16 सितंबर 2025 का दिन जो हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि है, धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। आज के दिन उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु किसी भी महीने की दशमी तिथि को हुई हो। पंचांग के अनुसार, आज के दिन सूर्योदय सुबह 06:15 बजे होगा और सूर्यास्त शाम 06:26 बजे होगा। दशमी तिथि का आरंभ 15 सितंबर को शाम 05:07 बजे से होगा और इसका समापन 16 सितंबर को शाम 06:21 बजे होगा। ऐसे में अगर आप आज के दिन मायके से ससुराल जा रही हैं तो शुभ मुहूर्त देखकर ही घर से निकलें और शुभ मुहूर्त जानने के लिए एमपी, छिंदवाड़ा के पंडित सौरभ त्रिपाठी द्वारा बताया गया आज का पंचांग देख लें।
तिथि | नक्षत्र | दिन/वार | योग | करण |
अश्विन कृष्ण दशमी | उत्तराफाल्गुनी | मंगलवार | वज्र | वणिज |
प्रहर | समय |
सूर्योदय | सुबह 06:15 बजे |
सूर्यास्त | शाम 06:26 बजे |
चंद्रोदय | रात 01:21 बजे |
चंद्रास्त | दोपहर 02:44 बजे, 17 सितंबर |
मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
ब्रह्म मुहूर्त | सुबह 04:44 बजे से सुबह 05:32 बजे तक |
अभिजीत मुहूर्त | दोपहर 11:59 बजे से दोपहर 12:48 बजे तक |
अमृत काल | दोपहर 12:00 बजे से दोपहर 01:31 बजे तक |
विजय मुहूर्त | दोपहर 02:26 बजे से दोपहर 03:15 बजे तक |
निशिता काल | रात 11:58 बजे से रात 12:44 बजे तक |
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मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
राहु काल | दोपहर 03:22 बजे से शाम 04:54 बजे तक |
गुलिक काल | दोपहर 12:23 बजे से दोपहर 01:55 बजे तक |
यमगंड | सुबह 09:19 बजे से सुबह 10:51 बजे तक |
दुर्मुहूर्त | सुबह 08:38 बजे से सुबह 09:27 बजे तक |
16 सितंबर 2025 को अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि है। यह दिन हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण पितृपक्ष के दौरान आता है जो श्राद्ध और तर्पण के लिए समर्पित है। इस दिन का मुख्य व्रत और त्योहार दशमी श्राद्ध है जो पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए किया जाता है।
दशमी श्राद्ध उन पितरों के लिए किया जाता है, जिनकी मृत्यु किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को हुई हो। इस दिन, परिवार के सदस्य अपने पितरों को सम्मान देते हैं और उनके लिए श्राद्ध कर्म करते हैं। श्राद्ध कर्म में मुख्य रूप से तीन क्रियाएं शामिल होती हैं: तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मण भोजन कराना। इन अनुष्ठानों को करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, और वे अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। ऐसी मान्यता है कि जब तक पितर शांत नहीं होते, तब तक परिवार में सुख-समृद्धि नहीं आती। इसलिए, इस दिन श्राद्ध का विशेष महत्व है।
दशमी श्राद्ध के दिन, परिवार के लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और साफ कपड़े पहनते हैं। इसके बाद, वे पितरों के लिए भोजन तैयार करते हैं जिसमें खीर, पूरी, सब्जी और अन्य सात्विक व्यंजन शामिल होते हैं। यह भोजन बिना प्याज और लहसुन के बनाया जाता है। भोजन तैयार होने के बाद इसका एक हिस्सा अग्नि में अर्पित किया जाता है और फिर गाय, कौवे और कुत्तों को दिया जाता है। इसके बाद, ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है और उन्हें वस्त्र, दक्षिणा और अन्य वस्तुएं दान की जाती हैं। व्रत का पालन करने वाले लोग इस दिन केवल एक ही बार भोजन करते हैं और वह भी सात्विक होता है।
इस दिन पितरों का नाम लेकर दान करने का भी बहुत महत्व है। दान में अन्न, वस्त्र, और धन का दान करने से पितरों को शांति मिलती है और परिवार में खुशहाली आती है। कुल मिलाकर, दशमी श्राद्ध का दिन पितरों को याद करने, उनका सम्मान करने और उनके प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने का दिन है।
दशमी श्राद्ध के दिन सबसे महत्वपूर्ण उपाय तर्पण और पिंडदान करना है। सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पितरों के नाम पर जल, दूध, जौ और काले तिल मिलाकर तर्पण करें। इसके बाद, चावल के आटे, दूध और तिल से बने पिंडदान को पितरों को अर्पित करें। ये क्रियाएं पितरों की आत्मा को संतुष्ट करती हैं और उन्हें मुक्ति दिलाने में मदद करती हैं।
इस दिन किसी योग्य ब्राह्मण को घर पर बुलाकर भोजन कराएं। भोजन सात्विक होना चाहिए जिसमें खीर, पूड़ी और अन्य व्यंजन शामिल हों। ब्राह्मण को भोजन कराने के बाद, उन्हें वस्त्र, दक्षिणा और अपनी क्षमतानुसार अन्य वस्तुएं दान करें। ऐसा माना जाता है कि ब्राह्मण को दिया गया भोजन सीधे पितरों तक पहुंचता है।
श्राद्ध का भोजन तैयार होने के बाद उसका एक हिस्सा गाय, कौवे और कुत्तों को अवश्य खिलाएं। गाय को पितरों का प्रतीक माना जाता है जबकि कौवे और कुत्ते भी पितरों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन्हें भोजन कराने से पितर प्रसन्न होते हैं और आपकी पूजा स्वीकार करते हैं।
दशमी श्राद्ध के दिन दान का विशेष महत्व है। अपनी क्षमता के अनुसार, जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करें। आप किसी धार्मिक स्थान पर भी दान कर सकते हैं। दान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और आपके जीवन से सभी कष्ट दूर होते हैं।
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image credit: herzindagi
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