pitru paksha shopping rules for clothes

क्या पितृ पक्ष के दौरान कपड़ों की खरीदारी करना ठीक है? जानें क्या कहता है ज्योतिष

पितृ पक्ष की अवधि ऐसी होती है जो पूर्वजों को समर्पित होती है और इस दौरान हम उन्हें प्रसन्न करने के विशेष नियमों का पालन करते हैं। पितरों का नियम से श्राद्ध करने से घर में हमेशा समृद्धि बनी रहती है।   
Editorial
Updated:- 2023-10-06, 19:35 IST

हिंदू धर्म में पितृ पक्ष को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह एक ऐसा समय माना जाता है जब हमारे पूर्वज धरती पर विराजमान होते हैं और अपने वंशजों पर अपना आशीष बनाए रखते हैं। इस दौरान मुख्य रूप से पूर्वजों के निमित्त दान-पुण्य किये जाते हैं।

ऐसी मान्यता है कि हमारे पितर हमारे माध्यम से ही अन्न और जल ग्रहण करते हैं और इससे उन्हें शांति मिलती है। यदि हम इस दौरान कुछ विशेष बातों का ध्यान रखते हैं तो पूर्वज प्रसन्न हो जाते हैं अन्यथा कुछ बातों का ध्यान न रखने पर वो नाराज भी हो सकते हैं।

पितृ पक्ष का समय ऐसा होता है जिसमें कुछ कामों को करने की मनाही होती है और यदि आप इसका पालन न करें तो पूर्वजों को संतुष्टि नहीं मिलती है। इन्हीं कामों में से एक है खरीदारी। मुख्य रूप से नए कपड़ों की खरीदारी पितृ पक्ष के दौरान न करने की सलाह दी जाती है और सदियों से मान्यता चली आ रही है कि इस दौरान आपको न तो नए कपड़े खरीदने चाहिए और न ही पहनने चाहिए। आइए ज्योतिषाचार्य डॉ आरती दहिया जी से जानें कि क्या ज्योतिष के अनुसार पितृ पक्ष में नए कपड़े खरीदना ठीक है?

पितृ पक्ष में कपड़े न खरीदना पारंपरिक प्रथाएं 

why should not buy new clothes in pitru paksha

परंपरागत रूप से पितृ पक्ष को आत्मनिरीक्षण, प्रार्थना और आध्यात्मिक मामलों पर ध्यान केंद्रित करने का समय माना जाता है इसी वजह से इस अवधि के दौरान कोई भी नए शुभ कार्य जैसे विवाह या उत्सव शुरू करना ठीक नहीं  माना जाता है।

सामान्य भावना के रूप में मृत आत्माओं के प्रति श्रद्धा और सम्मान दिखाने के लिए पितृ पक्ष के सोलह दिन होते हैं और ये दिन पूर्ण रूप से पूर्वजों को समर्पित होते हैं, इसी वजह से इस दौरान नए कार्य न करके पूर्वजों की शांति के उपाय करने की सलाह दी जाती है और उनके निमित्त ही संस्कार करना ठीक माना जाता है। इसी वजह से प्राचीन काल से यह परंपरा चली आ रही है कि पितृ पक्ष में नए कपड़े नहीं खरीदने चाहिए और हम उसका पालन सदियों से कर रहे हैं। 

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नए कपड़ों का ज्योतिष से संबंध  

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हालांकि यदि ज्योतिष की मानें तो पितृ पक्ष के दौरान नए कपड़े न खरीदना शगुन या अपशगुन नहीं होता है बल्कि यह सिर्फ इस बात का प्रतीक होता है कि आप पूर्वजों की याद में अपना सोलह दिन का समय अर्पित कर रहे हैं और इस दौरान कपड़ों की ख़रीदृ न करके उनके प्रति सम्मान दिखा रहे हैं।

यदि नए कपड़ों को ज्योतिष से जोड़ा जाए तो नए कपड़े हमेशा कुछ विशेष शुभ दिनों में ही खरीदने की सलाह दी जाती है जिससे उन कपड़ों का आपके जीवन में सकारात्मक प्रभाव पड़े। 

पितृ पक्ष के दौरान सादगी से रहना उचित माना जाता है 

यदि हम पितृ पक्ष की बात करें तो इस दौरान आपको सादगी से रहने की सलाह दी जाती है और कपड़ों को आवश्यकता के साथ विलासिता से भी जोड़ा जाता है, इस वजह से नए कपड़ों की खरीदारी वर्जित मानी जाती है।

पितृ पक्ष के दौरान भौतिकवादी गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, व्यक्ति अपनी ऊर्जा को अपने पूर्वजों की याद में अनुष्ठानों, प्रार्थनाओं और दान के कार्यों में लगाते हैं और आपका मन विचलित न हो इसलिए नई वस्तुएं खरीदने से मन किया जाता है। 

पितृ पक्ष में दान के लिए खरीदे जाते हैं नए कपड़े 

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अगर नए कपड़ों की खरीदारी की बात करें तो पितृ पक्ष की अवधि के दौरान आप नए कपड़े किसी जरूरतमंद या फिर ब्राह्मण को दान में देने के लोए खरीद सकते हैं। हालांकि इस दौरान किसी भी शुभ कार्य जैसे मुंडन, विवाह या सगाई जैसे कार्यों के लिए नए वस्त्र न खरीदना ही ठीक माना जाता है। 

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पितृ पक्ष में किन लोगों को नए कपड़े खरीदने की मनाही नहीं है 

  • ज्योतिष में ऐसा माना जाता है कि ऐसे लोग जिनके कोई पूर्वज नहीं हैं जिनका श्राद्ध या तर्पण किया जाता है तो वो लोग नई वस्तुओं और कपड़ों की खरीदारी कर सकते हैं। 
  • जो लोग पितरों के निमित्त श्राद्ध नहीं करते हैं यानी कि जिनके परिवार में उनके पहले की दो पीढ़ियां मौजूद हैं उन्हें नए कपड़े खरीदने की मनाही नहीं है। 
  • घर की बेटी जिसका विवाह हो चुका है और उसके मायके में श्राद्ध होता है लेकिन ससुराल में ऐसे कोई संस्कार नहीं होते हैं तो उन्हें नए कपड़े खरीदने की मनाही नहीं होती है। 
  • यदि घर में बच्चे का जन्म हुआ है और उनके लिए नए कपड़े खरीदने की आवश्यकता है तो आप विशेष परिस्थितयों में कपड़े की खरीदारी कर सकती हैं। 

पितृ पक्ष के दौरान यदि आप नए कपड़ों की खरीदारी करती हैं तो आपको यहां बताई कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए जिससे पूर्वजों की कृपा दृष्टि बनी रहे। 

 

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