हिंदू धर्म में कालसर्प दोष एक ऐसा योग है जिसे अक्सर भय और चिंता से जोड़ा जाता है। जब किसी व्यक्ति की कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं, तो इस योग का निर्माण होता है, जिसे कालसर्प दोष कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि यह दोष जीवन में कई तरह की परेशानियों, जैसे विवाह में देरी, संतान संबंधी समस्याएं, स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें, आर्थिक उतार-चढ़ाव और मानसिक अशांति पैदा कर सकता है। लेकिन ज्योतिष शास्त्र में इस दोष के निवारण के लिए कई उपाय बताए गए हैं, जिनमें से शांति हवन पूजा एक प्रमुख और प्रभावी विधि माना गया है। यह पूजा विशेष रूप से इस दोष के नकारात्मक प्रभावों को कम करने और जीवन में सकारात्मकता लाने के लिए विशेष रूप से की जाती है। अब ऐसे में अगर आप कालसर्प दोष हवन पूजा कर रहे हैं तो किस विधि से करने से लाभ हो सकता है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
कालसर्प दोष तब बनता है जब किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु और केतु के बीच अन्य सभी ग्रह आ जाते हैं। राहु को 'सांप का मुख' और केतु को 'सांप की पूंछ' माना जाता है। जब कुंडली में सभी ग्रह इन दो छाया ग्रहों के एक ही तरफ आ जाते हैं, तो ऐसा लगता है, जैसे जातक सांप के बंधन में बंध गया हो। ऐसी स्थिति व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों में डाल देती है।
पूजा आरंभ करने से पहले, भगवान गणेश की पूजा की जाती है, क्योंकि वे विघ्नहर्ता हैं और किसी भी कार्य की सफलता के लिए उनकी पूजा महत्वपूर्ण मानी जाती है। हाथ में जल, फूल और चावल लेकर पूजा करने वाला व्यक्ति संकल्प लेता है। संकल्प में अपना नाम, गोत्र, स्थान और पूजा का उद्देश्य कालसर्प दोष शांति है।
गणेश मंत्रों का जाप करते हुए गणेश जी की पूजा की जाती है।
नवग्रहों की शांति के लिए उनकी पूजा की जाती है। सभी नौ ग्रहों का आह्वान किया जाता है और उन्हें संबंधित मंत्रों के साथ पुष्प, अक्षत, धूप, दीप आदि अर्पित किए जाते हैं. इससे ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद मिलती है।
राहु और केतु की चित्रों की स्थापना करें।
नाग-नागिन के जोड़े को दूध से स्नान कराकर, चंदन, कुमकुम, फूल आदि से पूजा की जाती है।
उसके बाद राहु और केतु के मंत्रों का जाप करें।
जाप के बाद हवन कुंड में अग्नि जलाएं। हवन सामग्री के साथ राहु, केतु और कालसर्प दोष शांति से संबंधित मंत्रों का जाप करते हुए आहुतियां दें।
आखिर में नाग-नागिन के जोड़े को किसी पवित्र नदी में प्रवाहित करें।
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जिन लोगों को विवाह में देरी या वैवाहिक जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, उनके लिए यह पूजा विशेष रूप से लाभकारी हो सकती है। ह पूजा व्यक्ति को मानसिक शांति दिलाती है। आपको बता दें, कालसर्प दोष का संबंध पितृ दोष से भी हो सकता है। ऐसे में यह पूजा पितरों को शांति प्रदान करने और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने में भी उत्तम परिणाम मिल सकते हैं।
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