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अनंत चतुर्दशी पर बांधा गया 'अनंत धागा' खोलने का सही समय और दिन क्या होता है?

हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी का दिन विष्णु जी की पूजा के लिए विशेष माना जाता है और इस दिन ही विष्णु जी से जुड़े हुए 14 गांठों वाले अनंत धागे को बांधना भी शुभ माना जाता है। आइए जानें इस धागे को बांधने के साथ इसे खोलने के कुछ नियमों के बारे में।
Updated:- 2025-09-03, 15:31 IST

हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी का पर्व गणपति विसर्जन के रूप में भी मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि गणेश चतुर्थी के दिन गणपति की स्थापना के बाद उनका विसर्जन चतुर्दशी तिथि के दिन किया जाता है। यही नहीं गणपति विसर्जन के अलावा भी इस दिन का विशेष महत्व है। इस खास दिन में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और लोग 14 गांठों वाला अनंत धागा कंधे पर बांधते हैं। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, इस साल अनंत चतुर्दशी का पर्व 6 सितंबर को मनाया जाएगा। ऐसा कहा जाता है कि अनंत धागे की 14 गांठ भगवान विष्णु के 14 नामों का प्रतिनिधित्व करती हैं और उनके अलग-अलग रूपों के बारे में दिखाती हैं। यह धागा अनंत चतुर्दशी के दिन बांधा जाता है और ये विष्णु जी की शक्तियों का प्रतीक होता है, लेकिन एक सवाल यह मन में आता है कि यह धागा किस दिन खोलना चाहिए और अनंत चतुर्दशी के कितने दिनों बाद इसको खोलना शुभ होता है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें इस प्रश्न का सही जवाब।

अनंत चतुर्दशी के दिन कैसे बांधा जाता है अनंत धागा?

अनंत चतुर्दशी के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि से मुक्त होकर भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है और उनकी मूर्ति या तस्वीर के सामने 14 गांठों वाले धागे को रखा जाता है। यह धागा रेशम के धागे से 14 गांठ लगाकर बनाया जाता है। इस धागे को घर के सबसे बड़ा सदस्य परिवार के अन्य लोगों के हाथ में बांधता है, इस धागे को हाथ में ऐसे हिस्से पर बांधा जाता है जहां किसी बाहरी व्यक्ति की नजर न पड़े। इसी वजह से यह धागा भुजाओं में बांधना ठीक रहता है।

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भुजाओं में अनंत धागा बांधने का महत्व

अनंत चतुर्दशी पर भुजाओं में जो धागा बांधा जाता है उसे ‘अनंत सूत्र’ या ‘अनंत धागा’ कहा जाता है। कुछ जगहों पर इसे अनंता नाम से भी जाना जाता है। यह धागा धागा आमतौर पर केसरिया, लाल या पीले रंग का होता है। इस धागे में 14 गांठ विष्णु जी के 14 रूपों और 14 लोकों का प्रतीक मानी जाती हैं। यह धागा यदि पुरुषों को बांधा जाता है तो यह दाहिने हाथ में बांधा जाता है, वहीं शादीशुदा महिलाओं के बाएं हाथ में यह धागा बांधना शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस धागे को धारण करने से व्यक्ति के जीवन में नकारात्मक ऊर्जा नहीं टिकती है और घर-परिवार में समृद्धि बनी रहती है।

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anant dhaga on anant chaturdashi

अनंत धागा किस दिन खोलना शुभ होता है?

  • कई लोग अनंत धागा बांधने के बाद इसे खोलना भूल जाते हैं। ऐसा करना ठीक नहीं होता है। अगर हम शास्त्रों के नियमों की बात करें तो यह धागा कम से कम 14 दिन बांधना चाहिए।
  • आप इस धागे को 14 दिन, 14 महीने या फिर 14 सालों तक बांधकर रख सकती हैं। हालांकि यदि आप इसे ज्यादा दिनों तक बांधकर नहीं रख सकती हैं, तो अनंत चतुर्दशी के दिन ही इस धागे को पूजा के बाद खोल जाती हैं।
  • यदि आप हर साल यह धागा बांधती हैं, तो ध्यान रखें कि इसे अनंत चतुर्दशी के दिन की खोलें और फिर से नया अनंत धागा बांधें।
  • शास्त्रों और परंपरा के अनुसार अनंत धागा खोलने के लिए कुछ विशेष दिन बताए गए हैं जिनमें अगली अनंत चतुर्दशी का दिन सबसे विशेष है।
  • अगली अनंत चतुर्दशी पर इसे खोलकर नए धागे से बदल लिया जाता है। ऐसा करने से पुराने धागे का भी संकल्प पूरा हो जाता है और नया धागा नई सकारात्मक ऊर्जा लेकर आता है। आपको कोशिश करनी चाहिए कि यह धागा मंगलवार और शनिवार के दिन न खोलें।

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anant chaturdashi ke ananta

धागा खोलते समय क्या करें?

  • अनंत धागा खोलते समय केवल इसे उतारना ही काफी हीं होता है, बल्कि इसके लिए भी कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है।
  • आपको अनंत धागा हमेशा विष्णु जी के सामने बैठकर ही खोलना चाहिए। धागे को खोलकर किसी साफ़ स्थान पर ही रखें। आपको यह धागा कभी भी कूड़े में नहीं डालना चाहिए।
  • अनंत धागे कोई खोलने के बाद आप किसी पवित्र नदी में प्रवाहित कर सकती हैं या फिर बगीचे की मिट्टी में दबाकर रख सकती हैं। यदि आप इसे नदी में प्रवाहित नहीं कर पा रही हैं तो इसे पीपल या तुलसी के पौधे के नीचे रख सकती हैं।

यदि आप अनंत धागा बांधती हैं, तो आपको यहां बताए गए नियमों का पालन जरूर करना चाहिए। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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