जहां तक खाना पकाने का सवाल है तो बिना नमक कभी काम नहीं हो सकता है। अगर खाने में नमक की मात्रा जरा सी भी कम ये ज्यादा हो जाए तो खाना खाने का मज़ा ही खराब हो जाता है। एक तरफ तो नमक खाने के लिए बहुत जरूरी होता है क्योंकि ये स्वाद के साथ-साथ आयोडीन की कमी को भी पूरा कर सकता है और दूसरी तरफ इसे ज्यादा खाने से बीपी की समस्या भी हो सकती है। हम अक्सर अपने खाने में एक ही तरह का नमक खाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अलग-अलग तरह का नमक इस्तेमाल कर न सिर्फ स्वाद बढ़ाया जा सकता है बल्कि अलग-अलग तरह के हेल्थ बेनेफिट्स भी लिए जा सकते हैं। आज हम आपको 10 तरह के नमक के बारे में जानकारी देंगे। इनके फायदे अलग-अलग रिसर्च के आधार पर लिखे गए हैं। इनमें से प्रमुख National Center for Biotechnology Information (ncbi) की रिसर्च है। <div> </div>
रोजमर्रा के खाने में यही नमक इस्तेमाल किया जाता है। इसमें सोडियम और आयोडीन दोनों की ही मात्रा ज्यादा होती है और यही कारण है कि इसे बहुतायत में इस्तेमाल किया जाता है जो थायरॉइड ग्लांड्स के लिए अच्छा है।
अजमोद के बीज और नमक को एक साथ पीसकर इसे बनाया जाता है। इस तरह के नमक का स्वाद तो अच्छा होता है और कई मामलों में ये हाजमें के लिए भी दुरुस्त होता है, लेकिन इसमें आयोडीन की मात्रा काफी कम होती है।
अब आप तरह-तरह के नमक के बारे में जान गई हैं और अपनी जरूरत के हिसाब से आप अपने खाने के लिए सही तरह के नमक का चुनाव कर सकती हैं। अगर ये स्टोरी आपको अच्छी लगी तो इसे शेयर जरूर करें।
सादे नमक के अलावा भारत में काला नमक भी बहुत प्रसिद्ध है। अगर किसी को अपच हो रही है या फिर एसिडिटी की समस्या है तो काला नमक खाना बेहतर होता है। ये पीरिड पेन में भी सहायक होता है।
सेंधा नमक को हिमालयन पिंक सॉल्ट भी कहा जाता है और व्रत में इस्तेमाल करने के साथ-साथ इस नमक में 84 तरह के मिनरल्स भी होते हैं जो सेहत के लिए अच्छे हैं। ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर लेवल को नॉर्मल रखने के लिए इस नमक को इस्तेमाल किया जा सकता है।
अब आप सोच रहे होंगे कि ये कैसा नमक है तो मैं आपको बता दूं कि इस नमक को बनाने के लिए लकड़ी की आग का इस्तेमाल किया जाता है, इसलिए स्मोक्ड फ्लेवर आता है। इसका स्वास्थ्य को लेकर तो बहुत ज्यादा इस्तेमाल नहीं है, लेकिन ये मीट आदि का फ्लेवर बहुत बढ़ा देता है।
ये नमक अनाज के दानों जैसा दिखता है। ये पूरी तरह से पिसा हुआ नहीं होता, लेकिन ये नॉर्मल नमक की तुलना में ज्यादा जल्दी घुल जाता है। इसे शेफ्स मीट और सब्जियों में फ्लेवर के लिए इस्तेमाल करते हैं।
इसे हवाइयन (हवाई स्टेट अमेरिका) रेड सॉल्ट के नाम से जाना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें वॉल्केनिक क्ले और आयरन ऑक्साइड की मात्रा होती है। शुरुआती दौर में हवाई के स्थानीय लोग इसे सफाई के लिए इस्तेमाल करते थे। ये काफी महंगा होता है और इसमें 80 तरह के मिनरल होते हैं। जिसे आयरन की कमी हो उसके लिए ये नमक काफी अच्छा साबित हो सकता है।
जैसा कि नाम बता रहा है इसे समुद्र के पानी को वाष्पीकृत कर बनाया जाता है। इस नमक में भी आयोडीन की मात्रा ज्यादा होती है, हालांकि ये बहुत ज्यादा फिल्टर नहीं होता। ब्यूटी ट्रीटमेंट्स के लिए ये बहुत इस्तेमाल किया जाता है। इससे स्क्रब बहुत अच्छे बनते हैं। हालांकि, खाना बनाते समय मैरिनेशन के लिए भी ये इस्तेमाल होता है।
इसे इसका नाम इसके रंग की वजह से मिला है। ये आम तौर पर फ्रांस से इम्पोर्ट किया जाता है और इसका रंग ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इसमें बहुत सारे मिनरल्स मिले होते हैं। इसे सीफूड में इस्तेमाल किया जाता है और सब्जियों में भी इसका फ्लेवर अच्छा आता है।
ये भी एक फ्रेंच नमक है जो खास तौर पर ब्रिटनी (Brittany) नामक क्षेत्र से आता है। अन्य नमक के मुकाबले इस नमक में मॉइश्चर ज्यादा होता है और इस कारण इसका फ्लेवर ज्यादा देर तक जबान पर रहता है। इसे कई फ्रेंच शेफ अपने बनाए हुए खाने में इस्तेमाल करते हैं।