हिंदू धर्म में पूजा के दौरान हर चीज का एक खास महत्व होता है। उन्हीं में से एक दीपक भी है, जिसे पूजा से पहले जलाया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उसी दीपक को जलाकर नदी में प्रवाहित करने या देवस्थान या अन्य उचित स्थान पर रखना ही दीपदान कहलाता है। आइए, ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ. राधाकांत वत्स से जानते हैं कि दीपदान कैसे किया जाता है और इसके लाभ क्या है -
कौन-सा दीपक लें
दीपदान करने के लिए हमेशा मिट्टी, आटे, पीतल, तांबा, चांदी या सोने के दीपक का ही इस्तेमाल करना चाहिए।
दीए में बाती
आप अगर घी का दीपक जला रहे हैं, तो उसमें रुई की बाती का और अगर तेल का दीपक जला रहे हैं, तो उसमें लाल धागे की बाती का इस्तेमाल करें।
आसन का प्रयोग
अगर आपको मंदिर में दीपदान करना है, तो आप पहले अक्षत, गेहूं और सप्तधान्य का आसन बनाएं और फिर आसन पर दीपक को रख दें।
नदी में करें प्रवाहित
आप आटे के दीपक में रुई की पतली-सी बाती बनाकर तेल डालें और दीपक जलाएं। इसके बाद बरगद या पीपल के पत्ते की मदद से दीपक को नदी में प्रवाहित कर दें।
लक्ष्मी और विष्णु जी होंगे प्रसन्न
दीपदान करने से न सिर्फ देवी लक्ष्मी, बल्कि भगवान विष्णु भी प्रसन्न होते हैं।
पूर्वजों को मिलेगी सद्गति
हिंदू शास्त्रों में ऐसा कहा जाता है कि दीपदान करने से पूर्वजों को सद्गति की प्राप्ति होती है। वहीं उनका अकाल मृत्यु से भी बचाव होता है।
राहु-केतु से बचें
ऐसा माना जाता है कि दीपदान करने से राहु, केतु और शनि देव के बुरे और दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है।
आप भी दीपदान करके इन लाभ को प्राप्त कर सकते हैं। स्टोरी अच्छी लगी हो तो लाइक और शेयर करें। इससे जुड़ी अन्य जानकारी के लिए यहां क्लिक करें herzindagi.com।