हमारे देश में महिलाओं ने काफी तरक्की कर ली है, देश में वर्किंग वुमन की संख्या पहले की तुलना में काफी ज्यादा बढ़ गई है, लेकिन आज भी महिलाएं बड़ी तादाद में घरेलू हिंसा की शिकार हो रही हैं। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि वे अपने अधिकारों से वाकिफ नहीं हैं।
महिलाओं को देश के हर नागरिक की तरह अधिकार प्राप्त हैं और इन अधिकारों के बल पर वे सम्मान का जीवन गुजार सकती हैं। शादी के बाद महिला अपने पति के घर चली जाती है, लेकिन पति के घर में जाने का अर्थ यह बिल्कुल नहीं है कि महिला के साथ उसका पति या उसके ससुराल वाले किसी तरह की जोर-जबरदस्ती कर सकते हैं। शादी के बाद महिलाओं के मेट्रिमोनियम होम या कि पति के घर में क्या अधिकार हैं, के बारे में हमें ज्यादा जानकारी दी आशिमा ने, जो पेशे से वकील हैं।
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मेट्रिमोनियल होम में सम्मान के साथ बिताएं जिंदगी
मैट्रिमोनियल होम उस घर को कहा जाता है, जहां महिला शादी के बाद पति के साथ रहती है। यह घर पति का अपना भी हो सकता है या फिर ससुराल वालों के साथ शेयर्ड भी हो सकता है। हमारे कानून में मेट्रिमोनियल होम की कोई सटीक परिभाषा नहीं है, लेकिन पति के साथ जिस घर में महिला रहती है, उसे ही मेट्रिमोनियल होम माना जाता है।
मेट्रिमोनियल होम में होते हैं ये अधिकार
जब तक आप अपने पति के साथ तलाक नहीं ले लेतीं, आप कानूनी तौर पर अपने मेट्रिमोनियल होम में रहने की हकदार हैं। अगर किसी कारणवश आपने तलाक के लिए अर्जी नहीं दी है और आपके पति ने या सास ससुर ने आपको घर से निकाल दिया है तो कानूनी प्रावधान के तहत आपको पूरा अधिकार है कि आप अपने पति के घर रह सकती हैं। अगर आपके पति या आपके ससुराल वाले दहेज को लेकर या किसी अन्य वजह से आपके साथ किसी तरह की हिंसा या जबरदस्ती करते हैं तो आप सीएडब्लू सेल में जाकर इसकी शिकायत दर्ज करा सकती हैं। महिलाओं की सुरक्षा के लिए यह सेल हर डिस्ट्रिक्ट पुलिस स्टेशन में बना होता है। यानी घरेलू हिंसा हो या दहेज उत्पीड़न का मामला, महिला को अपने पति के घर पर कानूनी तौर पर रहने का पूरा हक है। जब तक महिला कानूनी तौर पर अपने पति से अलग नहीं हो जाती, वह ससम्मान अपने पति के घर रह सकती है।