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Basant Panchami 2025: बसंत पंचमी के दिन जरूर करें इस स्तोत्र का जाप, कार्यक्षेत्र में मिल सकती है सफलता

हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। आइए इस लेख में विस्तार से सरस्वती स्तोत्र का पाठ करने के बारे में विस्तार से जानते हैं। 
Editorial
Updated:- 2025-01-27, 23:00 IST

हिंदू धर्म में बसंत पंचमी का पर्व मां सरस्वती को समर्पित है। इस दिन ऐसा कहा जाता है कि मां सरस्वती की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति के ज्ञान, कला और रचनात्मक कार्यों में वृद्धि हो सकती है। अब ऐसे में इस दिन मां सरस्वती के स्तोत्र का पाठ करने का विशेष महत्व है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं। 

बसंत पंचमी के दिन करें मां सरस्वती के स्तोत्र का पाठ

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बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा-अर्चना करने के दौरान इस स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से करने से लाभ हो सकता है। इस दिन नियमित रूप से स्तोत्र का पाठ करें।
रविरुद्रपितामहविष्णुनुतं हरिचन्दनकुङ्कुमपङ्कयुतम्। मुनिवृन्दगजेन्द्रसमानयुतं तव नौमि सरस्वति पादयुगम्॥1॥
शशिशुद्धसुधाहिमधामयुतं शरदम्बरबिम्बसमानकरम्। बहुरत्नमनोहरकान्तियुतं तव नौमि सरस्वति पादयुगम्॥2॥
कनकाब्जविभूषितभूतिभवं भवभावविभाषितभिन्नपदम्। प्रभुचित्तसमाहितसाधुपदं तव नौमि सरस्वति पादयुगम्॥3॥
भवसागरमज्जनभीतिनुतं प्रतिपादितसन्ततिकारमिदम्। विमलादिकशुद्धविशुद्धपदं तव नौमि सरस्वति पादयुगम्॥4॥
मतिहीनजनाश्रयपादमिदं सकलागमभाषितभिन्नपदम्। परिपूरितविश्वमनेकभवं तव नौमि सरस्वति पादयुगम्॥5॥
परिपूर्णमनोरथधामनिधिं परमार्थविचारविवेकविधिम्। सुरयोषितसेवितपादतलं तव नौमि सरस्वति पादयुगम्॥6॥
सुरमौलिमणिद्युतिशुभ्रकरं विषयादिमहाभयवर्णहरम्। निजकान्तिविलोपितचन्द्रशिवं तव नौमि सरस्वति पादयुगम्॥7॥
गुणनैककुलं स्थितिभीतपदं गुणगौरवगर्वितसत्यपदम्। कमलोदरकोमलपादतलं तव नौमि सरस्वति पादयुगम्॥8॥

बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती के स्तोत्र का पाठ करने का महत्व

बसंत पंचमी का दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती को समर्पित होता है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा-अर्चना करने के साथ-साथ उनके स्तोत्र का पाठ करने का विशेष महत्व है। मां सरस्वती ज्ञान, बुद्धि और कला की देवी हैं। उनके स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति में ज्ञान की प्राप्ति होती है, बुद्धि तेज होती है और रचनात्मकता बढ़ती है। स्तोत्र का पाठ करते समय मन एकाग्र होता है और ध्यान की अवस्था में जाता है। इससे मन शांत होता है और पढ़ाई या किसी भी कार्य में एकाग्रता बढ़ती है। स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इससे नकारात्मक विचार दूर होते हैं और आत्मविश्वास बढ़ता है।

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सरस्वती स्तोत्र का पाठ करने के नियम

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  • सरस्वती स्तोत्र का पाठ करते समय आसन पर बैठें।
  • पद्मासन या सिद्धासन में बैठना उत्तम माना जाता है।
  • पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  • यदि पूर्व दिशा में बैठने की जगह न हो तो आप उत्तर दिशा की ओर मुख करके भी बैठ सकते हैं।
  • स्तोत्र का उच्चारण करते समय ध्यान रखें कि आपका उच्चारण स्पष्ट और शुद्ध हो।

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Image Credit- HerZindagi

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