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Dharm Aur Sawal: क्या नाम जाप से मिट जाते हैं बुरे कर्म? प्रेमानंद महाराज जी से जानें इस सवाल का जवाब

व्यक्ति अपने जीवन में कई बार जाने-अनजाने कई गलतियां कर बैठता है और फिर उससे मुक्ति पाना चाहता है। ऐसे में अक्सर लोगों के मन में यह सवाल आता है कि क्या किसी भी देवी-देवता के नाम जाप से पाप कर्मों के बुरे फल को मिटाया जा सकता है?   
Editorial
Updated:- 2025-10-14, 15:39 IST

अक्सर पूजा-पाठ, भक्ति भाव, मंत्र जाप, नाम जाप आदि से जुड़े लोगों के मन में कई सवाल होते हैं जिनके सही उत्तर जानने की इच्छा उन्हें प्रेमानंद महाराज जी तक ले आती है। ठीक ऐसा ही एक प्रश्न किया एक भक्त ने और उनसे पूछा कि क्या नाम जाप से पाप मिट जाते हैं या पाप कर्मों के बुरे फल से बचा जा सकता है। आइये जानत हैं कि क्या कुछ कहा एस बारे में महाराज जी ने और क्या वाकई नाम जाप में इतनी शक्ति है।

क्या नाम जाप से पाप कर्म मिट जाते हैं?

व्यक्ति अपने जीवन में कई बार जाने-अनजाने कई गलतियां कर बैठता है और फिर उससे मुक्ति पाना चाहता है। प्रेमानंद महाराज जी इस विषय को बहुत ही सहजता से समझाते हैं। उनके अनुसार नाम जप की महिमा अपरंपार है, लेकिन कर्मों के फल से पूरी तरह मुक्त होने की प्रक्रिया को समझना आवश्यक है नहीं तो कुछ भी गलत अर्थ मानकर व्यक्ति बुरे कर्मों की तरफ बढ़ सकता है।

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प्रेमानंद महाराज जी समझाते हैं कि नाम जप से निश्चित रूप से हमारे कर्म नष्ट होते हैं, लेकिन हमें कर्मों के प्रकार को समझना होगा। शास्त्रों के अनुसार, कर्म मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं: संचित कर्म जो करोड़ों जन्मों के इकट्ठे हुए कर्म होते हैं, क्रियमाण कर्म जो वर्तमान में कर्म किए जा रहे हैं और प्रारब्ध कर्म यानी जिन कर्मों का फल इस जन्म में भोगना निश्चित है।

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महाराज जी के अनुसार, नाम जप करने से वर्तमान के बुरे कर्म जो जाने-अनजाने में होते हैं वे तो पवित्र हो जाते हैं। इसके साथ ही, नाम जप सबसे पहले हमारे संचित कर्मों के गोदाम को भस्म करना शुरू कर देता है। संचित कर्म वह भंडार है जो हमें बार-बार जन्म-मृत्यु के चक्र में फंसाता है और नाम जप की शक्ति इसे धीरे-धीरे समाप्त करती है जिससे व्यक्ति जन्म-मृत्यु के चक्र से बचता है।

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हालांकि, महाराज जी यह भी स्पष्ट करते हैं कि जो कर्म प्रारब्ध बन चुके हैं, उन्हें भोगना ही पड़ता है। जब हमें यह मनुष्य शरीर मिला तब कुछ कर्मों का फल भोगने के लिए तय हो गया था और वह प्रारब्ध बन गया। वे कहते हैं कि इस प्रारब्ध को काटा नहीं जा सकता। बड़े-बड़े संतों और महात्माओं को भी अपने प्रारब्ध को भोगना पड़ता है। ऐसे में नाम जाप के बाद अगर दुख हैं जो यह नाम जप की निष्फलता नहीं आपके कर्म हैं।

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FAQ
भगवान का नाम कब नहीं लेना चाहिए?
अगर आप शौच, शरीर भाव जैसी क्रियाएं क्र रहे हैं तब भगवान का नाम जाप नहीं करना चाहिए।
भगवान का नाम लेने के क्या लाभ हैं?
भगवान का नाम निरंतर लेने से व्यक्ति के कष्ट दूर होते जाते हैं।
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