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वो महिलाएं जिन्होंने अपनी शर्तों पर बदल दी हिन्दी सिनेमा की तस्वीर

हिंदी सिनेमा दुनिभर में मशहूर है लेकिन क्या आप जानती हैं कि वो कौन सी महिलाएं है जिन्होंने अपनी शर्तों पर हिन्दी सिनेमा की तस्वीर को पूरी तरह से बदल दिया। आपको हम इंडियन सिनेमा की उन महिलाओं के बारे में बता रहे है जिन्होंने पहली बार जब इंडस्ट्री में कदम रखा तो इंडियन सिनेमा की तस्वीर ही बदल गई। फिल्मों में अदाकारी से लेकर फिल्म में बतौर डायरकेटर, सिंगर हर तरह के रोल को इन महिलाओं में इस तरह निभाया है कि आज भी इंडियन सिनेमा में इनकी पहचान बरकरार है। 

Inna Khosla

Her Zindagi Editorial

Updated:- 03 Apr 2018, 19:04 IST

नरगिस

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ये बात तो सब जानते हैं कि बॉलीवुड हीरोइन नरगिस मशहूर अभिनेता नेता सुनीत दत्त की पत्नी और संजय दत्त की मां है। लेकिन शायद आप ये नहीं जानते होंगे कि नरगिस बॉलीवुड की पहली ऐसी हीरोइन हैं जिन्हें सिनेमा में काम करने के लिए सबसे पहले नेशनल अवार्ड दिया गया था। 1967 में फिल्म रात और दिन फिल्म के लिए नरगिस को बेस्ट एक्ट्रेस के लिए नेशनल अवार्ड से नवाज़ा गया था। इतना ही नहीं नरगिस की फिल्म मदर इंडिया ऑस्कर में जाने वाली पहली फिल्म थी 1958 में इंडिया की तरफ से ऑस्कर अवार्ड के लिए जिस फिल्म को भेजा गया था उसकी हीरोइन नरगिस ही थी।

राजकुमारी

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राजकुमार इंडियन सिनेमा की पहली पार्शव गायिका हैं इन्होंने दस साल की उम्र में प्रकाश पिक्चर्स की फिल्म से सिंगर और बतौर एक्ट्रेस अपने करियर की शुरूआत की। इन्हें 1934 में इंडियन सिनेमा में कदम रखा था। 

 

देविका रानी

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इंडियन सिनेमा में हीरो को किस करने वाली पहली हीरोइन देविका रानी ने साल 1933 में फिल्म कर्मा में 4 मिनट लंबा किस सीन करके सबको चौका दिया था। उस ज़माने में हीरोइन का फिल्मों में काम करना और रोमांस करना बहुत ही खराब माना जाता था। लेकिन देविका रानी ने उस ज़माने में भी इस तरह का सीन देने में हिचकिचाहट महसूस नहीं की। ऐसा रिकॉर्ड बनाया जिसे आज तक हीरोइन्स नहीं तोड़ पायी हैं। 

 

निडर नाडिया

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नाडिया को हिंदी सिनेमा में उनके खतरों से भरे स्टंट करने के लिए फियरलेस नाडिया कहा जाता था। इंडियन सिनेमा में स्टंटवुमेन कहलाने वाली नाडिया पहली हीरोइन हैं। साल 1935 में जब हीरो इंडियन सिनेमा की पहचान हुआ करते थे ऐसे समय में फिल्म हंटरवाली में पहली बार मैरी एन इवेन जिन्हें फियरलेस नाडिया कहा जाता है ने बड़े पर्दे पर जबरदस्त स्टंट सीन से सबको अपना दीवाना बना दिया था। उन्ही की तरह बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनाउत ने भी रंगून फिल्म से उनकी तरह स्टंट करने की कोशिश की थी हालांकि उनकी मेहनत इतनी सफल नहीं हुई।

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सरोज खान

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हिंदी सिनेमा में काम करने वाली बच्चा-बच्चा सरोज खान का नाम जानता है। माधुरी दीक्षित जैसी बीटाउन की सुपरहिट हीरोइन भी भीड़ में खड़ी सरोज खान के पैर छूती हैं। शायद आप ये नहीं जानती होंगी कि सरोज खान का असली नाम निर्मला नागपाल है। इनकी शादी 13 साल की उम्र में ही कोरयोग्राफर सोहनलाल से हो गई थी जो मुस्लिम थे और फिल्मों में हीरो-हीरोइन को डांस सीखाया करते थे। सरोज खान ने उन्हीं से डांस सीखा और फिर साल 1974 में आई फिल्म गीता मेरा नाम में पहली बार बतौर कोरयोग्राफर काम किया। बॉलीवुड फिल्मों में स्टार्स को डांस सीखाने वाली सबसे पहली महिला कोरयोग्राफर सरोज खान ही हैं। इन्हें माधुरी दीक्षित और श्रीदेवी की फिल्मों से पहचान मिलनी शुरू हुई थी। 

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उमा देवी खत्री

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उमा देवी खत्री को लोग बॉलीवुड में टुन टुन के नाम से पहचानते हैं। ये हिंदी सिनेमा की पहली कॉमेडियन अदाकारा हैं। उत्तर प्रदेश से मुंबई में गाना गाने आयी उमा खत्री ने अपने करियर की शुरूआत बतौर गायिका ही की थी लेकिन फिर धीरे-धीरे उनका ध्यान सिनेमा में एक्टिंग करने की तरफ खींचा तो उन्होंने साल 1950 में फिल्म बाबुल से कॉमेडियन अदाकारा के रूप में काम करना शुरू किया इस फिल्म के हीरो दिलीप कुमार थे। 5 दशकों तक हिंदी सिनेमा में काम करने वाली टुनटुन ने लगभग 200 फिल्मों में काम किया।

 

फातमा बेगम

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हिंदी सिनेमा की पहली डायरेक्ट फातमा बेगम ने साल 1926 में अपना प्रोडक्शन हाउस बनाया। जिसका नाम 1928 में विक्टोरिया फातमा फिल्म के नाम से मशहूर हुआ। फातमा बेगम ना सिर्फ फिल्म डायरेक्टर थी बल्कि ये फिल्मे लिखना, उनमें एक्टिंग करना, उन्हें प्रड्यूस करना सब जानती थी।

दुर्गाबाई कामत

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हिंदी सिनेमा की सबसे पहली हीरोइन हैं दुर्गाबाई कामत। साल 1913 में दादा साहेब फाल्के की फिल्म मोहिनी भस्मासुर से दुर्गाबाई ने हिंदी सिनेमा में शुरूआत की। इससे पहले फिल्मों में आदमी ही हीरोइन का किरदार निभाया करते थे। उस ज़माने में फिल्मों में औरतों के काम करने को अच्छा नहीं माना जाता था। 

 

कमलाबाई गोखले

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हिंदी सिनेमा की पहली चाइल्ड हीरोइन कमलाबाई गोखले दुर्गाबाई कामत की बेटी ही हैं। इन्होंने अपनी मां के साथ ही उनकी पहली फिल्म मोहिनी भस्मासुर में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट काम किया था। 

 

बीआर विजयालक्ष्मी

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बीआर विजयालक्ष्मी साउथ इंडियन डायरेक्टर प्रड्यूसर बीआर पंथुलू की बेटी हैं। लेकिन बावजूद इसके विजयालक्ष्मी की पहली सिनेमेटोग्राफर फिल्म साल 1985 में आयी और उन्हें हिंदी सिनेमा की पहली सिनेमेटोग्राफर माना गया।

अंजुली शुक्ला

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अंजुली शुक्ला नेशनल अवार्ड जीतने वाली पहली इंडियन सिनेमेटोग्राफर हैं। लखनऊ में पैदा हुई अंजुली ने पुने के FTII से सिनेमेटोग्राफी का कोर्स किया और उसके बाद कई फिल्मों में असीस्टेंड के रूप में काम करने के बाद उन्हें बतौर सिनेमेटोग्राफर उनकी मलयालम फिल्म कुट्टी शर्कं के लिए नेशनल अवार्ड मिला।