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दिल से जुड़ी 10 Common समस्याओं का हल एक्सपर्ट से जानें

आजकल की सबसे बड़ी समस्या में से एक ये है कि कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड लोगों को बहुत परेशान करने लगे हैं। अगर देखा जाए तो कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड दोनों का ही संबंध डाइट से है और साथ ही साथ दोनों दिल की बीमारी का कारण बन सकते हैं। अगर आपके शरीर में ये दोनों हैं इसका मतलब फैट के पार्टिकल्स ब्लड में आ रहे हैं और ये हार्ट ब्लॉकेज की समस्या तक पैदा कर सकते हैं। पर ये जितने खतरनाक हैं उतना ही आसान इन्हें कम करना भी है।  न्यूट्रिशनिस्ट और डायबिटीज एजुकेटर स्वाति बथवाल से हमने 10 कॉमन सवालों को पूछा। हमने ये जानने की कोशिश की कि आखिर इन्हें आसानी से कम कैसे किया जा सकता है और किस तरह से हमें अपनी डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव लाने की जरूरत होगी। तो चलिए आपको बताते हैं कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड से जुड़े सबसे जरूरी सवालों के जवाब। 

Shruti Dixit

Editorial

Updated:- 30 Jun 2021, 16:06 IST

सवाल: क्या कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड एक ही होता है?

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जवाब:

नहीं ये दोनों अलग हैं। कोलेस्ट्रॉल एक तरह का फैट है जिससे बॉडी सेल्स बनते हैं। ये हार्मोन्स के प्रोडक्शन में भी मदद करता है। ये गुड और बैड कोलेस्ट्रॉल दोनों हो सकता है। जब आपकी रिपोर्ट में LDL कोलेस्ट्रॉल हाई आए तो मतलब ये बैड कोलेस्ट्रॉल है और दिल के लिए अच्छा नहीं है। जब HDL कोलेस्ट्रॉल ठीक आए तो मतलब आपका दिल सुरक्षित है। 

यहीं ट्राइग्लिसराइड एक तरह का फैट है जो हमें एनर्जी देता है। हालांकि, इसका ज्यादा होना शरीर के लिए बहुत खराब होता है। हमारा लिवर पर्याप्त मात्रा में कोलेस्ट्रॉल पैदा कर सकता है पर कई बार डाइट में बदलाव के कारण ये कम या ज्यादा हो जाता है।

सवाल: डाइट में किन चीज़ों को जरूर शामिल करना चाहिए?

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जवाब:

डाइट में थोड़ा बदलाव करना सही है। आप मेथी दानों का पानी पिएं (रात में 1 ग्लास पानी में 1 चम्मच मेथी दाने भिगो कर रख दें) आपको ये खाली पेट पीना है। इसके अलावा, कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने के लिए महाभारत के अर्जुन की तरह सिर्फ एक ही लक्ष्य पर निशाना रखें आपको एक्सपर्ट से जानकारी लेकर अपने कोलेस्ट्रॉल को डाइट के जरिए कम करना है। 

मैं ये भी सलाह दूंगी कि आप गुड फैट जैसे सरसों का तेल, नारियल का तेल, घी, एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल, मूंगफली का तेल आदि इस्तेमाल करें और तेल को तभी इस्तेमाल करें जब ये बहुत जरूरी हो। आप ज्यादा फाइबर लें और डाइट में फ्रूट्स और सब्जियों को शामिल करें। 

नट्स को अपनी डाइट में जरूर शामिल करें जो गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाते हैं। इसके अलावा, चोकर (गेहूं का) इस्तेमाल करें। 

अगर आपको कोलेस्ट्रॉल या ट्राइग्लिसराइड कम करना है तो ये सभी टिप्स बहुत काम की साबित हो सकती हैं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। 

सवाल: ट्राइग्लिसराइड के बढ़ने का कारण क्या होता है?

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जवाब:

ट्राइग्लिसराइड तब बढ़ जाते हैं जब हम हाई कैलोरी वाला खाना खाते हैं जिसकी हमें आदत नहीं होती। अलकोहल, अधिक मात्रा में फ्राई फूड जैसे समोसा, चिप्स, मीठा खाना या ऐसा खाना जिसमें अधिक मात्रा में फ्रूटकोस कॉर्न सिरप हो (अधिकतर शक्कर वाले खाने में, कोल्ड्रडिंक्स में) ये सब कुछ ट्राइग्लिसराइड के बढ़ने का कारण बन सकता है।

सवाल: बैड कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने का क्या कारण है?

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जवाब:

बैड कोलेस्ट्रॉल फैटी लिवर के कारण बढ़ सकता है। कई अन्य डाइट फैक्टर भी इसमें शामिल होते हैं जिसमें वेजिटेबल ऑयल या फिर प्रोसेस्सड ऑयल का ज्यादा इस्तेमाल, स्ट्रेस, एक्सरसाइज की कमी, स्मोकिंग, उम्र का बढ़ना, थायरॉइड, इंसुलिन रेजिस्टेंस आदि अहम हैं। 

T4 और T3 थायरॉइड हार्मोन्स हमारे शरीर से एक्स्ट्रा कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं, लेकिन थायरॉइड के समय ये रिस्क में होते हैं। इंसुलिन रेजिस्टेंस भी जिम्मेदार हो सकता है। इंसुलिन शरीर में अगर ठीक तरह से न काम करे तो प्री डायबिटिक पीसीओएस और टाइप 2 डायबिटीज का कारण बन सकता है। ये इंसुलिन बैड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है। 

सवाल: फ्रूट डाइट इसपर कितना असर करती है?

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जवाब: 

फ्रूट डाइट असल में अच्छी हो सकती है, लेकिन 3-4 फ्रूट्स ही दिन में खाना सही हो सकता है। अगर आप फ्रूट्स ज्यादा मात्रा में खाते हैं तो फ्रूटकोस शुगर शरीर में बढ़ जाती है जिससे यूरिक एसिड क्रिस्टल्स बन जाते हैं। जब आप फ्रूट्स ज्यादा खाने लगते हैं तो आप अन्य जरूरी न्यूट्रिएंट्स को कम कर लेते हैं। जब आप फ्रेश फ्रूट खाते हैं तो इससे कोलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता बल्कि इनमें मौजूद फाइबर LDL कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकता है पर अगर आप ज्यादा फ्रूट जूस लेंगे तो ये ट्राइग्लिसराइड की समस्या को बढ़ा सकता है। 

सवाल: प्रोटीन डाइट का कितना असर पड़ता है कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड पर?

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जवाब:

हाई प्रोटीन डाइट से ट्राइग्लिसराइड्स पर असर नहीं होता है (अलकोहल, फ्राई फूड, शक्कर ही ज्यादा असर करते हैं) पर अगर आपको बैड कोलेस्ट्रॉल की समस्या है तो अधिक प्रोटीन डाइट जैसे चिकन लेग्स, मटन या फिर अन्य जानवरों से लिए गए प्रोडक्ट्स जिन्हें खराब तेल में फ्राई किया गया हो वो कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा सकते हैं। अगर कोई प्रोटीन से भरपूर खाना खाना है तो अच्छे तेल का इस्तेमाल करें। आप 1 अंडा पूरा खा सकते हैं भले ही हाई कोलेस्ट्रॉल क्यों न हो। पर दिन में सिर्फ 1 ही काफी है। हफ्ते में ज्यादा से ज्यादा 6 पूरे अंडे खाएं हां, एग व्हाइट्स खाए जा सकते हैं। 

सवाल: क्या अल्कोहल और निकोटीन इसके सबसे बड़े कारक है?

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जवाब:

हां, दोनों अलकोहल और निटोटिन लिवर से प्रोसेस हो जाते हैं और लिवर कोलेस्ट्रॉल के प्रोडक्शन का सबसे अहम कारक होता है।

सवाल: क्या डाइट में ज्यादा नॉन-वेज खाने से ये दोनों बढ़ सकते हैं?

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जवाब:

ये निर्भर करता है कि कितना नॉन वेज काफी होगा और किस तरह के मीट का इस्तेमाल आप कर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर चिकन के पैरों में ज्यादा फैट होता है। अगर आपको कोलेस्ट्रॉल की समस्या है तो चिकन ब्रेस्ट्स या थाई का इस्तेमाल करें। पुराने जमाने में जिस तरह खाने को घी या सरसों के तेल से बनाया जाता था वैसा ही इस्तेमाल करें। ऐसा भी किया जा सकता है कि इन्हें नो ऑयल तरीके से बनाया जाए जिससे मीट का फैट ही कुकिंग के इस्तेमाल आ जाए। 

सवाल: बैड कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड पर डेयरी प्रोडक्ट्स का भी कुछ असर होता है क्या?

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जवाब:

नहीं, अगर आप सीमित मात्रा में छाछ, दही, घर पर बनाया हुआ छेना, लो फैट दूध आदि का इस्तेमाल करें तो ये सही रहेगा। ध्यान रखें कि हर चीज़ अगर ज्यादा मात्रा में खाई जाए तो नुकसान कर सकती है। यहां तक कि ऑर्गेनिक और शुद्ध चीज़ें भी ज्यादा मात्रा में सही नहीं होती हैं। 

 

सवाल: इन्हें कम करने का सही रूटीन क्या हो सकता है?

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जवाब:

कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड लेवल को कम करने के लिए तीन चीज़ों का ध्यान रखें। 

- स्ट्रेस कम लें

- एक्सरसाइज जरूर करें

- सोने का रूटीन बनाएं और डाइट को मैनेज करें