बारिश की रिमझिम बौछारों के साथ बीमारियां की भी बरसात होने लगती है। जी हां जून के बाद बारिश की शुरूआत होने पर जगह-जगह मच्‍छर पनपने लगते हैं और डेंगू अपने पैर पसारने लगता है। Dengue वायरस के संक्रमण से होती है, जो मादा ऐडीस मच्छर के काटने से फैलता है। अगर डेंगू इलाज समय पर न होने पर मरीज की हालत गंभीर हो सकती है और उसकी जान भी जा सकती है। समय से उपचार न मिलने पर डेंगू रक्तस्रावी बुखार होने लगता है। <br /><br />बारिश के मौसम में dengue ने एक बार फिर से राजधानी में डर और बेचैनी का माहौल पैदा कर रहा है। जिस थोड़ा सा भी बुखार होता है वह इसे डेंगू समझने लगता है। पिछले कुछ सालों में डेंगू के मामलों में काफी बढ़ोतरी देखी गई है। पिछले साल तो डेंगू ने कहर ही मचा दिया था और पिछले पांच सालों के डेंगू के मामले हजार के आंकड़े को पार कर लाख के आंकड़ें में पहुंच गया।
डेंगू बुखार में तेज बुखार के साथ नाक बहना, खांसी, आंखों के पीछे दर्द, जोड़ों में दर्द, ग्रंथियों में सूजन और त्वचा पर हल्के रैशज होते हैं। हालांकि कुछ बच्चों में लाल और सफेद निशानों के साथ पेट खराब, जी मिचलाना, उल्टी आदि भी हो सकता है।
साल दर साल डेंगू के मामले में बढ़ोतरी हो रही है। 2010 में डेंगू के जहां केवल 28,292 मामले सामने आए थे वो 2016 में बढ़कर 1,11,880 हो गए और इस साल अब तक इसके 36635 मामले सामने आए है।
Source- National Vector Borne Disease Control Programme
डेंगू के मामले में बढ़ोतरी के साथ मरने वालों की संख्या भी दोगुनी हो गई। 2010 में डेंगू की वजह से 110 लोगों की जान गई थी वहीं 2016 में ये संख्या 245 पहुंच गई।
Source- National Vector Borne Disease Control Programme
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