25 अगस्त 2025 का दिन, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि है और सोमवार का दिन है। आज का दिन ज्योतिषीय दृष्टि से विशेष है क्योंकि आज के दिन सिद्ध योग और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र का संयोग बन रहा है, जिसे शुभ कार्यों के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है। खासकर, आज के दिन चंद्रमा सिंह राशि में संचार करेंगे जो कुछ राशियों के लिए विशेष फलदायी हो सकता है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करने से पहले राहुकाल का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है क्योंकि इस समय में शुभ कार्य वर्जित होते हैं। इसके अलावा, अगर आप आज यात्रा कर रहे हैं तो दिशाशूल जाने बिना न करें, नहीं तो आपको किसी प्रकार की हानि हो सकती है। दिशाशूल जानने के लिए आप वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स द्वारा बताया गया आज का पंचांग देख सकते हैं।
आज का पंचांग 25 अगस्त 2025
तिथि | नक्षत्र | दिन/वार | योग | करण |
भाद्रपदशुक्ल द्वितीया | उत्तरा फाल्गुनी | सोमवार | सिद्ध | कौलव |
आज सूर्य और चंद्रमा का समय 25 अगस्त 2025
प्रहर | समय |
सूर्योदय | सुबह 05:56 बजे |
सूर्यास्त | शाम 06:50 बजे |
चंद्रोदय | सुबह 07:39 बजे |
चंद्रास्त | शाम 08:00 बजे |
आज का शुभ मुहूर्त और योग 25 अगस्त 2025
मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
ब्रह्म मुहूर्त | सुबह 04:27 से 05:11 तक |
अभिजीत मुहूर्त | सुबह 11:57 से दोपहर 12:49 तक |
विजय मुहूर्त | दोपहर 02:32 से 03:24 तक |
गोधूलि बेला | शाम 06:50 से 07:12 तक |
अमृत काल | रात 08:06 से 09:49 तक |
आज का अशुभ मुहूर्त 25 अगस्त 2025
मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
राहु काल | सुबह 07:32 से 09:09 बजे तक |
गुलिक काल | दोपहर 01:58 से 03:34 बजे तक |
यमगंड | सुबह 10:47 से दोपहर 12:23 बजे तक |
दुर्मुहूर्त | दोपहर 12:48 से 01:40 बजे तक |
आज व्रत और त्योहार 25 अगस्त 2025
25 अगस्त 2025 को वराह जयंती मनाई जाएगी। यह त्यौहार भगवान विष्णु के तीसरे अवतार, वराह के पृथ्वी पर प्रकट होने की खुशी में मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, हिरण्याक्ष नामक एक राक्षस ने पृथ्वी को चुराकर समुद्र में छिपा दिया था, तब भगवान विष्णु ने वराह का रूप धारण कर पृथ्वी को अपनी सूंड पर उठाकर बाहर निकाला था।
आज का उपाय 25 अगस्त 2025
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पीले या सफेद वस्त्र पहनें। भगवान विष्णु के वराह स्वरूप का ध्यान करते हुए उन्हें जल, तुलसी और पीले फूल अर्पित करें। 'ॐ वराहाय नमः' मंत्र का जाप करें। भगवान शिव को बेलपत्र, दूध और जल चढ़ाएं। जरूरतमंद लोगों को भोजन और कपड़े दान करें। शाम को वराह जयंती की कथा सुनें और आरती करें।
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