6 अक्टूबर 2025 यानी आज का दिन शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व रखता है जिसे कोजागरी पूर्णिमा भी कहते हैं। आज के दिन अश्विन माह की पूर्णिमा तिथि रहेगी। मान्यता है कि आज की रात चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से युक्त होकर पृथ्वी के सबसे करीब होता है और इसकी चांदनी से अमृत बरसता है। इसलिए आज के दिन खीर बनाकर रात की चांदनी में रखने और अगले दिन खाने की परंपरा है जिससे स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त होती है। इसके अलावा, एमपी, छिंदवाड़ा के ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ त्रिपाठी ने हमें बताया कि पंचांग के अनुसार, आज सोमवार के दिन उत्तर भाद्रपद नक्षत्र और वृद्धि योग का संयोग बन रहा है जो शुभ कार्यों के लिए अच्छा माना जाता है। ऐसे में यहां आप आज का पंचांग देखकर सभी शुभ योगों एवं मुहूर्तों के बारे में जान सकते हैं।
तिथि | नक्षत्र | दिन/वार | योग | करण |
अश्विन चतुर्दशी (दोपहर 12:23 बजे तक)/पूर्णिमा (अगले दिन तक) | उत्तरा भाद्रपद | सोमवार | वृद्धि | वणिज |
प्रहर | समय |
सूर्योदय | सुबह 06:16 बजे |
सूर्यास्त | शाम 06:01 बजे |
चंद्रोदय | शाम 05:27 बजे |
चंद्रास्त | सुबह 05:06 बजे (अगले दिन) |
मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
ब्रह्म मुहूर्त | सुबह 04:39 बजे से सुबह 05:28 बजे तक |
अभिजीत मुहूर्त | सुबह 11:45 बजे से दोपहर 12:32 बजे तक |
अमृत काल | रात 11:40 बजे से रात 01:07 बजे तक |
विजय मुहूर्त | दोपहर 02:06 बजे से दोपहर 02:53 बजे तक |
गोधुली मुहूर्त | शाम 06:01 बजे से शाम 06:26 बजे तक |
प्रातः संध्या | सुबह 05:03 बजे से सुबह 06:17 बजे तक |
निशिता काल | रात 11:40 बजे से रात 12:34 बजे तक |
मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
राहु काल | सुबह 07:44 बजे से सुबह 09:12 बजे तक |
गुलिक काल | दोपहर 01:37 बजे से दोपहर 03:05 बजे तक |
यमगंड | सुबह 10:41 बजे से दोपहर 12:09 बजे तक |
दुर्मुहूर्त: पहला भाग | दोपहर 12:32 बजे से दोपहर 01:19 बजे तक |
दुर्मुहूर्त: दूसरा भाग | दोपहर 02:53 बजे से दोपहर 03:40 बजे तक |
भद्रा | दोपहर 12:23 बजे से रात्रि 10:53 बजे तक |
अज 6 अक्टूबर 2025, दिन सोमवार को हिन्दू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र त्योहार शरद पूर्णिमा मनाया जाएगा। आज के दिन को कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
इस तिथि पर चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से युक्त होता है और माना जाता है कि इस रात चंद्रमा की चांदनी से अमृत वर्षा होती है। इसी कारण, भक्तगण इस दिन मां लक्ष्मी और चंद्र देव की पूजा करते हैं।
रात में खुले आसमान के नीचे खीर बनाकर रखते हैं जिसे अगले दिन प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। इसके अलावा, इस दिन पूर्णिमा व्रत और श्री सत्यनारायण पूजा का भी विशेष विधान है।
साथ ही, इसी दिन श्री कृष्ण ने राधा रानी और समस्त ब्रज गोपियों संग महारास भी रचाया था जिसके कारण शरद पूर्णिमा के दिन श्री राधा कृष्ण की पूजा का भी विधान है।
शरद पूर्णिमा की रात को सूर्यास्त के बाद मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए अपने घर के मुख्य द्वार पर और तुलसी के पास घी के 11 या 21 दीपक जलाएं। साथ ही, पूजा के दौरान मां लक्ष्मी को कमल का फूल और सफेद मिठाई अर्पित करें।
आज की रात चंद्रमा के पूर्ण प्रकाश में चांदी के एक बर्तन में खीर या दूध रखकर उस पर जाली या कपड़ा ढक दें। इस खीर को पूरी रात चंद्रमा की चांदनी में रहने दें और अगले दिन सुबह इस अमृतमयी खीर को पूरे परिवार को प्रसाद के रूप में खिलाएं।
इस उपाय को करने से न सिर्फ स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होगा बल्कि मानसिक शांति भी मिलेगी और तनाव से छुटकारा प्राप्त होगा। इसके अलावा, निनाय लेने की क्षमता बढ़ेगी क्योंकि ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन का कारक माना गया है।
आज के दिन श्री राधा-कृष्ण की पूजा करें और उन्हें तुलसी दल मिश्रित मिश्री का भोग लगाएं। इसके बाद, रात में श्री राधा कृष्ण के नाम का जाप करें। इससे शयुगल जोड़ी की कृपा होगी और आपके जीवन में सुख-समृद्धि एवं सौभाग्य का आगमन होगा।
अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं और अपना फीडबैक भी शेयर कर सकते हैं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
image credit: herzindagi
यह विडियो भी देखें
Herzindagi video
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia.com पर हमसे संपर्क करें।