घर में नहीं थे पैसे, पर करना चाहती थी MBA... दोस्तों ने की मदद और इस तरह पूरी हुई मेरी पढ़ाई

मेरी कहानी मेरे दोस्तों को डेडिकेटेड है, जिन्होंने न सिर्फ मेरे मुश्किल समय में साथ दिया, बल्कि पढ़ाई पूरी करने में फाइनेंशियली भी मेरी काफी मदद की।

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दोस्ती का रिश्ता सबसे अनोखा होता है। हालांकि, कुछ दोस्त जंजाल बिछाने का काम भी करते हैं, लेकिन मेरे दोस्तों ने मेरी बहुत मदद की है और मैं इसके लिए हमेशा सुक्रगुजार रहूंगी। कहते हैं हर कामयाब आदमी के पीछे एक औरत का हाथ होता है, पर केस में इसका ठीक उल्टा है। दरअसल, मेरे मेल फ्रेंड न होते तो शायद मैं अपने एमबीए की पढ़ाई ही नहीं कर पाती। मैं कह सकती हूं कि मेरी छोटी सी सफलता के पीछे मेरे कुछ दोस्तों का हाथ है।

आप तो जानते ही हैं कि एक मिडिल क्लास फैमिली से आने वालों को कितनी सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसी ही एक समस्या मेरे पास आई- जब मैं एमबीए करने की सोची। उस समय मुझे कॉलेज में एडमिशन लेना था, पर मेरे घर की कंडीशन ठीक नहीं थी। फिर, मेरे दोस्तों ने कॉलेज में दाखिला लेने में मदद की। आइए मैं आपको अपनी कहानी विस्तार से बताती हूं।

घर की खराब चल रही थी फाइनेंशियल कंडीशन

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मैं एक मिडिल क्लास फैमिली से आती हूं। साथ ही, मैं अपने घर की बड़ी बेटी और मेरे बाद भी 3 भाई-बहन हैं। ऐसे में, सभी की पढ़ाई और उनके खर्चे उठा पाना घर वालों के लिए काफी मुश्किल होता था। यही सोच कर ग्रेजुएशन के बाद मैं दो साल गैप कर दी, लेकिन मुझे कुछ जॉब करना था और इसके लिए मेरे मन में एमबीए करने का ख्याल आया। जब कॉलेज में दाखिले के लिए अप्लाई की तो उसमें हेवी अमाउंट मांगे जा रहे थे, जिसे मेरे पेरेंट्स के लिए अफोर्ड कर पाना मुश्किल था। फिर, मैं कॉलेज में ऐप्लिकेशन लिख कर अर्जी लगाई, ताकि फीस का बोझ थोड़ा कम हो सके। हालांकि, इससे फीस कम नहीं हुई, पर मुझे इंस्टॉलमेंट में पेमेंट करने का ऑप्शन दिया गया।

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दोस्तों ने इस तरह की मेरी मदद

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कॉलेज में इंस्टॉलमेंट में पेमेंट करने का विकल्प तो मुझे मिल गया था, लेकिन वो अमाउंट भी इतने हेवी थे, कि मैं अफोर्ड नहीं कर सकती थी। फिर, मुझे मेरे दोस्तों से गवर्नमेंट स्कॉलरशिप के बारे में पता चला, लेकिन आपको तो पता ही है कि सरकारी काम में कितने चक्कर काटने पड़ते हैं और कितनी देरी होती है। कुछ ऐसा ही हाल मेरे साथ भी हुआ था। मैं सरकारी स्कॉलरशिप के लिए अप्लाई भी की तो इसके पैसे आने में काफी समय लग रहा था। फिर, मेरे 2-3 दोस्तों ने मेरी एडमिशन फीस के लिए जुगाड़ किया और उनके बदौलत ही आज मैं अपनी एमबीए की पढ़ाई पूरी कर पाई हूं।

इस तरह मेरे दोस्तों ने मुझे फाइनेंशियली सपोर्ट किया और मेरी एमबीए की पढ़ाई पूरी की। मेरे लिए तो मेरे दोस्त ही मेरे हेल्पिंग हैंड हैं। हालांकि, कई लोगों को धोखेबाज दोस्त भी मिलते हैं, लेकिन मेरे दोस्तों ने मेरी हर बार मदद की है। तो मैं कह सकती हूं कि वे मेरे जीवन का अहम हिस्सा है। आपके पास भी कुछ अच्छे दोस्त जरूर होंगे, उनके साथ अच्छा रिलेशन बनाए रखिए और एक-दूसरे के मुसिबत में हमेशा साथ खड़े रहिए। यही दोस्ती है।

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Image Credit- Herzindagi

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