शास्त्रों के अनुसार, राधा रानी की अष्ट सखियों में सबसे प्रिय और प्रमुख ललिता जी थीं। वह राधा और कृष्ण के प्रेम की कहानी का एक अभिन्न हिस्सा थीं। ऐसा माना जाता है कि राधा रानी के बाद अगर किसी ने श्री कृष्ण से सबसे अधिक प्रेम किया था तो वह ललिता ही थीं। शास्त्रों में भी जब श्री कृष्ण और राधा रानी की लीलाओं का वर्णन मिलता है तो हर लीला में राधा रानी के साथ उनकी सखी ललिता का भी उल्लेख है। यहां तक कि ललिता सिर्फ राधा रानी की प्रिय नहीं थीं बल्कि कृष्ण भी अगर राधा रानी के अलावा किसी की सबसे ज्यादा बात मानते थे या डरते थे तो वह ललिता जी ही थी। ऐसे में आइये जानते हैं वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से कि कौन थीं ललिता और क्यों र्ध रानी एवं कृष्ण भी उनके आगे नमन करते थे।
क्यों राधा-कृष्ण की प्रिय थीं ललिता?
वैष्णव परंपरा और भागवत पुराण के अनुसार, ललिता को देवी राधा की 'काया-व्यूह' माना जाता है। काया-व्यूह का अर्थ है शरीर का विस्तार। पौराणिक कथा के अनुसार, श्री कृष्ण की ही आतंरिक शक्ति ने राधा रानी का रूप लिया, लेकिन उनका तेज एक रूप में समा नहीं पा रहा था तो उसी तेज में से उत्पन्न हुआ दूसरा तेज जो ललिता जी कहलाईं।
ऐसा भी माना जाता है कि जब श्री राधा कृष्ण ने धरती पर अवतार लिया प्रेम लीला रचाने हेतु तब उनकी इस लीला में भाग लेने की भगवान शिव की परम इच्छा थी तो उन्होंने बरसाना में ललिता के रूप में स्त्री जन्म लिया और राधा रानी की सेवा में नियुक्त हो गए। ऐसा इसलिए क्योंकि भगवान शिव जानते थे कि प्रेम लीला में किसी पर पुरुष का आगमन संभव नहीं।
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ललिता का प्रेम और समर्पण पूरी तरह से राधा और कृष्ण के लिए था। वह हमेशा राधा के सुख का ध्यान रखती थीं और उनके हर दुख-सुख में साथ रहती थीं। उन्होंने राधा-कृष्ण के मिलन को सफल बनाने के लिए कई प्रयास किए। यहां तक कि खुद कृष्ण से असीम प्रेम करने के बाद भी कभी उस प्रेम को राधा रानी के खातिर उजागर नहीं किया।
हालांकि राधा रानी और कृष्ण को यह बता पता थी और ललिता के इसी त्याग ने उन्हें राधा-कृष्ण का अति प्रिय बना दिया। जब भी राधा और कृष्ण के बीच कोई रूठना-मनाना होता था तो ललिता ही मध्यस्थ की भूमिका निभाती थीं। वह अपनी चतुराई से दोनों के बीच के मतभेदों को दूर करती थीं और उन्हें फिर से मिलाती थीं। ललिता राधा-कृष्ण के प्रेम की सबसे महत्वपूर्ण साक्षी थीं।
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