image

    जगन्नाथ रथ यात्रा में हजारों की भीड़ में शिवानी ने ऐसा क्या देख लिया, मिनटों में उसकी आंखों के आगे...

    Prachi Tandon

    शिवानी की नजर जहां तक जा सकती थी, वहां तक सिर्फ पानी ही पानी था। वो अपनी मां से बोली, 'देखो मां कितना सुंदर नजारा है...'। फिर, दोनों मां बेटी नंगे पैर रेत पर चलने लगी, कभी उनके पैर समंदर का पानी छूता तो दोनों खिलखिला उठतीं। फिर शिवानी के कान में एक आवाज पड़ी, 'मंदिर का द्वार खुलने का समय हो गया है'। यह सुन शिवानी अपनी मां से बोली, 'चलो आपके भगवान जगन्नाथ दर्शन देने के लिए तैयार हैं'। यह सुनकर शिवानी की मां बोली, 'मेरे क्या वो तेरे भी हैं वह...इस जग के नाथ हैं'। अपनी मां की बात सुनकर शिवानी बोली, 'हां...हां बिल्कुल, अब उनसे मिल तो लो जिनके लिए दिल्ली से आए हैं।'

    मंदिर के रास्ते में चलते-चलते शिवानी की मां सुमित्रा बोली, 'तुझे पता है जब तू 5 साल की थी, तब तेरे पापा की आखिरी पोस्टिंग यहीं हुई थी...'। यह बात सुनकर शिवानी के पैर जो पहले तेजी से चल रहे थे, अचानक धीमे हो गए। शिवानी ने कुछ नहीं कहा, लेकिन वह आगे सुनना चाहती थी क्योंकि, उसकी मां पिछले 15 सालों में इस बात का कभी जिक्र नहीं किया था। शिवानी की मां कुछ सेकेंड की चुप्पी के बाद बोली, 'पुलिस की नौकरी कुछ ऐसी ही होती है, कभी इस शहर तो कभी उस शहर'। फिर क्या शिवानी की आंखों के आगे तेज धूप की तरह बीस साल पुरानी यादें चमकने लगीं। उसके पापा IPS कमल सिंह, आतंक विरोधी दस्ते में थी और पुरी में तैनात थे। जहां एक ऑपरेशन के दौरान वह शहीद हो गए थे।

    IPS father learning to daughter

    शिवानी को याद आया...उसके पापा हमेशा कहते थे, 'बेटा...कभी डरना नहीं है, जो भी हो जाए हर मुसीबत का डटकर सामना करना है।' शिवानी अपनी यादों के समंदर में डूब पाती कि उसके कानों में 'जय जगन्नाथ...जय जगन्नाथ' जोर-जोर से गूंजने लगा। चारों तरफ मंदिर की घंटियों की आवाज और मां-बेटी हजारों की भीड़ में।

    जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू होने को थी, चारों तरफ सिर्फ श्रद्धालुओं की भीड़। हर कोई भगवान के दर्शन करने को बेताब था। शिवानी की मां भी सालों पुरानी यादों के बीच खो गई थी और भगवान जगन्नाथ के दर्शन करना चाहती थीं। वहीं, शिवानी को सिर्फ अपनी मां की चिंता थी और इसी चिंता में उसने मां का हाथ कसकर पकड़ लिया।

    रथ यात्रा में चारों तरफ भक्ति का माहौल था और देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु पहुंचे थे। वहीं, अचानक कुछ ऐसा हुआ कि शिवानी सोच में पड़ गई कि 'आखिर यह क्या है...?'

    Jagnnath rath yatra fictional story terror attack

    शिवानी की नजर एक लगभग 6 फीट के आदमी पर पड़ी, वह श्रद्धालुओं से कुछ अलग लग रहा था। काला कुर्ता पहना वह शख्स शिवानी की समझ से परे था, वह बार-बार मोबाइल पर बात कर रहा था...आस-पास नजरें दौड़ा रहा था। भीड़ में भी शिवानी चाहकर उससे अपनी नजरें नहीं हटा पा रही थी, उसे लग रहा था कि कुछ तो गड़बड़ है। उसके कदम अचानक काला कुर्ता पहने शख्स की तरफ बढ़ने लगे। लेकिन, शिवानी ने जैसे ही एक कदम बढ़ाया उसकी मां ने हाथ खींच लिया...'अरे कहां जा रही है?'

    शिवानी ने तब अपनी मां को भीड़ से थोड़ा अलग किया और कहा, 'आप यहीं रुको...मैं आती हूं'। मां के चेहरे पर घबराहट और अनजाना डर था। इसी डर की वजह से उन्होंने शिवानी को पीछे से टोका '...अरे, अरे, रुक तो सही...' पर शिवानी के कदम तेजी से काला कुर्ता पहने शख्स के पीछे लग चुके थे।

    20 year girl catches terrorist fictional story jagnanath yatra

    शिवानी का कंधा भीड़ में हर किसी से टकरा रहा था, लेकिन वह सभी को साइड करती हुई उस शख्स के पीछे चल दी। तभी उसने देखा कि शख्स के हाथ में एक बड़ा काला बैग भी है। शिवानी की दिल की धड़कनें तेज हो गईं, वह डर रही थी लेकिन, तभी उसे पापा की सीख याद आई '...चाहे कुछ हो जाए डरना नहीं है'।

    भीड़ से निकलकर वह काला कुर्ता पहना शख्स एक गली में मुड़ गया, शिवानी भी उसके पीछे चल दी। इतनी ही देर में शिवानी की तेज नजरों ने देखा कि शख्स के बैग से एक तार का कोना निकलकर झांक रहा है। यह देख शिवानी को अपने शक पर यकीन हो गया कि पक्का कोई गड़बड़ ही है।

    शिवानी ने अपने मोबाइल फोन का कैमरा ऑन कर लिया और धीमे कदमों के साथ शख्स के पीछे चलती रही, एक मन तो उसका था कि पुलिस को तुरंत खबर कर दे। लेकिन, इतने शोरगुल और भीड़ में पुलिस तक पहुंचना भी आसान नहीं था। वह कुछ सोच ही पाती कि काला कुर्ता पहना शख्स एक मकान के सामने जा खड़ा हुआ, जहां अंदर से एक दूसरा व्यक्ति निकला और उसने एक बड़ा-सा लंच बॉक्स पकड़ा दिया।

    शिवानी भी एक दीवार की ओट में खड़ी हो गई और फोन का कैमरा उन दोनों लोगों की तरफ घुमा दिया। तभी तिरछी नजरों से शिवानी क्या देखती है कि काला कुर्ता पहना व्यक्ति वह लंच बॉक्स खोल रहा है और उसमें खाना नहीं, बल्कि एक मशीन-सी रखी है। तभी शिवानी का दिमाग घूमा और उसके मन में पहला ही ख्याल आया '...बॉम्ब!!! क्या यह कोई साजिश रच रहे हैं? क्या यह यात्रा में श्रद्धालुओं को नुकसान पहुंचाने वाले हैं।'

    suspensful fictional story on jagannath rath yatra

    शिवानी समझ नहीं पा रही थी कि उसे क्या करना चाहिए? तभी उसके दिमाग में पापा के दोस्त विक्रम अंकल का ख्याल आया। विक्रम अंकल की पुरी में ही पोस्टिंग थी। इस बारे में शिवानी को मां ने ट्रेन में ही तो बताया था कि पापा के खास दोस्त ओडिसा में क्राइम ब्रांच में काम करते हैं।

    शिवानी ने अपना बैग टटोला और उसमें मां की फोन डायरी मिल गई, जिसमें विक्रम अंकल का नंबर पहले ही पेज पर लिखा था। शिवानी ने तुरंत ही फोन मिला दिया और जैसे ही फोन उठा, उसने कहा '...मैं शिवानी, IPS ऑफिसर कमल सिंह की बेटी।' शिवानी की इतना बोलने की देर थी कि दूसरी तरफ से आवाज आई, '...हेलो बेटो! तुम कैसी हो और मम्मी कैसी है।' शिवानी ने आगे कहा, 'अंकल आपकी बहुत जरूरत है हम यहां पुरी में हैं और एक बड़ी घटना होने वाली है।'

    विक्रम ने शिवानी से बोला तुम घबराओ नहीं और साफ-साफ बताओ क्या बात है। शिवानी ने सबकुछ एक सांस में बता दिया और कहा, 'मैंने आपको वीडियो भी भेजा है जो उस शख्स का पीछा करते हुए बनाया था।'

    शिवानी ने इतना कहा ही था कि न जाने काला कुर्ते वाला शख्स उसके सामने आ खड़ा हुआ। शिवानी के माथे पर पसीना था और सामने हाथ में हथियार लिए 6 फीट का आदमी। काले कुर्ते वाले ने सीधा पूछा, '...ऐ तू कौन है। यहां क्या कर रही है? फोन पर किससे बात कर रही थी?' शिवानी ने टूटती-फूटती आवाज में कहा, 'मैं भटक गई थी, रास्ता नहीं समझ पा रही...फोन में दोस्त से बात कर रही थी कहां जाऊं...कैसे जाऊं।'

    thriller story in hindi

    काले कुर्ते वाला चिल्लाकर बोला, 'जब रास्ता समझ नहीं आता तो भीड़ में मुंह उठाकर चले क्यों आते हो...।' शिवानी कुछ आगे बोल पाती तभी उस शख्स ने कहा, 'भाग जा लड़की और अगली बार रास्ता भटकी, तो वापस नहीं जा पाएगी।'

    वहीं, दूसरी तरफ शिवानी का फोन कटने के बाद विक्रम एक्शन में आ गया और उसने जैसे ही वीडियो देखा तो वह हैरान रह गया। क्योंकि, काले कुर्ते वाला शख्स कोई आम नहीं, बल्कि वह था जिसने 5 साल पहले चेन्नई के एक बाजार में धमाका करवाया था। वीडियो देखने के बाद विक्रम ने पूरे शहर में हाई अलर्ट करवा दिया।

    शहर की पुलिस एक्टिव हो गई थी, वहीं विक्रम अंकल ने शिवानी के वीडियो क्लिप की मदद से संदिग्धों के चेहरों की पहचान कर ली और अपनी टीम में जल्द से जल्द उन्हें पकड़ने का ऑर्डर दे दिया।

    शिवानी ने काले कुर्ते वाले दूर भागकर एक बार फिर विक्रम अंकल को फोन किया और पूरा हाल बता दिया। विक्रम ने शिवानी से कहा कि संदिग्धों की नजर तुम पर होगी। जल्दी से जल्दी अपनी मां के पास जाओ और किसी सुरक्षित स्थान पर पहुंचो।

    शिवानी अपनी मां के पास पहुंच गई, वह डरी हुई थी। लेकिन, उसने मां को कुछ नहीं बताया। कुछ देर ही बीती थी कि शिवानी की वीडियो क्लिप में जो घर दिखाई दे रहा था, उससे काले कुर्ते वाले के साथी को पकड़ लिया गया।

    पुलिस ने अपने तरीकों से संदिग्ध से सारा सच निकलवा लिया। इतना ही नहीं, पुलिस ने कुछ ही घंटों में काले कुर्ते वाले को अरेस्ट भी कर लिया।

    अरेस्ट करने और उससे सभी जानकारियां निकलवाने के बाद विक्रम ने शिवानी को फोन किया और अपने ऑफिस बुलाया। जहां शिवानी और उसकी मां को पता चला कि काले कुर्ते वाला आदमी एक कुख्यात आतंकी था और उसका प्लान रथ यात्रा में धमाका करना था।

    विक्रम ने पूरे ऑफिस के सामने बताया, 'आज एक लड़की ने जो हिम्मत और समझदारी दिखाई, वह हमारे लिए गर्व की बात है। उसने न सिर्फ अपने पिता का नाम जिंदा रखा है, बल्कि हजारों की जिंदगियां बचाई हैं।'

    IPS officer praise delhi girl jagnnath rath yatra fiction

    विक्रम की बात सुनकर सुमित्रा की आंखों के आंसू उसके गालों तक बहकर आ गए। यह आंसू गर्व के थे और उस डर के खत्म होने के जो पति के जाने के बाद सुमित्रा के मन में बैठ गया था। शिवानी ने अपनी मां के आंसू पोछें और कहा, 'मां...आप सही कहती थीं, वह सच में इस जग के नाथ हैं। उन्होंने ही हमें और अपने भक्तों को बचाया है...' वहीं, हजारों की भीड़ के साथ भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र और सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होकर निकल पड़े थे।

    यह कहानी पूरी तरह से कल्पना पर आधारित है और इसका वास्तविक जीवन, स्थान, या किसी भी धार्मिक यात्रा से कोई संबंध नहीं है। इस कहानी में जिस भी स्थान और पात्र का जिक्र किया गया है वह केवल लेखन के उद्देश्य से है। हमारा उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है। ऐसी ही कहानी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी के साथ।

    इसे भी पढ़ें: 42 साल की शालिनी को खूब पीटता था शराबी पति, एक दिन हुआ कुछ ऐसा कि...

    इसे भी पढ़ें: अमावस्या की रात जब काली गुड़िया हवा में...क्या था पुरानी हवेली का राज? जिसकी खिड़की से झांकते ही मीनू और काव्या की...

    इसे भी पढ़ें: नवरात्रि की रात और हवन कुंड के सामने बैठी घुंघराले सफेद बालों वाली बुढ़िया, मंत्र के बाद जब पलटी तो...