Bhimashankar Jyotirling interesting story ()

Bhimashankar Jyotirling: भगवान शिव के पसीने से बनी इस नदी के पास स्थित है भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, बेहद रोचक है कहानी

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का भगवान शिव और कुंभकर्ण के बेटे से बेहद खास संबंध है। आइए इस लेख में इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।&nbsp; <div>&nbsp;</div>
Editorial
Updated:- 2024-07-17, 10:11 IST

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से छठा ज्योतिर्लिंग है, जो सह्याद्री पर्वत श्रृंखला में, पुणे से लगभग 110 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ज्योतिर्लिंग का अर्थ है "प्रकाश का लिंग"। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव यहां ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हैं। ऐसा कहा जाता है कि भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग में सूर्योदय के बाद जो भी सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा अर्चना करता है उसे उसके सभी पापों से मुक्ति मिलती है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से इस ज्योतिर्लिंग के बारे में जानते हैं। 

भगवान शिव के पसीने से निकली नदी के पास स्थित भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग

bhimashankar

ऐसी मान्यता है कि भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नामस से जाना जाता है। यहां शिवलिंग का आकार काफी मोटा है इसलिए इसे मोटेश्वर महादेव कहा जाता है। इस मंदिर के पास एक नदी बहती है, जिसका नाम भीमा नदी है। यही नदी आगे जाकर कृष्णा नदी में मिलती है। बता दें,  शिव पुराण के अनुसार यहां राक्षस भीमा और भगवान शंकर के बीच भयंकर युद्ध हुआ था। इस दौरान भगवान शिव के शरीर से निकले पसीने की बूंद से ही भीमारथी नदी का निर्माण हुआ है। 

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का कुंभकरण के बेटे से है खास संबंध

Bhemashankar

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि त्रेतायुग में रावण का भाई कुंभकर्ण का एक पुत्र भीमा था। भीमा का जन्म कुंभकर्ण की मृत्यु के बाद हुआ थआ। तब उसे ज्ञात हुआ कि उसके पिता का वध भगवान विष्णु के अवतार भगवान श्रीराम ने किया है। तो वह क्रोधित हो गया। तब भगवान विष्णु से बदला लेने के लिए ब्रह्मा जी को तप करके प्रसन्न किया। ब्रह्मदेव के वपदान से भीमा बेहद शक्तिशाली हो गया और देवलोक पर अपना राज्य स्थापित कर लिया। तब संसार को इस राक्षस से बचाने के लिए राजा कामरूप भगवान शिव की भक्ति करने लगे।

यह विडियो भी देखें

इसे जरूर पढ़ें - भगवान शिव के प्रसन्न होने पर मिलते हैं ये संकेत

भीमा को जब पता चला तो उसने राजा को कारागार में डाल दिया। राजा वहां भी शिवलिंग बनाकर पूजा करने लगा। फिर क्रोध में आकर भीमा ने जैसे ही तलवा से शिवलिंग को तोड़ने का प्रयास किया, तो स्वयं भगवान शिव प्रकट हुए। भीम और भगवान शिव के बीच भयंकर युद्ध हुआ। जिसमें भीमा का विनाश हो गया।

NUT C

इसे जरूर पढ़ें - Bhagwan Shiv: आपके जीवन से जुड़ा है भगवान शिव के इन प्रतीकों का रहस्य

इसके बाद सभी देवताओं ने महादेव से इसी स्थान पर शिवलिंग रूप में निवास करने को कहा। तभी से भगवान शिव को यहां भीमाशंकर के नाम से पूजा जाता है। 

अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से। अपने विचार हमें आर्टिकल के ऊपर कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।

Image Credit- HerZindagi

आपकी राय हमारे लिए महत्वपूर्ण है! हमारे इस रीडर सर्वे को भरने के लिए थोड़ा समय जरूर निकालें। इससे हमें आपकी प्राथमिकताओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी। यहां क्लिक करें

Disclaimer

हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia.com पर हमसे संपर्क करें।

;