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आपके बिगड़े रिश्ते और सेहत के पीछे कहीं कुंडली में मौजूद यह दोष तो नहीं, रोजाना इन 3 कामों को करने से चीनी सी घुल जाएगी रिश्तों में मिठास

क्या आपके रिश्तों में कड़वाहट आ गई है और सेहत भी साथ नहीं दे रही है? ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इसके पीछे आपकी कुंडली में मौजूद कुछ दोष हो सकते हैं। अक्सर हम इन समस्याओं को नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन कभी-कभी ग्रहों की चाल हमारे जीवन पर गहरा असर डालती है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 
Editorial
Updated:- 2025-08-21, 21:33 IST

क्या आपके रिश्ते लगातार बिगड़ रहे हैं? क्या आपकी सेहत भी कुछ ठीक नहीं रहती? अक्सर हम इन समस्याओं के पीछे बाहरी कारणों को जिम्मेदार ठहराते हैं, लेकिन कभी-कभी इसकी जड़ें हमारी कुंडली में मौजूद ग्रहों के दोषों में भी छिपी हो सकती हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुछ विशेष ग्रह दशाएं हमारे संबंधों और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं। लेकिन घबराइए नहीं, इन दोषों को पहचानना और उनके निवारण के लिए उपाय करना संभव है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं किन ग्रहों के दोष रिश्तों और सेहत को प्रभावित कर सकते हैं और कैसे रोजाना के तीन आसान काम आपके जीवन में मिठास घोल सकते हैं।

कुंडली में सूर्य के सातवें भाव में होने से मिलते हैं ये अशुभ परिणाम

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  • सातवें भाव में सूर्य की स्थिति अक्सर वैवाहिक जीवन में चुनौतियां लाती है। सूर्य एक अग्नि तत्व प्रधान ग्रह है और जब यह विवाह के भाव में आता है, तो यह अहंकार और प्रभुत्व की भावना को बढ़ावा दे सकता है। ऐसे जातकों में अपने साथी पर हावी होने की प्रवृत्ति देखी जा सकती है, जिससे रिश्ते में तनाव पैदा हो सकता है। जीवनसाथी के साथ अहम का टकराव या विचारों में भिन्नता के कारण अक्सर विवाद उत्पन्न हो सकते हैं। कभी-कभी, यह स्थिति देर से विवाह का कारण भी बन सकती है, या ऐसे संबंधों की ओर इशारा करती है जहाँ पार्टनर का व्यक्तित्व बहुत मजबूत होता है।
  • सूर्य को आत्मा, ऊर्जा और जीवन शक्ति का कारक माना जाता है। सातवें भाव में सूर्य की स्थिति कभी-कभी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भी दे सकती है, खासकर यदि यह पीड़ित हो। यह जातक में रक्तचाप की समस्या, सिरदर्द या पेट संबंधी विकार पैदा कर सकता है। जीवनसाथी के स्वास्थ्य पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिससे उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंताएं बनी रह सकती हैं।
  • व्यापारिक साझेदारी के लिए भी सातवां भाव महत्वपूर्ण है। यदि सूर्य यहाँ प्रतिकूल स्थिति में हो या पीड़ित हो, तो यह साझेदारी में समस्याओं को जन्म दे सकता है। जातक को अपने व्यापारिक साझेदारों के साथ मनमुटाव या गलतफहमी का सामना करना पड़ सकता है। विश्वास की कमी या अहंकार के मुद्दों के कारण साझेदारी टूट भी सकती है। ऐसे में किसी भी व्यावसायिक समझौते में बहुत सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।

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कुंडली में सूर्य के सातवें भाव में होना कैसे पता करें?

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  • आजकल कई ज्योतिष वेबसाइट्स और ऐप्स मुफ्त में आपकी कुंडली बनाने की सुविधा देते हैं। इसके लिए आपको अपनी जन्म तिथि, जन्म समय और जन्म स्थान सही-सही दर्ज करना होगा।
  • एक जन्म कुंडली 12 भावों या खानों में बंटी होती है। ये भाव घर या खाने की तरह दिखते हैं, जिनमें ग्रह और राशियाँ स्थित होती हैं। हर भाव जीवन के एक अलग क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है, जैसे पहला भाव व्यक्तित्व का, दूसरा धन का, आदि।
  • कुंडली में सूर्य को एक खास बिंदी प्रतीक से दर्शाया जाता है। यह एक गोलाकार प्रतीक होता है जिसके बीच में एक बिंदी होती है। आपको अपनी कुंडली में यह प्रतीक ढूंढना होगा।
  • अब, आपको यह देखना है कि क्या सूर्य का प्रतीक सातवें भाव वाले खाने में मौजूद है। यदि सूर्य का प्रतीक उस खाने में दिखाई देता है, तो इसका मतलब है कि आपकी कुंडली में सूर्य सातवें भाव में स्थित है।

कुंडली में सूर्य के अशुभ प्रभाव से छुटकारा पाने के लिए उपाय

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  • प्रतिदिन सुबह स्नान के बाद तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें थोड़ा सिंदूर और चावल मिलाकर "ॐ घृणि सूर्याय नमः" मंत्र का जाप करते हुए सूर्य को अर्घ्य दें. इस उपाय से सूर्य मजबूत होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  • आदित्य हृदय स्तोत्र भगवान सूर्य को समर्पित एक शक्तिशाली मंत्र है। इसका नियमित पाठ करने से सूर्य के अशुभ प्रभाव कम होते हैं और व्यक्ति को साहस, आत्मविश्वास और सफलता प्राप्त होती है।
  • रविवार के दिन सूर्य से संबंधित वस्तुओं जैसे गेहूं, गुड़, तांबा, लाल वस्त्र, माणिक्य और लाल चंदन का दान करना शुभ माना जाता है। यह दान गरीब और जरूरतमंद लोगों को करें।
  • सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए रविवार का व्रत रखना भी बहुत लाभकारी होता है. इस दिन नमक का सेवन न करें और केवल एक बार भोजन करें।
  • ज्योतिष में सूर्य को पिता का कारक माना गया है. इसलिए, अपने पिता का हमेशा सम्मान करें और उनकी सेवा करें. पिता का आशीर्वाद प्राप्त करने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और शुभ फल देते हैं।
  • सूर्य के बीज मंत्र "ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः" का नियमित रूप से 108 बार जाप करने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है।

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FAQ
सूर्यदेव को जल कब चढ़ाना चाहिए?
सूर्य देव को सूर्य उगने के एक घंटे तक जल चढ़ाया जा सकता है। ऐसे में जल चढ़ाने के लिए सुबह 6 बजकर 15 मिनट से सुबह 6 बजकर 45 मिनट तक का समय सबसे उत्तम माना गया है। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि यदि आप रोजाना सूर्य देव को जल अर्पित करने में असमर्थ हैं, तो आप रविवार के दिन भी सूर्य को जल अर्पित कर सकते हैं।
सूर्य देव किसका अवतार हैं?
भगवान विष्णु की आंखों से उत्पन्न होने के कारण ही सूर्यदेव उनके ही नाम नारायण से जाने जाते हैं, इसीलिए संसार में उन्हें सूर्य नारायण कहा जाता है. यह भी कहते हैं कि सूर्य को नमस्कार करना,उसकी पूजा करना असल में भगवान विष्णु की ही पूजा-उपासना है।
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