भारतीय संस्कृति में नवरात्रि का त्योहार एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, जो मां दुर्गा की पूजा का पर्व है। इस दौरान लोग नौ दिनों माता के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना और उपवास रखते हैं। इस साल यह पर्व 30 मार्च और 6 अप्रैल को खत्म होगा। हम सभी ने कभी-न कभी तो सुना होगा कि माता इस वर्ष हाथी, घोड़ा या नाव पर सवार होकर आने वाली है। यह सुनने में जितना अद्भुत लगता है उतना रहस्यमयी भी है। नवरात्रि के दौरान माता दुर्गा का वाहन प्रत्येक वर्ष बदलता रहता है। कभी वो एक घोड़ा पर सवार होती हैं, तो कभी नाव पर। इस वर्ष माता दुर्गा हाथी पर सवार होकर आने वाली है। अब ऐसे में मन में सवाल आता है कि माता का वाहन कैसे तय होता है कि वह किससे आएंगी। चलिए ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से जानते हैं इसके बारे में-
वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुल्क पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 29 मार्च को शाम 04 बजकर 27 मिनट पर होगी और अगले दिन यानी 30 मार्च को दोपहर में 12 बजकर 49 मिनट पर तिथि खत्म होगी।
हर नवरात्र में मां दुर्गा का रूप बदल जाता है। पंडित ने बताया कि, दिन के हिसाब से माता दुर्गा कभी शेर, हाथी तो कभी नाव पर सवार होकर आती हैं। माता के अलग-अलग स्वरूपों को नौ दिन अलग-अलग भोग लगाया जाता है। आगे बताया कि कलश की स्थापना यानी घट स्थापना अगर रविवार या सोमवार के दिन होती है, तो मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं। वहीं, अगर चैत्र नवरात्र का आरंभ अगर मंगलवार या शनिवार के दिन होता है तो मां दुर्गा घोड़ा पर सवार होकर आती हैं।
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अगर चैत्र नवरात्र का शुभारंभ बुधवार से होता है, तो माता रानी का वाहन नाव होता है। जैसे कि ऊपर बताया कि दिन के आधार पर माता का वाहन तय होता है। इस साल चैत्र नवरात्रि में कलश की स्थापना रविवार को किया जाएगा। ऐसे में यह तय होता है कि इस वर्ष माता रानी हाथी पर सवार होकर आएंगी। इसे बेहद शुभ माना जाता है और लोगों के घरों में सुख समृद्धि आएगी। साथ ही इस बीच मेहनत का अच्छा फल भी मिलता है।
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माता दुर्गा का वाहन हाथी मां की सामर्थ्य और विशालता का प्रतीक है, वहीं नाव जीवन के उतार-चढ़ाव और संकटों के बीच एक स्थिरता और साहस की भावना को व्यक्त करती है। यह बदलाव इस बात का प्रतीक है कि दुर्गा की पूजा न केवल शारीरिक शक्ति के लिए है, बल्कि मानसिक और आंतरिक साहस प्राप्त करने के लिए भी है। हर दिन के साथ माता के वाहन के रूप में यह बदलाव हमें यह समझने का अवसर देता है कि जीवन में परिवर्तन निरंतर है और हमें उसे स्वीकार करते हुए आगे बढ़ना चाहिए।
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