आजकल रिश्ते को जरूरत के हिसाब से कई नाम दिया जाता है। बदलते दौर के रिश्ते को आप उसके नाम से पहचान सकते हैं। आइए आज हम जानेंगे रिलेशनशिप और सिचुएशनशिप क्या होता है-
सिचुएशनशिप और रिलेशनशिप
सिचुएशनशिप और रिलेशनशिप, दोनों ही देखा जाए, तो एक रिश्ता तो है, लेकिन उसमें भावनाओं का, प्यार का, जिम्मेदारियों की, केयर की बातें अलग-अलग है।
प्यार या जरूरत
रिलेशनशिप में दो लोग प्यार के लिए साथ रहते हैं और दोनों का प्रेम ही उस रिश्ते को पारिभाषित करता है, लेकिन सिचुएशनशिप में बस दो लोग साथ होते है, उनमें प्यार न हो, तो भी। हां जरूरतों के लिए साथ हो सकते हैं।
जिम्मेदारियां और केयर
रिलेशनशिप में जिम्मेदारियां होती हैं, दो लोग एक-दूसरे का ख्याल रखते हैं। वहीं सिचुएशनशिप में ऐसी कोई बात नहीं होती है। बस जरूरतों के हिसाब से दोनों का साथ रहता है।
नो सवाल-जबाव
रिलेशनशिप में एक-दूसरे से पर्सनल और प्रोफेशनल, दोनों तरह के सवाल किए जाते हैं, लेकिन सिचुएशनशिप में कोई पर्सनल सवाल नहीं होते हैं।
अलग होना कोई मुद्दा नहीं
रिलेशनशिप में दो लोग हमेशा साथ रहना चाहते हैं, लेकिन सिचुएशनशिप में वो दो लोग कभी-भी अलग हो सकते हैं। ये बात उनकी जरूरतों पर निर्भर करता है।
कमिटमेंट और रिश्ता
रिलेशनशिप में कमिटमेंट होती है, लेकिन सिचुएशनशिप में ऐसा कुछ भी नहीं होता है। बस दो लोग अपनी-अपनी जरूरतों के हिसाब से साथ रहते हैं।
ज्यादातर रिश्ते
सिचुएशनशिप रिलेशनशिप का वो दौर है, जिसमें भविष्य तय नहीं किया जाता है। देखा जाए, तो इसमें भावनाओं से ज्यादा जरूरतों को फोकस किया जाता है। आजकल ज्यादातर रिश्ते सिचुएशनशिप वाले होते हैं।
रिलेशनशिप और सिचुएशनशिप में यही अंतर है। स्टोरी अच्छी लगी हो, तो शेयर करें। ऐसी अन्य जानकारी के लिए क्लिक करें herzindagi.com