17 सितंबर 2025 को आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी के रूप में मनाया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है और यह तिथि पितृ पक्ष में पड़ने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। पंचांग के अनुसार, इस दिन परिघ योग, शिव योग और शिववास का संयोग बन रहा है जिससे यह दिन बहुत शुभ है। इस दौरान पितरों के तर्पण के लिए कुतुप, रौहिण और अपराह्न काल जैसे शुभ मुहूर्त भी रहेंगे। यह व्रत रखने और तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और साधक को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। ऐसे में इंदिरा एकादशी पर पितरों के श्राद्ध से लेकर पूजा-पाठ तक का सही समय जानने के लिए आप एमपी, छिंदवाड़ा के ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ त्रिपाठी द्वारा बताया गया आज का पंचांग देख सकते हैं।
तिथि | नक्षत्र | दिन/वार | योग | करण |
अश्विन कृष्ण एकादशी | आश्लेषा | बुधवार | परिघ | बालव |
प्रहर | समय |
सूर्योदय | सुबह 06:08 बजे |
सूर्यास्त | शाम 06:17 बजे |
चंद्रोदय | रात 01:21 बजे |
चंद्रास्त | रात 03:52 बजे |
मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
ब्रह्म मुहूर्त | सुबह 04:34 बजे से सुबह 05:22 बजे तक |
अभिजीत मुहूर्त | सुबह 11:47 बजे से दोपहर 12:36 बजे तक |
अमृत काल | रात 08:35 बजे से रात 10:22 बजे तक |
विजय मुहूर्त | दोपहर 02:14 बजे से दोपहर 03:02 बजे तक |
गोधुली मुहूर्त | शाम 06:06 बजे से शाम 06:30 बजे तक |
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मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
राहु काल | दोपहर 12:15 बजे से दोपहर 01:47 बजे तक |
गुलिक काल | सुबह 10:43 बजे से दोपहर 12:15 बजे तक |
यमगंड | सुबह 07:38 बजे से सुबह 09:10 बजे तक |
दुर्मुहूर्त | सुबह 11:47 बजे से दोपहर 12:36 बजे तक |
17 सितंबर 2025 का दिन हिंदू पंचांग के अनुसार बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन इंदिरा एकादशी का व्रत रखा जाएगा। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और पितृ पक्ष के दौरान पड़ने वाली एकमात्र एकादशी है।
इस व्रत को करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और व्रत रखने वाले को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। यह माना जाता है कि जो व्यक्ति श्रद्धापूर्वक इस व्रत का पालन करता है, उसके पूर्वज मोक्ष प्राप्त कर स्वर्ग लोक में जाते हैं।
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, कथा सुनी जाती है और दान-पुण्य भी किया जाता है। इसके अलावा, इस दिन पितृ पक्ष में पड़ने के कारण एकादशी का श्राद्ध भी किया जाएगा। जिन पितरों का निधन एकादशी तिथि को हुआ हो, उनका श्राद्ध इसी दिन करना चाहिए।
आप अपने पितरों का श्राद्ध उनकी पुण्यतिथि पर नहीं कर पाए हैं, तो ग्यारस के श्राद्ध के दिन उनका तर्पण करना भी बहुत फलदायी माना जाता है। इस दिन पितरों को तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मणों को भोजन कराने से पितृ दोष दूर होता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
17 सितंबर 2025 का दिन, जो कि इंदिरा एकादशी और एकादशी श्राद्ध का दिन है, धार्मिक उपायों के लिए बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन आप भगवान विष्णु और पितरों को प्रसन्न करने के लिए कुछ विशेष उपाय कर सकते हैं।
सबसे पहले, सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और भगवान विष्णु की पूजा करें। पूजा के दौरान उन्हें तुलसी दल, पीले फूल और पीली मिठाई अर्पित करें। इसके बाद ' नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें।
माना जाता है कि ऐसा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। दूसरा महत्वपूर्ण उपाय पितरों के लिए है। इस दिन पितरों को तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए।
अगर आप यह सब नहीं कर सकते तो आप किसी गाय, कौवे, या कुत्ते को भोजन करा सकते हैं। भोजन में खीर और पूड़ी जरूर शामिल करें। इसके अलावा, अपनी सामर्थ्य के अनुसार गरीबों को अनाज, कपड़े या धन का दान करें।
इन उपायों से पितृ दोष दूर होता है और पितरों का आशीर्वाद मिलता है, जिससे घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
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image credit: herzindagi
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