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Bhagwat Katha Kalash Yatra: भागवत कथा से पहले क्यों निकाली जाती है कलश यात्रा, जानें महत्व और इससे जुड़ी अन्य बातें

हिंदू धर्म में भागवत कथा का विशेष महत्व है। यह कथा 8 दिनों तक चलती है और भक्तजन इस दौरान श्री कृष्ण की भक्ति में लीन रहते हैं। इस कथा के आरंभ से पहले महिलाएं कलश यात्रा निकालती हैं। आइए जानें इसके महत्व के बारे में।
Editorial
Updated:- 2025-04-02, 19:42 IST

सनातन धर्म में भागवत कथा का विशेष महत्व होता है। यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं यही बल्कि आध्यात्मिक जागरण और भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का सार भी है। किसी भी भागवत कथा के शुभारंभ से पहले कलश यात्रा निकालने की परंपरा होती है, जो पूरे आयोजन को शुभता प्रदान करती है। कलश यात्रा के दौरान महिलाएं सिर पर कलश धारण कर भक्ति भाव में सराबोर होकर लाल और पीले रंग के वस्त्रों में शोभायात्रा निकालती हैं। इस यात्रा में भक्तगण भजन-कीर्तन करते हुए कथा स्थल तक पहुंचते हैं, जिससे वातावरण भी भक्तिमय हो जाता है। कलश यात्रा को पवित्रता, सकारात्मक ऊर्जा और शुभ संकेत का प्रतीक माना जाता है। यह यात्रा देवी-देवताओं का आह्वान करने के साथ-साथ आस-पास के वातावरण की शुद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण मानी जाती है। शास्त्रों की मानें तो कलश का पानी जल तत्व का प्रतिनिधित्व करता है, जो जीवन का आधार है। इसे भगवान विष्णु का प्रतीक भी माना जाता है, इसलिए भागवत कथा से पहले कलश यात्रा निकालना अत्यंत शुभ होता है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें इसके बारे में।

भागवत कथा से पहले कलश यात्रा का महत्व

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भागवत कथा हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ और पवित्र मानी जाती है। किसी भी भागवत कथा के आयोजन से पहले कलश यात्रा निकालना एक आवश्यक परंपरा मानी जाती है, जिसे धर्म और आस्था से जोड़कर देखा जाता है। यह यात्रा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि भक्तों में आध्यात्मिक ऊर्जा और भक्ति भाव को भी जाग्रत करती है।

कलश यात्रा का धार्मिक महत्व क्या है?

कलश यात्रा हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ मानी जाती है और किसी भी धार्मिक अनुष्ठान या कथा के आयोजन से पहले इसे निकाला जाता है। यह यात्रा न केवल धार्मिक परंपराओं का प्रतीक है, बल्कि इसका गहरा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है।

कलश को हिंदू धर्म में सृष्टि, ऊर्जा और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। यह जल तत्व का प्रतिनिधित्व करता है, जो जीवन का आधार होता है। कलश में गंगाजल या पवित्र जल भरकर उसकी पूजा करने से वातावरण शुद्ध होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

कलश यात्रा से देवी-देवताओं का आह्वान किया जाता है

कलश यात्रा के माध्यम से भगवान श्री हरि विष्णु, माता लक्ष्मी और अन्य देवी-देवताओं का आह्वान किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस यात्रा से ईश्वरीय कृपा प्राप्त होती है और कथा स्थल पर दिव्य ऊर्जा का संचार होता है। यही नहीं कलश यात्रा के दौरान श्रद्धालु भजन-कीर्तन और मंत्रोच्चारण करते हैं, जिससे भक्तों की आस्था और भक्ति में वृद्धि होती है। यह यात्रा भक्तों को आध्यात्मिक शांति और आंतरिक सुख प्रदान करती है। इसी कारण से किसी भी भागवत कथा या धार्मिक आयोजन से पहले कलश यात्रा को शुभ और अनिवार्य माना जाता है।

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भागवत कथा से पहले कलश यात्रा से शुभ संकेत मिलते हैं

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भागवत कथा से पहले निकाली जाने वाली कलश यात्रा शुभता और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक होती है। इस पावन यात्रा में महिलाएं सिर पर पवित्र जल से भरा कलश धारण कर श्रद्धा और भक्ति के साथ शोभायात्रा निकालती हैं। यात्रा के दौरान वेद मंत्रों का उच्चारण, भजन-कीर्तन और जयकारों से संपूर्ण वातावरण भक्तिमय और शुद्ध हो जाता है।

कलश को देवी-देवताओं का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इसकी स्थापना से कथा स्थल पर दिव्य ऊर्जा का संचार होता है। यह यात्रा भक्तों के मन में भक्ति भाव बढ़ाती है और उन्हें आध्यात्मिक रूप से कथा में एकाग्र होने की प्रेरणा देती है। इसी कारण भागवत कथा के सफल आयोजन के लिए कलश यात्रा को अत्यंत शुभ और अनिवार्य माना जाता है, जिससे संपूर्ण कार्यक्रम में सकारात्मकता और ईश्वरीय कृपा बनी रहती है। कलश यात्रा में देवी-देवताओं के साथ पितरों का आह्वान भी किया जाता है।

कलश में रखे हुए जल का आध्यात्मिक महत्व

what is the signifiance of kalash yatra

कलश में गंगाजल या अन्य पवित्र नदियों का जल भरा जाता है, जो शुद्धता और आध्यात्मिकता का प्रतीक माना जाता है। यह जल केवल एक साधारण तत्व नहीं, बल्कि दिव्य ऊर्जा से परिपूर्ण होता है, जो कथा स्थल को शुद्ध और पवित्र बनाता है। कलश में रखा पवित्र जल सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और भक्तों के मन में भक्ति भाव को जागृत करता है। इसे धार्मिक अनुष्ठानों में देवताओं का आह्वान करने और आध्यात्मिक वातावरण निर्मित करने के लिए उपयोग किया जाता है। जब कलश यात्रा के दौरान यह जल कलश में स्थापित किया जाता है, तो यह पूरे आयोजन को शुभता और दिव्यता प्रदान करता है। इसलिए भागवत कथा से पहले कलश यात्रा का आयोजन जरूरी माना जाता है।

किसी भी धार्मिक काम के पहले कलश यात्रा करना बहुत शुभ माना जाता है और इससे आपके आस-पास का वातावरण शुभ होता है। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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