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Chhath Puja Vidhi 2025: घर से लेकर घाट तक कैसे करें छठी मैया और सूर्य देव की पूजा? जानें संपूर्ण विधि

Kaise Kare Chhati Maiya ki Puja 20025: छठ पूजा का पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होती है। यह पर्व चार दिनों तक चलता है और छठ पूजा के चार दिनों में व्रती हर दिन एक विशेष विधि का पालन करते हुए अपनी आस्था को प्रकट करते हैं।    
Editorial
Updated:- 2025-10-25, 05:09 IST

छठ पूजा जो मुख्य रूप से सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है, चार दिनों तक चलने वाला एक अत्यंत पवित्र और कठोर लोकपर्व है। यह पर्व अनुशासन, आत्म-संयम और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का सबसे बड़ा उदाहरण है। इन चार दिनों में व्रती हर दिन एक विशेष विधि का पालन करते हुए अपनी आस्था को प्रकट करते हैं। इस महापर्व की शुरुआत कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होती है और हर दिन का अपना एक अलग धार्मिक महत्व और पूजा विधि होती है। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं छठ पूजा के चार दिनों की संपूर्ण विधि।

छठ पूजा विधि 2025 (Chhath Puja Vidhi 2025)

पहला दिन: नहाय-खाय

व्रत का आरंभ 'नहाय-खाय' से होता है, जिसका अर्थ है 'स्नान करके खाना'।

chhath puja ki vidhi 2025

  • इस दिन व्रती नदी, तालाब या घर पर ही गंगाजल मिले पानी से स्नान कर स्वयं को शुद्ध करते हैं।
  • इसके बाद पूरे घर की साफ-सफाई की जाती है और व्रत के लिए शुद्ध सात्विक भोजन तैयार किया जाता है।
  • भोजन में मुख्य रूप से कद्दू की सब्जी, चने की दाल और अरवा चावल (बिना उबला चावल) का प्रयोग किया जाता है।
  • इसमें लहसुन और प्याज बिल्कुल नहीं पड़ता।
  • व्रती सबसे पहले इस प्रसाद को ग्रहण करते हैं जिसके बाद ही परिवार के अन्य सदस्य भोजन करते हैं।
  • इसी दिन से व्रत के कठोर नियम और शुद्धता का पालन शुरू हो जाता है।

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दूसरा दिन: खरना

छठ का दूसरा दिन 'खरना' कहलाता है जो शुद्धि और 36 घंटे के निर्जला व्रत की तैयारी का दिन है।

  • व्रती इस दिन पूरे दिन लगभग 12-14 घंटे निर्जला उपवास रखते हैं।
  • शाम के समय, मिट्टी के चूल्हे पर शुद्धता से गुड़ की खीर और रोटी बनाई जाती है।
  • सूर्य देव और छठी मैया को इस प्रसाद का भोग लगाया जाता है।
  • व्रती इसी प्रसाद को ग्रहण करके अपना दिनभर का उपवास तोड़ते हैं।
  • खरना का प्रसाद ग्रहण करने के साथ ही व्रती का 36 घंटे का लंबा निर्जला व्रत शुरू हो जाता है।

तीसरा दिन: संध्या अर्घ्य

यह छठ पूजा का मुख्य दिन है जब डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।

chhath puja vidhi 2025

  • व्रत के प्रसाद जैसे ठेकुआ, चावल के लड्डू, फल और अन्य सामग्री को बांस के सूप और दउरा में सजाया जाता है।
  • शाम के समय व्रती और परिवार के सदस्य इन पूजा सामग्रियों को लेकर नदी या तालाब के घाट पर जाते हैं।
  • व्रती कमर तक जल में खड़े होकर, सूर्य की ओर मुख करके, तांबे के लोटे में दूध और जल भरकर डूबते हुए सूर्य को पहला अर्घ्य देते हैं।
  • इस समय घाट पर छठी मैया के लोकगीत गाए जाते हैं।
  • सूर्य भगवान से परिवार की सुख-समृद्धि, संतान की लंबी आयु और आरोग्य की कामना की जाती है।
  • अर्घ्य के बाद रातभर जागरण और छठी मैया की कथा सुनी जाती है।

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चौथा दिन: उषा अर्घ्य और पारण

यह पर्व का अंतिम दिन है जिसे 'पारण' या 'उदयगामी सूर्य को अर्घ्य' देने के साथ समाप्त किया जाता है।

  • व्रती और उनके परिवार अगली सुबह सूर्य उगने से पहले ही वापस घाट पर पहुंचते हैं।
  • वे फिर से जल में खड़े होकर सूर्य के उगने की प्रतीक्षा करते हैं।
  • जैसे ही सूर्य की पहली किरण दिखती है व्रती उगते हुए सूर्य को दूसरा अर्घ्य देते हैं।
  • अर्घ्य देने के बाद व्रती छठी मैया से प्रार्थना करते हैं और घाट पर ही प्रसाद का वितरण किया जाता है।
  • इसके बाद व्रती घर आकर अदरक और जल लेकर अपना 36 घंटे का कठिन व्रत तोड़ते हैं।
  • इसे ही पारण कहा जाता है जिसके बाद ही परिवार के बाकी सदस्य भी प्रसाद ग्रहण करते हैं।

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image credit: herzindagi 

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FAQ
छठ पूजा के दिन क्या दान करें?
छठ पूजा के दिन गेहूं, गुड़ और लाल कपड़े का दान करना चाहिए। 
छठ पूजा के दिन किसकी पूजा होती है? 
छठ पूजा के दिन छठी माता और सूर्य देव की पूजा का विधान है।  
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