। यह पर्व विशेष रूप से इसलिए मनाया जाता है क्योनी पौराणिक कथा के अनुसार इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत अपनी उंगली में उठाकर गांव के लोगों की रक्षा की थी। इस अद्भुत लीला के माध्यम से उन्होंने यह संदेश दिया कि प्रकृति और माता-पृथ्वी की पूजा करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। उसी समय से गोवर्धन पूजा के दिन ब्रजवासियों की तरह ही गोवर्धन पर्वत का पूजा करके भगवान कृष्ण की कृपा करने के लिए आज भी गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाया जाता है और इसकी पूजा की जाती है। यह पर्व दिवाली के ठीक दूसरे दिन मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से व्रत करने और इसकी कथा का पाठ करने का विधान है। यह व्रत कथा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी हमें सत्य, भक्ति और सेवा का मार्ग दिखाती है। यदि आप इस दिन व्रत करती हैं और गोवर्धन पूजा की व्रत कथा सुनती हैं तो आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और भगवान कृष्ण का आशीर्वाद भी बना रहता है।

गोवर्धन पूजा व्रत कथा (Govardhan Puja Katha 2025)

गोवर्धन पूजा की कथा के अनुसार एक समय की बात है एक समय की बात है ब्रज में लोग इंद्र देव की पूजा की तैयारी कर रहे थे। उसी समय मां यशोदा के साथ भगवान कृष्ण भ्रमण पर निकले और उन्होंने मां से पुछा कि यह व्यंजन किसके लिए बनाए जा रहे हैं। उस समय यशोदा मां ने बताया कि यह पूजा इंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए हर साल की जाती है, जिससे वो प्रसन्न हो सकें और नगर में वर्षा हो सके। यही नहीं जब इंद्र देव प्रसन्न होकर वर्षा करेंगे तभी अन्न, जल, घास सभी को जल की पर्याप्त मात्रा में मिल सकेगी और खेती भी अच्छी होगी। उस समय श्री कृष्ण ने मुस्कुराते हुए कहा कि 'मां वर्षा तो प्रकृति का नियम है। इसका कारण इंद्र नहीं बल्कि गोवर्धन पर्वत हैं, जो मेघों को रोककर वर्षा करते हैं। यह पर्वत हमारी गायों के लिए घास और चारा देता है और उससे हमें अन्न प्राप्त होता है। इसलिए हमें इंद्र नहीं बल्कि गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए। यह बात इंद्र श्री कृष्ण ने नगर वासियों को भी बताई और उन्होंने कृष्ण जी की बात मानकर इंद्र की पूजा छोड़कर गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी शुरू कर दी। इससे इंद्र देव क्रोधित हो गए और उन्होंने मेघों को आदेश दिया कि ब्रजभूमि पर इतनी जोरदार वर्षा करो कि पूरा गांव डूब जाए। इंद्रदेव के आदेश से घनघोर वर्षा शुरू हो गई।

ब्रज में पानी इतना बढ़ गया कि घर, गौशालाएं खेत-खलिहान सब डूबने लगे। तब सभी ब्रजवासी, गोप-गोपिकाएं और गायें भगवान कृष्ण के पास आए और उनसे सहायता मांगी। भगवान श्रीकृष्ण ने सभी को गोवर्धन पर्वत की तलहटी में आने को कहा और कृष्ण जी ने पूरा गोवर्धन पर्वत अपने हाथ की छोटी उंगली में उठा लिया। सभी नगरवासियों ने अपनी रक्षा करने के लिए गोवर्धन पर्वत के नीचे शरण ले ली। इंद्र के क्रोध की वजह से पूरे साथ दिन तक बिना रुके हुए बर्षा होती रही, लेकिन गोवर्धन पर्वत की शरण से किसी को भी कोई हानि नहीं हुई।जब इंद्र ने यह देखा कि इतना भारी पर्वत एक छोटे बालक ने अपनी उंगली पर उठा रखा है, तो उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ। देवर्षि नारद के कहने पर वह श्रीकृष्ण के पास आए और क्षमा मांगी। उस समय श्रीकृष्ण ने इंद्र से कहा कि अहंकार हर व्यक्ति को अंधा बना देता है। आपको यह सीख लेनी चाहिए कि कभी भी शक्ति और पद का घमंड नहीं करना चाहिए। इंद्र ने इस बात पर पश्चाताप किया और वचन दिया कि वह अब कभी भी अहंकारी नहीं होंगे। तभी से हर वर्ष गोवर्धन पूजा के रूप में इस दिव्य घटना को याद किया जाता है और लोग अपने घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाकर उसकी पूजा करते हैं।

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गोवर्धन पूजा का महत्व क्या है

गोवर्धन पूजा के दिन घरों और मंदिरों में गोबर या मिट्टी से गोवर्धन पर्वत का आकार बनाकर उसकी पूजा विधि-विधान से की जाती है। दूध, दही, घी, मिठाई, फल और के साथ 56 भोग का प्रसाद गोवर्धन पर्वत को अर्पित किया जाता है। इसे अन्नकूट प्रसाद कहा जाता है। लोग सात बार इस गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं। कहा जाता है कि गोवर्धन भगवान की पूजा करने से सभी दुखों और पापों का नाश होता है और व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है। मथुरा में गोवर्धन पर्वत के पास इस दिन का दृश्य अत्यंत मनमोहक होता है। भक्त दूर-दूर से श्रीकृष्ण और गोवर्धन महाराज की परिक्रमा करने आते हैं। इस दिन गायों और बैलों को सजाया जाता है और उन्हें गुड़ और चना खिलाया जाता है। लोग भक्ति भाव से 'गोवर्धन महाराज की पूजा करते हैं और जय श्रीकृष्ण के जयकारे लगाते हैं।
इस दिन तरह-तरह के व्यंजन बनाकर भगवान श्रीकृष्ण को भोग लगाया जाता है और फिर सभी भक्तों में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। ऐसा माना जाता है कि अन्नकूट का प्रसाद खाने से लोगों को दीर्घायु का वरदान मिलता है और रोग-दोष दूर होते हैं।

अगर आप भी गोवर्धन पूजा के दिन इस व्रत कथा का पाठ करती हैं तो जीवन में सदैव खुशहाली बनी रहती है। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।

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