सावन का हिंदू धर्म में खास महत्व होता है। ऐसा तो हो नहीं सकता कि सावन की बात हो और काशी विश्वनाथ मंदिर की बात न आए। भगवान शिव का ये मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी में मौजूद है। इसे भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। आइए, इस ज्योति्रलिंग की खासियत जानते हैं -
ज्योतिर्लिंग की स्थापना
साल 1194 में मुहम्मद गौरी ने इस मंदिर को लूटने के बाद इसे तुड़वा दिया था। इस मंदिर का निर्माण फिर से कराया गया, लेकिन जौनपुर के सुल्तान महमूद शाह ने इसे दोबारा तुड़वा दिया।
ज्योतिर्लिंग की स्थापना
काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार अकबर के नौरत्नों में से एक राजा टोडरमल ने कराया था. उन्होंने साल 1585 में अकबर के आदेश पर नारायण भट्ट की मदद से इसका जीर्णोद्धार कराया।
कब खुलता है मंदिर
ये मंदिर सुबह 2 बजकर 30 मिनट पर खुलता है। यहां रोजाना पांच बार भगवान शिव की आरती होती है। यहां पहली आरती सुबह 3 बजे और आखिरी आरती रात 10.30 बजे की जाती है।
ज्योर्तिलिंग की खासियत
ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में मौजूद ज्योतिर्लिंग स्वयं महादेव ने अपने निवास के लिए स्थापित किया था।
काशी मंदिर से जुड़ी रोचक बात
इस मंदिर के गर्भगृह में मंडप और शिवलिंग है। ये चांदी की चौकोर वेदी में स्थापित हैं। वहीं मंदिर परिसर में कालभैरव, भगवान विष्णु और विरूपाक्ष गौरी के मंदिर हैं।
मंदिर से जुड़े फैक्ट्स
वाराणसी शहर भगवान शिव के त्रिशूल पर टिका हुआ है। इस मंदिर के गुंबद को सोने का बनाया गया है। इसे सोने का मंदिर भी कहा जाता है।
काशी मंदिर की खासियत
ऐसा माना जाता है कि पवित्र नदी गंगा में स्नान करके काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
आप भी सावन के महीने में काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़ी इन खासियत को जानें। स्टोरी अच्छी लगी हो तो लाइक और शेयर करें। फैशन से जुड़ी अन्य जानकारी के लिए यहां क्लिक करें herzindagi.com