13 अक्टूबर 2025 के दिन सोमवार होने के कारण भगवान शिव और चंद्रमा को समर्पित है जो शांति और शुभता का प्रतीक है। इस दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि दोपहर 12 बजकर 24 मिनट तक रहेगी जिसके बाद अष्टमी तिथि का आरंभ होगा। यह तिथि परिवर्तन इस दिन को खास बनाता है क्योंकि इसी दिन कालाष्टमी और अहोई अष्टमी जैसे महत्वपूर्ण व्रत और पर्व मनाए जाएंगे जिससे भगवान शिव के रूद्र रूप काल भैरव और माता अहोई देवी की पूजा का विधान रहेगा। इसके अलावा, एमपी, छिंदवाड़ा के ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ त्रिपाठी के अनुसार नक्षत्रों में आज के दिन की शुरुआत आर्द्रा नक्षत्र से होगी जो दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक रहेगा इसलिए शुभ कार्यों के लिए अभिजीत मुहूर्त का उपयोग करना श्रेष्ठ होगा। हालांकि राहुकाल सुबह 7 बजकर 46 मिनट से 9 बजकर 13 मिनट तक रहेगा जिसमें शुभ कार्य टालने चाहिए।
तिथि | नक्षत्र | दिन/वार | योग | करण |
कार्तिक कृष्ण सप्तमी | आर्द्रा | सोमवार | परिघ | बव |
प्रहर | समय |
सूर्योदय | सुबह 6 बजकर 20 मिनट पर |
सूर्यास्त | शाम 5 बजकर 53 मिनट पर |
चंद्रोदय | रात 11 बजकर 18 मिनट पर |
चंद्रास्त | दोपहर 1 बजकर 01 मिनट पर (अगले दिन) |
मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
ब्रह्म मुहूर्त | सुबह 4 बजकर 41 मिनट से सुबह 5 बजकर 31 मिनट तक |
अभिजीत मुहूर्त | सुबह 11 बजकर 44 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक |
विजय मुहूर्त | दोपहर 2 बजकर 03 मिनट से दोपहर 2 बजकर 49 मिनट तक |
गोधुली मुहूर्त | शाम 5 बजकर 53 मिनट से शाम 6 बजकर 18 मिनट तक |
निशिता काल | रात 11 बजकर 42 मिनट से देर रात 12 बजकर 32 मिनट तक |
मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
राहु काल | सुबह 7 बजकर 46 मिनट से सुबह 9 बजकर 13 मिनट तक |
गुलिक काल | दोपहर 1 बजकर 34 मिनट से दोपहर 3 बजकर 00 मिनट तक |
यमगंड | सुबह 10 बजकर 40 मिनट से दोपहर 12 बजकर 07 मिनट तक |
दिशा शूल | पूर्व दिशा |
13 अक्टूबर 2025 का दिन, सोमवार होने के साथ-साथ कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के कारण धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन दो प्रमुख व्रत और त्यौहार मनाए जाएंगे। पहला है अहोई अष्टमी का व्रत जिसे माताएं अपनी संतान की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं। इस व्रत में शाम के समय तारे देखकर पूजा की जाती है और व्रत का पारण किया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से संतान के कल्याण के लिए समर्पित होता है।
इसी दिन कालाष्टमी का पर्व भी मनाया जाएगा जो भगवान शिव के भैरव स्वरूप को समर्पित है। कालाष्टमी के दिन भगवान काल भैरव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन भैरव बाबा की उपासना करने से सभी प्रकार के भय, नकारात्मक ऊर्जा और बाधाएं दूर होती हैं। यह दिन तंत्र-मंत्र साधना करने वालों के लिए भी खास महत्व रखता है। इस प्रकार, 13 अक्टूबर 2025 का दिन संतान की मंगल कामना और भय मुक्ति की आराधना का संगम लेकर आएगा।
13 अक्टूबर 2025 को सोमवार है, जो भगवान शिव को समर्पित है, इसलिए इस दिन आपको उनकी पूजा जरूर करनी चाहिए। सुबह स्नान करने के बाद शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाएं। यदि संभव हो तो शिवलिंग पर बेलपत्र और धतूरा भी अर्पित करें। पूरे दिन 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करने से आपके मन को शांति मिलेगी और चंद्रमा मजबूत होगा जिससे मानसिक तनाव कम होगा। सोमवार के व्रत से घर में सुख-समृद्धि आती है और सभी बाधाएं दूर होती हैं।
चूँकि इस दिन कालाष्टमी और अहोई अष्टमी भी है, आप भगवान शिव के रूद्र रूप काल भैरव की पूजा करके जीवन की रुकावटों को दूर कर सकते हैं। इसके अलावा, माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए अहोई देवी की कथा सुनकर व्रत का पालन करें। इस दिन गरीबों को सफेद वस्तुएं जैसे चावल, दूध या चीनी दान करना और शाम को किसी मंदिर में दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है जिससे आपके जीवन में खुशहाली और ऐश्वर्य आता है।
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image credit: herzindagi, gemini
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